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यहां धर्म की नहीं कोई दीवार! हिंदू-मुस्लिम एक साथ करते हैं 'इबादत' और 'पूजा'

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा के पास बसा बड़चिचोली गांव की फरीदी दरगाह कौमी एकता की मिसाल है. पांच एकड़ में फैली वाटिका स्थित इस दरगाह में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग खुदा की इबादत करने पहुंचते हैं.

Faridi Dargah
Faridi Dargah
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Published : Feb 6, 2021, 10:46 PM IST

Updated : Feb 6, 2021, 11:03 PM IST

छिंदवाड़ा। पांढुर्णा तहसील का बड़चिचोली गांव कौमी एकता के लिए मशहूर है. बड़ (बरगदों के पेड़) से घिरे इस गांव में एक ऐसी दरगाह है, जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग एक साथ खुदा की इबादत करते हैं. ये दरगाह फरीदी दरगाह के नाम से प्रसिद्ध है. यही कारण है कि बड़चिचोली गांव की फरीदी दरगाह को कौमी एकता का दर्जा दिया गया है.

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा के पास बसे बड़चिचोली गांव में एक फरीद वाटिका है. यहां स्थित दरगाह की खास बात ये है कि इस दरगाह में हिंदू-मुस्लिम एक साथ फरीद बाबा की इबादत करते हैं. यहां हर मजहब के लोग आकर सिर झुकाते हैं और खुदा की इबादत करते हैं.

फरीदी दरगाह

कौमी एकता की मिसाल है दरगाह

ग्रामीण बताते हैं कि कई साल पहले इस फरीद वाटिका में एक छोटी सी दरगाह हुआ करती थी, जहां अंधेरा छाया रहता था. इस दरगाह पर जाने से हर कोई डरता था. लेकिन फिर दरगाह की मरम्मत कराने के लिए हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग आगे आए. जिसके बाद जनसहयोग के जरिए भव्य फरीद बाबा की दरगाह की स्थापना की गई, जो अब जिलेभर में कौमी एकता की मिसाल है.

Faridi Dargah
फरीदी दरगाह
Faridi Dargah
हिंदू-मुस्लिम एक साथ करते हैं खुदा की इबादत

पढ़ेंः हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक फेज़ अली शाह दाता का एक दिवसीय उर्स संपन्न

दरगाह के पास है हनुमान और शिव मंदिर

बड़चिचोली में फरीद दरगाह पर लोग खुदा की इबादत करने के बाद भगवान भोलेनाथ और हनुमान जी की आराधना करने भी पहुंचते हैं. क्योंकि दरगाह के पास ही हनुमान और शिव मंदिर है.

temple
हनुमान और शिव मंदिर

5 एकड़ में फैली है फरीद वाटिका

ग्रामीण नूर मोहम्मद बताते हैं कि कई साल पहले यहां बड़ (बरगद) का एक पेड़ हुआ करता था, लेकिन बदलते समय के साथ बड़ वृक्षों का जाल 5 एकड़ तक फैलता चला गया, जो आज विशाल पेड़ो में तब्दील हो चुका हैं. इन पेड़ों की शाखाएं दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं, लेकिन वन विभाग इस वाटिका में वृक्षारोपण नहीं करती हैं.

Farid Vatika
फरीद वाटिका

पढेंः उर्स शरीफ को हर्षोल्लास के साथ मनाया

बड़ वृक्षों ने नाम पर गांव का नाम

ग्रामीणों के मुताबिक एक बड़ वृक्ष से बनी वाटिका के नाम गांव का नाम बड़चिचोली रख दिया गया.

badachicholi village
बड़चिचोली गांव

गांव के हिंदू-मुस्लिम करते है उर्स का आयोजन

उर्स कमिटी के पद्माकर बवाने बताते हैं कि इस फरीद वाटिका में हर साल 2 फरवरी से 7 फरवरी तक उर्स का आयोजन किया जाता हैं, जिसमें बड़चिचोली गांव की जनता एक साथ सहयोग करके उर्स की शुरुआत करती है. लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण को देखते हुए उर्स के भव्य आयोजन पर प्रशासन ने रोक लगा दी है, इसलिए इस फरीद बाबा की दरगाह पर लोग कम पहुंच रहे हैं.

छिंदवाड़ा। पांढुर्णा तहसील का बड़चिचोली गांव कौमी एकता के लिए मशहूर है. बड़ (बरगदों के पेड़) से घिरे इस गांव में एक ऐसी दरगाह है, जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग एक साथ खुदा की इबादत करते हैं. ये दरगाह फरीदी दरगाह के नाम से प्रसिद्ध है. यही कारण है कि बड़चिचोली गांव की फरीदी दरगाह को कौमी एकता का दर्जा दिया गया है.

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा के पास बसे बड़चिचोली गांव में एक फरीद वाटिका है. यहां स्थित दरगाह की खास बात ये है कि इस दरगाह में हिंदू-मुस्लिम एक साथ फरीद बाबा की इबादत करते हैं. यहां हर मजहब के लोग आकर सिर झुकाते हैं और खुदा की इबादत करते हैं.

फरीदी दरगाह

कौमी एकता की मिसाल है दरगाह

ग्रामीण बताते हैं कि कई साल पहले इस फरीद वाटिका में एक छोटी सी दरगाह हुआ करती थी, जहां अंधेरा छाया रहता था. इस दरगाह पर जाने से हर कोई डरता था. लेकिन फिर दरगाह की मरम्मत कराने के लिए हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग आगे आए. जिसके बाद जनसहयोग के जरिए भव्य फरीद बाबा की दरगाह की स्थापना की गई, जो अब जिलेभर में कौमी एकता की मिसाल है.

Faridi Dargah
फरीदी दरगाह
Faridi Dargah
हिंदू-मुस्लिम एक साथ करते हैं खुदा की इबादत

पढ़ेंः हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक फेज़ अली शाह दाता का एक दिवसीय उर्स संपन्न

दरगाह के पास है हनुमान और शिव मंदिर

बड़चिचोली में फरीद दरगाह पर लोग खुदा की इबादत करने के बाद भगवान भोलेनाथ और हनुमान जी की आराधना करने भी पहुंचते हैं. क्योंकि दरगाह के पास ही हनुमान और शिव मंदिर है.

temple
हनुमान और शिव मंदिर

5 एकड़ में फैली है फरीद वाटिका

ग्रामीण नूर मोहम्मद बताते हैं कि कई साल पहले यहां बड़ (बरगद) का एक पेड़ हुआ करता था, लेकिन बदलते समय के साथ बड़ वृक्षों का जाल 5 एकड़ तक फैलता चला गया, जो आज विशाल पेड़ो में तब्दील हो चुका हैं. इन पेड़ों की शाखाएं दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं, लेकिन वन विभाग इस वाटिका में वृक्षारोपण नहीं करती हैं.

Farid Vatika
फरीद वाटिका

पढेंः उर्स शरीफ को हर्षोल्लास के साथ मनाया

बड़ वृक्षों ने नाम पर गांव का नाम

ग्रामीणों के मुताबिक एक बड़ वृक्ष से बनी वाटिका के नाम गांव का नाम बड़चिचोली रख दिया गया.

badachicholi village
बड़चिचोली गांव

गांव के हिंदू-मुस्लिम करते है उर्स का आयोजन

उर्स कमिटी के पद्माकर बवाने बताते हैं कि इस फरीद वाटिका में हर साल 2 फरवरी से 7 फरवरी तक उर्स का आयोजन किया जाता हैं, जिसमें बड़चिचोली गांव की जनता एक साथ सहयोग करके उर्स की शुरुआत करती है. लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण को देखते हुए उर्स के भव्य आयोजन पर प्रशासन ने रोक लगा दी है, इसलिए इस फरीद बाबा की दरगाह पर लोग कम पहुंच रहे हैं.

Last Updated : Feb 6, 2021, 11:03 PM IST
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