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सालों से पौधों की सेवा कर रहे बुजुर्ग, दिनचर्या जानकर रह जाएंगे हैरान

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Published : May 16, 2021, 6:25 AM IST

85 साल के जीसी गायकवाड़ कोरोना काल में भी पौधों के सेवा में लगातार जुटे हुए हैं. डीडीसी ग्राउंड में लगे पौधों में वे हर दिन पानी देते हैं. साथ पौधों की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी इंतजाम भी करते हैं. कोरोना संकट में उनका ये हौसला काबिले तारीफ है.

जीसी गायकवाड़
जीसी गायकवाड़

छिंदवाड़ा। आज जब कोरोना के चलते लोग ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे हैं, तब जरूर हमें वृक्षों की अहमियत समझ आने लगी है, लेकिन ऐसे भी बहुत लोग हैं, जो पहले से ही जानते हैं वृक्षों के होने का महत्व. आज हम आपको ऐसे ही एक बुजुर्ग से मिलाने जा रहे हैं. पर्यावरण से प्रेम और पौधों को बेटों की तरह पालने वाले ये बुजुर्ग किसी मिसाल से कम नहीं हैं. 39 साल पहले से लगातार पौधों को पानी देना और उन्हें सहेजने का उनका ये हौसला कोरोना भी नहीं डिगा पाया है.

छिंदवाड़ा स्पेशल

बेटे के तरह करते हैं पोधों की देखरेख

जीसी गायकवाड़ की उम्र अब करीब 85 साल ही चली है. गायकवाड़ साल 1982 से डीडीसी ग्राउंड में पौधों को बेटे की तरह पालते आ रहे हैं, फिर चाहे कोरोना का भयंकर काल हो, भीषण गर्मी हो या कड़कड़ाती ठंड हो दोनों ही सीजन में पौधों को पानी देना, उन्हें सुरक्षित रखने के लिए बाउंड्री वॉल बनाना यही उनकी दिनचर्या है. बुजुर्ग ने
ईटीवी भारत को बताया कि वे साल 1982 से इस ग्राउंड में आते हैं. पहले उन्होंने यहां पौधे लगाए थे, लेकिन बाद में विकास के नाम पर पौधों का कत्लेआम कर दिया गया. इसके बाद भी पौधे लगाने का उनका ये सिलसिला रुका नहीं. वे लगातार पौधों का संरक्षण करते आ रहे हैं.

आसान नहीं होता पौधों को पानी देना
दरअसल, ग्राउंड में टहलने आने वाले लोगों ने बताया कि बुजुर्ग हर दिन सुबह-शाम पार्क में आते हैं. वे कूड़ेदान में पड़ी पॉलिथीन और खाली बोतल उठाकर जहां भी उन्हें पानी मिलता है, उससे पानी भरकर लाते हैं. हर रोज पौधों को पानी देते हैं. इतना ही नहीं पौधों को जानवरों से बचाने के लिए कूड़ेदान में पड़े बोरे प्लास्टिक और दूसरे सामानों से ट्री गार्ड बनाकर सुरक्षा भी करते हैं.

कोरोना काल में भी नहीं छोड़ा पौधों का साथ

लोगों ने बताया कि कोरोना महामारी का भीषण दौर चल रहा है. लोग घरों से निकलने में भी डर रहे हैं, लेकिन बुजुर्ग पौधों को पानी डालना नहीं भूले हैं. वे हर दिन सुबह और शाम को पानी डालने आते हैं, ताकि पौधे बचे रहें. हालांकि, उन्होंने कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए अब सिर्फ डीडीसी ग्राउंड के पौधों में पानी डालने तक सीमित कर लिया है, ताकि वहां के पौधे सुरक्षित रह सकें.


वृक्षों को बचा लिया होता तो नहीं देखने पड़ते ये दिन
बुजुर्ग ने बताया कि अगर हर इंसान एक पौधा लगाता और उसे बचा लेता, तो शायद आज कोरोना के दौर में ऑक्सीजन का संकट नहीं होता. आज लोग ऑक्सीजन के लिए लड़ रहे हैं, तड़प रहे हैं, और इसके अभाव में दम भी तोड़ रहे हैं. इसके बाद भी पौधों का कत्लेआम लगातार जारी है. बुजुर्ग ने लोगों से अपील की है कि इस भीषण संकट काल को देखते हुए अब हर व्यक्ति को पेड़-पौधे लगाकर उनकी सुरक्षा करनी चाहिए.

छिंदवाड़ा। आज जब कोरोना के चलते लोग ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे हैं, तब जरूर हमें वृक्षों की अहमियत समझ आने लगी है, लेकिन ऐसे भी बहुत लोग हैं, जो पहले से ही जानते हैं वृक्षों के होने का महत्व. आज हम आपको ऐसे ही एक बुजुर्ग से मिलाने जा रहे हैं. पर्यावरण से प्रेम और पौधों को बेटों की तरह पालने वाले ये बुजुर्ग किसी मिसाल से कम नहीं हैं. 39 साल पहले से लगातार पौधों को पानी देना और उन्हें सहेजने का उनका ये हौसला कोरोना भी नहीं डिगा पाया है.

छिंदवाड़ा स्पेशल

बेटे के तरह करते हैं पोधों की देखरेख

जीसी गायकवाड़ की उम्र अब करीब 85 साल ही चली है. गायकवाड़ साल 1982 से डीडीसी ग्राउंड में पौधों को बेटे की तरह पालते आ रहे हैं, फिर चाहे कोरोना का भयंकर काल हो, भीषण गर्मी हो या कड़कड़ाती ठंड हो दोनों ही सीजन में पौधों को पानी देना, उन्हें सुरक्षित रखने के लिए बाउंड्री वॉल बनाना यही उनकी दिनचर्या है. बुजुर्ग ने
ईटीवी भारत को बताया कि वे साल 1982 से इस ग्राउंड में आते हैं. पहले उन्होंने यहां पौधे लगाए थे, लेकिन बाद में विकास के नाम पर पौधों का कत्लेआम कर दिया गया. इसके बाद भी पौधे लगाने का उनका ये सिलसिला रुका नहीं. वे लगातार पौधों का संरक्षण करते आ रहे हैं.

आसान नहीं होता पौधों को पानी देना
दरअसल, ग्राउंड में टहलने आने वाले लोगों ने बताया कि बुजुर्ग हर दिन सुबह-शाम पार्क में आते हैं. वे कूड़ेदान में पड़ी पॉलिथीन और खाली बोतल उठाकर जहां भी उन्हें पानी मिलता है, उससे पानी भरकर लाते हैं. हर रोज पौधों को पानी देते हैं. इतना ही नहीं पौधों को जानवरों से बचाने के लिए कूड़ेदान में पड़े बोरे प्लास्टिक और दूसरे सामानों से ट्री गार्ड बनाकर सुरक्षा भी करते हैं.

कोरोना काल में भी नहीं छोड़ा पौधों का साथ

लोगों ने बताया कि कोरोना महामारी का भीषण दौर चल रहा है. लोग घरों से निकलने में भी डर रहे हैं, लेकिन बुजुर्ग पौधों को पानी डालना नहीं भूले हैं. वे हर दिन सुबह और शाम को पानी डालने आते हैं, ताकि पौधे बचे रहें. हालांकि, उन्होंने कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए अब सिर्फ डीडीसी ग्राउंड के पौधों में पानी डालने तक सीमित कर लिया है, ताकि वहां के पौधे सुरक्षित रह सकें.


वृक्षों को बचा लिया होता तो नहीं देखने पड़ते ये दिन
बुजुर्ग ने बताया कि अगर हर इंसान एक पौधा लगाता और उसे बचा लेता, तो शायद आज कोरोना के दौर में ऑक्सीजन का संकट नहीं होता. आज लोग ऑक्सीजन के लिए लड़ रहे हैं, तड़प रहे हैं, और इसके अभाव में दम भी तोड़ रहे हैं. इसके बाद भी पौधों का कत्लेआम लगातार जारी है. बुजुर्ग ने लोगों से अपील की है कि इस भीषण संकट काल को देखते हुए अब हर व्यक्ति को पेड़-पौधे लगाकर उनकी सुरक्षा करनी चाहिए.

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