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छिंदवाड़ा में भगवान शिव का 250 साल पुराना पातालेश्वर मंदिर, शिवरात्रि पर लगता है आस्था का मेला - mp news

शिवरात्रि स्पेशलः छिंदवाड़ा में भगवान शिव का 250 साल पुराना मंदिर मौजूद है, महाशिवरात्रि के दिन लगती है लंबी-लंबी कतारें.

पातालेश्वर महादेव
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Published : Mar 4, 2019, 12:10 AM IST

छिंदवाड़ा। भगवान शिव का 16वीं-17वीं सदी का प्रचीन पातालेश्वर मंदिर छिंदवाड़ा में मौजूद है. पातालेश्वर मंदिर के बारे में मान्यता है कि करीब 250 साल पहले गंगा गिरी नाम के एक नागा साधु को भगवान शिव ने स्वप्न दर्शन दिए थे. भगवान शिव ने सपने में साधु को अपनी भौतिक मौजूदगी का एहसास भी दिला दिया. इसके बाद सपने की जगह जब खुदाई की गई तो वहां भगवान शिवलिंग रुप में मौजूद थे. कहा जाता है कि शिवलिंग गहराई में था, इसलिए इस मंदिर का नाम पातालेश्वर महादेव मंदिर पड़ गया.

मंदिर के पुजारी के अनुसार पातालेश्वर मंदिर में शिवरात्रि पर रात 12 बजे से भगवान शिव का अभिषेक शुरु हो जाता है. मंदिर भगवान शिव के जयघोष से गूंज उठता है, भक्त लंबी-लंबी लाइनों में भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए खड़े हो जाते हैं. शिवरात्रि के दौरान कई भक्त छिंदवाड़ा के बाहर से भी मंदिर में भगवान पातालेश्वर का दर्शन करने आते हैं.

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छिंदवाड़ा में भगवान शिव का 250 साल पुराना पातालेश्वर मंदिर

इसके अलावा मंदिर और नागा बाब गंगा गिरी के बारे में यहां एक जनश्रुति और है-
जनश्रुति के अनुसार नागा बाबा गंगागिरी एक सिद्ध पुरूष थे. इसलिए एक समय यहां तंत्र-मंत्र के लिए नेपाल तक के तांत्रिकों का जमावड़ा लगा रहता था. हालांकि आज भी यहां कई लोग समस्याओं के निवारण के लिए यज्ञ और अनुष्ठान कराते हैं.

इसके अलावा जनश्रुति के अनुसार मंदिर में एक बावड़ी भी है, जिसमें नागा बाबा गंगा गिरी ने मछलियां पाली हुई थीं. कहा जाता है कि ये मछलियां, आम मछलियां नहीं थी, बाबा गिरी ने कुछ मछलियों को सोने की नथ पहनाई हुई थी. कहते हैं कि उनकी गैरमौजूदगी में किसी ने मछलियों का शिकार कर दिया, लेकिन शिकार करने वाला खुद अगली सुबह नहीं देख पाया था.

छिंदवाड़ा। भगवान शिव का 16वीं-17वीं सदी का प्रचीन पातालेश्वर मंदिर छिंदवाड़ा में मौजूद है. पातालेश्वर मंदिर के बारे में मान्यता है कि करीब 250 साल पहले गंगा गिरी नाम के एक नागा साधु को भगवान शिव ने स्वप्न दर्शन दिए थे. भगवान शिव ने सपने में साधु को अपनी भौतिक मौजूदगी का एहसास भी दिला दिया. इसके बाद सपने की जगह जब खुदाई की गई तो वहां भगवान शिवलिंग रुप में मौजूद थे. कहा जाता है कि शिवलिंग गहराई में था, इसलिए इस मंदिर का नाम पातालेश्वर महादेव मंदिर पड़ गया.

मंदिर के पुजारी के अनुसार पातालेश्वर मंदिर में शिवरात्रि पर रात 12 बजे से भगवान शिव का अभिषेक शुरु हो जाता है. मंदिर भगवान शिव के जयघोष से गूंज उठता है, भक्त लंबी-लंबी लाइनों में भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए खड़े हो जाते हैं. शिवरात्रि के दौरान कई भक्त छिंदवाड़ा के बाहर से भी मंदिर में भगवान पातालेश्वर का दर्शन करने आते हैं.

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छिंदवाड़ा में भगवान शिव का 250 साल पुराना पातालेश्वर मंदिर

इसके अलावा मंदिर और नागा बाब गंगा गिरी के बारे में यहां एक जनश्रुति और है-
जनश्रुति के अनुसार नागा बाबा गंगागिरी एक सिद्ध पुरूष थे. इसलिए एक समय यहां तंत्र-मंत्र के लिए नेपाल तक के तांत्रिकों का जमावड़ा लगा रहता था. हालांकि आज भी यहां कई लोग समस्याओं के निवारण के लिए यज्ञ और अनुष्ठान कराते हैं.

इसके अलावा जनश्रुति के अनुसार मंदिर में एक बावड़ी भी है, जिसमें नागा बाबा गंगा गिरी ने मछलियां पाली हुई थीं. कहा जाता है कि ये मछलियां, आम मछलियां नहीं थी, बाबा गिरी ने कुछ मछलियों को सोने की नथ पहनाई हुई थी. कहते हैं कि उनकी गैरमौजूदगी में किसी ने मछलियों का शिकार कर दिया, लेकिन शिकार करने वाला खुद अगली सुबह नहीं देख पाया था.

Intro:छिंदवाड़ा का पातालेश्वर मंदिर पूरे मध्यप्रदेश में प्रसिद्ध है जहां भगवान शिव की मूर्ति गर्भ ग्रह से प्रकट हुई थी ऐसी मानता है करीब 250 वर्ष पहले एक बाबा ब्रह्मचारी नागा साधु गंगा गिरी बाबा छिंदवाड़ा आए थे जहां शिव ने उन्हें सपने में दर्शन दिया और उन्हें अपनी उपस्थिति का एहसास दिलाया उसी जगह पर भगवान शिव की प्रतिमा खुदाई के दौरान शिवलिंग गर्भ ग्रह पर मिला


Body:छिंदवाड़ा

छिंदवाड़ा में स्थित पातालेश्वर मंदिर पूरे मध्यप्रदेश में प्रसिद्ध है जहां भक्तों की भीड़ हर साल करीब डेढ़ से दो लाख भक्तगण दर्शन करने के लिए आते हैं वहां शिवरात्रि की रात्रि के पूर्व 12:00 बजे भक्त भजनों की भीड़ दर्शन के लिए उमड़ पड़ती है

पातालेश्वर मंदिर प्राचीन मानता है
मंदिर के पंडित जी ने बताया करीब 250 वर्ष पूर्व गुजरात की एक ब्रह्मचारी नागा साधु गंगा गिरी बाबा छिंदवाड़ा आए थे वहां उन्होंने कुछ समय अपना डेरा डाला ,गोस्वामी संप्रदाय के गंगागिरी एक सिद्ध पुरुष थे और सफेद घोड़े पर सवार होकर चलते थे यहां रहते हुए उन्हें धुनाई और नृत्य की तरह शिव की पूजा करने लगे बताया जाता है कि इस दौरान एक रात को उनके सपने में साक्षात शिव भगवान ने दर्शन दिया उन्हें उनकी नियत दूरी से अपनी स्थिति का आभास कराया बाबा गंगागिरी अपनी प्रथम पूजा का अवसर दिया अगले दिन जब बाबा नींद से उठे तब उन्होंने सपने में दिखे हुए स्थान पर खुदाई कराई ठीक स्वप्न में दिखा उसी स्थान पर नियत दूरी और गहराई पर शिवलिंग प्रकट हुआ

इसी प्रकार बावली की मछली में सोने की नथ यहां मौजूद वावली में गंगा गिरी बाबा ने मछली वाली थी इनमें से कुछ मछली को सोने की नथ पहनाई गई थी जो लोगों को काफी आकर्षित करती थी लोगों का कहना है कि उन मछलियों का शिकार कन्ना अपूर्णता वर्जित था बाबा जी की गैरमौजूदगी में किसी ने एक बार उनका शिकार कर लिया लेकिन शिकारी खुद अगली सुबह नहीं देख पाया

यहां और भी कई मान्यताएं हैं जैसे तंत्र मंत्र विद्या की पातालेश्वर मंदिर एक मठ के रूप में जाना जाता है कभी यहां नेपाल से पंडाल और तांत्रिकों का जमावड़ा लगता था बताया जाता है यह लोग अंचल और प्रदेश में मौजूद अपने शिष्य यज्ञ मानो जजमान ओं की समस्या के निवारण के लिए यहां विभिन्न तंत्र क्रियाएं और अनुष्ठान संपन्न किए जाते हैं

बाईट -1- तिलक गोस्वामी ,पंडित पातालकोट मंदिर


Conclusion:छिंदवाड़ा में स्थित पातालेश्वर मंदिर में लगभग शिवरात्रि की एक रात को 12:00 बजे से ही शिव अभिषेक होता है और भक्त गुणों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है भक्तगण रात से ही दर्शन करने के लिए रात्रि 12:00 बजे से ही लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं यहां मंदिर में लगभग हर साल डेढ़ से दो लाख भक्तजनों की भीड़ जमा होती है भगवान शिव का यह अद्भुत मंदिर जहां शिव स्वयं गर्भ ग्रह से निकले हैं भक्त बड़ों की आस्था देखते ही बनती है
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