छिंदवाड़ा। भगवान शिव का 16वीं-17वीं सदी का प्रचीन पातालेश्वर मंदिर छिंदवाड़ा में मौजूद है. पातालेश्वर मंदिर के बारे में मान्यता है कि करीब 250 साल पहले गंगा गिरी नाम के एक नागा साधु को भगवान शिव ने स्वप्न दर्शन दिए थे. भगवान शिव ने सपने में साधु को अपनी भौतिक मौजूदगी का एहसास भी दिला दिया. इसके बाद सपने की जगह जब खुदाई की गई तो वहां भगवान शिवलिंग रुप में मौजूद थे. कहा जाता है कि शिवलिंग गहराई में था, इसलिए इस मंदिर का नाम पातालेश्वर महादेव मंदिर पड़ गया.
मंदिर के पुजारी के अनुसार पातालेश्वर मंदिर में शिवरात्रि पर रात 12 बजे से भगवान शिव का अभिषेक शुरु हो जाता है. मंदिर भगवान शिव के जयघोष से गूंज उठता है, भक्त लंबी-लंबी लाइनों में भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए खड़े हो जाते हैं. शिवरात्रि के दौरान कई भक्त छिंदवाड़ा के बाहर से भी मंदिर में भगवान पातालेश्वर का दर्शन करने आते हैं.
इसके अलावा मंदिर और नागा बाब गंगा गिरी के बारे में यहां एक जनश्रुति और है-
जनश्रुति के अनुसार नागा बाबा गंगागिरी एक सिद्ध पुरूष थे. इसलिए एक समय यहां तंत्र-मंत्र के लिए नेपाल तक के तांत्रिकों का जमावड़ा लगा रहता था. हालांकि आज भी यहां कई लोग समस्याओं के निवारण के लिए यज्ञ और अनुष्ठान कराते हैं.
इसके अलावा जनश्रुति के अनुसार मंदिर में एक बावड़ी भी है, जिसमें नागा बाबा गंगा गिरी ने मछलियां पाली हुई थीं. कहा जाता है कि ये मछलियां, आम मछलियां नहीं थी, बाबा गिरी ने कुछ मछलियों को सोने की नथ पहनाई हुई थी. कहते हैं कि उनकी गैरमौजूदगी में किसी ने मछलियों का शिकार कर दिया, लेकिन शिकार करने वाला खुद अगली सुबह नहीं देख पाया था.