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गरीबों के राशन में अड़ंगा बनी टेक्नोलॉजी, छाया रोजी-रोटी का संकट - राशन की दुकान

कोरोना काल में गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों को पहले से काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में सरकारी दुकानों पर राशन लेने पहुंच रहे इन लोगों के लिए डिजिटल तकनीक ने और समस्याएं बढ़ा दी हैं. हालांकि, बारिश के मौसम में यह समस्या दोगुनी हो जाती है. जिसके कारण लोगों को कभी-कभी राशन के चक्कर में दिहाड़ी-मजदूरी से भी हाथ धोना पड़ जाता है.

Public distribution system
राशन की दुकान
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Published : Jun 13, 2021, 11:40 AM IST

छिंदवाड़ा। कोरोना काल में गरीबों को राहत देने के लिए सरकार ने तीन महीने का राशन मुफ्त में देने की घोषणा की है. सरकारी दुकानों में राशन पहुंच भी गया है, लेकिन डिजिटल तकनीक के कारण गरीबों को अनाज लेने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

गरीबों के राशन में अड़ंगा बनी टेक्नोलॉजी
नेटवर्क की समस्या से अन्न का संकट
दरअसल, पीडीएस (PDS) का राशन ऑनलाइन तरीके से गरीबों को बांटा जाता है. इस प्रक्रिया के तहत पीओएस मशीन में आधार फीडिंग होती है, और फिर फिंगरप्रिंट के माध्यम से गरीबों को राशन दिया जाता है. वहीं, अधिकतर गांव में नेटवर्क की समस्या होने के चलते ज्यादातर समय सर्वर बंद ही रहता है. जिसका खामियाजा गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों को उठाना पड़ता है. ऐसे लोग दिन-भर सरकारी राशन की दुकानों के चक्कर लगाने को मजबूर रहते हैं.

526 सरकारी राशन दुकानों की समस्या
जिले में सरकारी रिकॉर्ड के हिसाब से 1984 गांव हैं, जिनमें 526 सरकारी राशन की दुकानें संचालित की जाती हैं. वहीं, शहरी इलाकों में 89 सरकारी राशन की दुकानों के तहत गरीबों को राशन दिया जाता है. राशन दुकान संचालकों का कहना है कि पीओएस मशीन का सर्वर भोपाल मुख्यालय और हैदराबाद से कनेक्ट है. इसलिए स्थानीय स्तर पर उनकी समस्याओं का निराकरण भी नहीं होता है.


राशन दुकान फिर से खोलने देने की मांग, सेल्समैन पर 58 हजार के गबन के आरोप पर दुकान की गई थी निलंबित

राशन के चक्कर में मजदूरी खतरे में
राशन लेने सरकारी दुकान पहुंचे लोगों ने बताया की राशन लेने पहुंचते हैं, लेकिन अधिकतर समय मशीन का सर्वर खराब रहता है. जिसकी वजह से उन्हें राशन नहीं मिल पाता. लोगों ने बताया कि जब भी राशन लेने आते हैं, तो उस दौरान वे अपने मजदूरी का काम छोड़कर भी आते हैं. इसलिए उन्हें कई बार राशन भी नहीं मिल पाता और दिन भर की मजदूरी से भी हाथ धोना पड़ जाता है. बता दें कि वैसे तो सरकारी दुकानों में सर्वर की समस्या पूरे साल रहती है, लेकिन बारिश के मौसम में यह दोगुनी हो जाती है. जिसके कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

छिंदवाड़ा। कोरोना काल में गरीबों को राहत देने के लिए सरकार ने तीन महीने का राशन मुफ्त में देने की घोषणा की है. सरकारी दुकानों में राशन पहुंच भी गया है, लेकिन डिजिटल तकनीक के कारण गरीबों को अनाज लेने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

गरीबों के राशन में अड़ंगा बनी टेक्नोलॉजी
नेटवर्क की समस्या से अन्न का संकट
दरअसल, पीडीएस (PDS) का राशन ऑनलाइन तरीके से गरीबों को बांटा जाता है. इस प्रक्रिया के तहत पीओएस मशीन में आधार फीडिंग होती है, और फिर फिंगरप्रिंट के माध्यम से गरीबों को राशन दिया जाता है. वहीं, अधिकतर गांव में नेटवर्क की समस्या होने के चलते ज्यादातर समय सर्वर बंद ही रहता है. जिसका खामियाजा गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों को उठाना पड़ता है. ऐसे लोग दिन-भर सरकारी राशन की दुकानों के चक्कर लगाने को मजबूर रहते हैं.

526 सरकारी राशन दुकानों की समस्या
जिले में सरकारी रिकॉर्ड के हिसाब से 1984 गांव हैं, जिनमें 526 सरकारी राशन की दुकानें संचालित की जाती हैं. वहीं, शहरी इलाकों में 89 सरकारी राशन की दुकानों के तहत गरीबों को राशन दिया जाता है. राशन दुकान संचालकों का कहना है कि पीओएस मशीन का सर्वर भोपाल मुख्यालय और हैदराबाद से कनेक्ट है. इसलिए स्थानीय स्तर पर उनकी समस्याओं का निराकरण भी नहीं होता है.


राशन दुकान फिर से खोलने देने की मांग, सेल्समैन पर 58 हजार के गबन के आरोप पर दुकान की गई थी निलंबित

राशन के चक्कर में मजदूरी खतरे में
राशन लेने सरकारी दुकान पहुंचे लोगों ने बताया की राशन लेने पहुंचते हैं, लेकिन अधिकतर समय मशीन का सर्वर खराब रहता है. जिसकी वजह से उन्हें राशन नहीं मिल पाता. लोगों ने बताया कि जब भी राशन लेने आते हैं, तो उस दौरान वे अपने मजदूरी का काम छोड़कर भी आते हैं. इसलिए उन्हें कई बार राशन भी नहीं मिल पाता और दिन भर की मजदूरी से भी हाथ धोना पड़ जाता है. बता दें कि वैसे तो सरकारी दुकानों में सर्वर की समस्या पूरे साल रहती है, लेकिन बारिश के मौसम में यह दोगुनी हो जाती है. जिसके कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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