छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में आदिवासी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बड़े-बड़े दावे किए गए. पशु चिकित्सा विभाग ने 124 पोल्ट्री फार्म (Chhindwara Poultry Farm Scheme) बनाए ताकि महिलाओं को उससे जोड़ा जा सके. लेकिन अब विभाग की लापरवाही और ठेकेदार के चलते फायदा तो दूर महिलाओं को मजदूरी मिलना भी मुश्किल हो रहा है. इसे लेकर आक्रोशित और निराश महिलाएं अपने पैसों को वापस देने की मांग कर रही हैं. इस मामले पर ईटीवी भारत ने उपसंचालक पशुपालन डॉ. एचजीएस पक्षवार से उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने कैमरे के सामने आने से मना करते हुए फोन पर जानकारी दी.
जॉनसन इंटरप्राइजेज ने किया था अंडे खरीदने का करार
स्माल होल्डर पोल्ट्री फार्म योजना के तहत आदिवासी महिलाओं को पोल्ट्री फार्म बनाकर मुर्गियां दी गई थीं. मुर्गियां के अंडे खरीदने का करार भोपाल की जॉनसन इंटरप्राइजेज ने किया था. कंपनी ने एक अंडे के बदले में एक रूपए 10 पैसे देने का वादा किया था. साथ ही मुर्गी दाना देने का भी करार हुआ था. जॉनसन इंटरप्राइजेज ने महिलाओं से अंडे खरीद तो लिए लेकिन पैसे मांगे तो केवल कुछ दिनों का मुर्गी दाना ही दिया. अब आदिवासी महिलाएं अपने पैसे के लिए गुहार लगा रही हैं.
कई गांवों की महिलाएं हो रहीं परेशान
इस पूरे मामले की जांच पड़ताल करने जब ईटीवी भारत ग्राम कोपाखेड़ा और खुनझिरकला पहुंचा तो हकीकत का खुलासा हुआ. आदिवासी महिलाओं ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि उन्हें शुरुआत में बड़े-बड़े सपने दिखाकर पोल्ट्री फार्म खुलवाए गए. लेकिन एक अंडा के बदले उन्हें 1 रुपए 10 पैसे देने का जो वादा किया गया था वह पूरा नहीं हो सका. महिलाओं ने बताया कि कंपनी ने दाने की पूर्ति भी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में की. अब उनके सामने मुर्गियों को पालने का संकट खड़ा हो रहा है.
महिलाओं के साथ गलत नहीं हो रहा: एचजीएस पक्षवार
इस पूरे मामले पर पशु चिकित्सा विभाग ने सफाई देते हुए कहा कि किसी भी आदिवासी महिला के साथ गलत नहीं हुआ है. जब ईटीवी भारत ने उपसंचालक पशुपालन एवं डेयरी विभाग डॉ. एचजीएस पक्षवार से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कैमरे के सामने आने से इंकार कर दिया. फोन पर जानकारी देते हुए कहा कि स्मॉल होल्डर पोल्ट्री फार्म योजना के अंतर्गत हितग्राही को 74 हजार 112 लागत के 192 पोल्ट्री प्रदान किए जाते हैं. जिसमें 40 हजार 320 की मुर्गियां, 2 हजार 304 का परिवहन और 31 हजार 488 के दाने की राशि शामिल है. योजना में 16 हफ्ते के मुर्गियों के बच्चे बांटे जाते हैं जो अगले तीन से चार हफ्तों में अंडा देने की स्थिति में आ जाते हैं. इस योजना के तहत अभी तक जिले के आठ विकास खंडों में 150 गरीब आदिवासी महिलाओं का चयन किया गया है, जिसमें से 124 यूनिट में महिला हितग्राहियों को 23 हजार 808 मुर्गियां बांटी जा चुकी हैं. तामिया में 20 सौंसर में 6 यूनिट की मुर्गियां का वितरण किया जाना है और करार के मुताबिक सभी से अंडे खरीदे जा रहे हैं.
(Chhindwara Poultry Farm Scheme) (Tribal women asking money)