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4th Sawan Somwar: शिव की नगरी 'जुन्नारदेव विशाला', भस्मासुर से डरकर इन्हीं गुफाओं में छिपे थे भोलेनाथ,आज भी बहती है अविरल जलधारा - Chhindwara Junnardev Payari Temple

छिंदवाड़ा जिले के ग्राम पंचायत जुन्नारदेव विशाला में पहली पायरी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. विशाला पहली पायरी में प्रवाहित अविरल जलधारा का अपना अलग महत्व है. जलधारा में तीनों देव स्नान कर भगवान शंकर का दर्शन करने के लिए आगे बढ़े थे. आज भी जब चौरागढ़ का मेला लगता है तो लोग इसी पहली पायरी से यात्रा की शुरुआत करते हैं. (4th Sawan Somwar Special) (Chhindwara Junnardev Payari Temple)

bhasmasura and lord shiv katha
भस्मासुर से डरकर इन्हीं गुफाओं में छिपे थे भोलेनाथ
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Published : Aug 8, 2022, 6:19 AM IST

छिंदवाड़ा। भगवान शिव की लीला अपरंपार है. जहां भी वे विराजे हैं उस जगह की एक अलग ही मान्यता हैं. ऐसा ही एक स्थान है जुन्नारदेव विशाला का पहली पायरी. जुन्नारदेव का मतलब है सबसे पुराना अर्थात जूना. यहां पर जूना महादेव विराजित हैं. कहा जाता है कि जब भगवान शंकर ने भस्मासुर को आशीर्वाद दिया और फिर उसी आशीर्वाद को आजमाने के लिए भस्मासुर ने शंकर भगवान पर ही प्रयोग करना शुरू कर दिया था. तब शंकर भगवान भस्मासुर से बचते हुए चौरागढ़ की पहाड़ियों में जा रहे थे उसी दौरान यहां पर आकर भी छिपे थे.

श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है पहली पायरी मंदिर

अविरल जलधारा का है अपना महत्व: पहली पायरी के शिव मंदिर से अनेक पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई है. जिसकी आस्था के चलते बड़ी संख्या में लोग जहां पहुंचते हैं. पहली पायरी स्थित कुंड से पानी बहता रहता है. गर्मियों के दिनों में भी इस कुंड के पानी की रफ्तार कम नहीं होती. अविरल जलधारा का जल कहां से आता है इसका आज तक पता नहीं लग पाया है. अत्यन्त रोचक और रहस्यमय इस अविरल जलधारा का जल 12 महीनों तक निरंतर आता रहता है. मान्यता है इस जल का सेवन करने तथा स्नान करने से चर्म रोग सहित अन्य बीमारियां ठीक हो जाती हैं. शिवभक्त इस अविरल जलधारा में स्नान कर शिव की आराधना कर अपनी यात्रा प्रारंभ करते हैं.

fouth Sawan Somwar
मंदिर में महादेव शंकर माता पार्वती की प्रतिमाएं स्थापित हैं
fouth Sawan Somwar
श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है पहली पायरी मंदिर

भस्मासुर से डरकर भागे थे शिव: प्राचीन किंवदंती के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि राक्षस भस्मासुर को वरदान मिला था कि वह जिसके सर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा. तब वरदान की सत्यता को परखने के लिए उसने भगवान शंकर को ही चुन लिया था. वह भगवान शंकर के पीछे लग गया था. तब भगवान शिव ने पहली पायरी की गुफा में ही छिपकर जान बचाई थी. पंडितों का कहना है कि यहां से निकलने वाली अविरल जलधारा में तीनों देव स्नान कर भगवान शंकर का दर्शन करने के लिए आगे बढ़े थे. आज भी जब चौरागढ़ का मेला लगता है तो लोग इसी पहली पारी से यात्रा की शुरुआत करते हैं.

fouth Sawan Somwar
मकर संक्रांति और महाशिवरात्रि पर विशाल मेले का आयोजन होता है
fouth Sawan Somwar
भस्मासुर से डरकर गुफाओं में छिपे थे भगवान शिव

Sawan Somvar: जबलपुर में है भगवान शिव की 76 फीट ऊंची प्रतिमा, सावन माह में दर्शन के लिए भक्तों का लगता है मेला, जानिये महत्व

लगते हैं साल में तीन बार मेले: मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के जुन्नारदेव विकासखंड की ग्राम पंचायत विशाला में स्थित प्राचीन महादेव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. महाशिवरात्रि पर आयोजित होने वाली महादेव यात्रा में शिरकत करने वाले श्रद्धालु पहली पायरी से ही अपनी यात्रा प्रारम्भ करते हैं. मंदिर में महादेव शंकर, माता पार्वती की प्रतिमाएं स्थापित हैं. पौराणिक मान्यता है की भस्मासुर से अपना बचाव करते हुए महादेव शंकर विशाला होते हुए चौरागढ़ पर्वत पर पहुंचे थे. यही कारण है कि विशाला को महादेव यात्रा की पहली पायरी कहा जाता है. विशाला मंदिर में मकर संक्रांति और महाशिवरात्रि पर विशाल मेले का आयोजन होता है.

fouth Sawan Somwar
पहली पायरी से शुरु होती है महादेव यात्रा

प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण क्षेत्र में मंदिरों की श्रृंखला: विशाला में महादेव मंदिर के आसपास देवी-देवताओं के कई मंदिर स्थित हैं. अर्धनारीश्वर महादेव मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, मां शेरावाली का मंदिर, देवी काली मंदिर सहित अन्य मंदिर यहां मौजूद हैं. मंदिर के आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. सागौन के वृक्षों से लबरेज इस वन परिक्षेत्र में बंदर, मोर, खरगोश सहित अन्य वन्यप्राणी भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहते हैं. मंदिर शहरी क्षेत्र से लगभग 3 किमी की दूरी पर स्थित है. ट्रेन और बस के माध्यम से श्रद्धालु मंदिर तक पहुंचते हैं. जुन्नारदेव नगर में श्रद्धालुओं के रुकने के लिए लॉज और होटल भी हैं.

(4th Sawan Somwar Special) (Chhindwara Junnardev Payari Temple) (Importance of water stream) (Pahli Payari Mahadev Yatra) (4th sawan Somwar Pooja) (Bhasmasura Lord Shiv katha)

छिंदवाड़ा। भगवान शिव की लीला अपरंपार है. जहां भी वे विराजे हैं उस जगह की एक अलग ही मान्यता हैं. ऐसा ही एक स्थान है जुन्नारदेव विशाला का पहली पायरी. जुन्नारदेव का मतलब है सबसे पुराना अर्थात जूना. यहां पर जूना महादेव विराजित हैं. कहा जाता है कि जब भगवान शंकर ने भस्मासुर को आशीर्वाद दिया और फिर उसी आशीर्वाद को आजमाने के लिए भस्मासुर ने शंकर भगवान पर ही प्रयोग करना शुरू कर दिया था. तब शंकर भगवान भस्मासुर से बचते हुए चौरागढ़ की पहाड़ियों में जा रहे थे उसी दौरान यहां पर आकर भी छिपे थे.

श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है पहली पायरी मंदिर

अविरल जलधारा का है अपना महत्व: पहली पायरी के शिव मंदिर से अनेक पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई है. जिसकी आस्था के चलते बड़ी संख्या में लोग जहां पहुंचते हैं. पहली पायरी स्थित कुंड से पानी बहता रहता है. गर्मियों के दिनों में भी इस कुंड के पानी की रफ्तार कम नहीं होती. अविरल जलधारा का जल कहां से आता है इसका आज तक पता नहीं लग पाया है. अत्यन्त रोचक और रहस्यमय इस अविरल जलधारा का जल 12 महीनों तक निरंतर आता रहता है. मान्यता है इस जल का सेवन करने तथा स्नान करने से चर्म रोग सहित अन्य बीमारियां ठीक हो जाती हैं. शिवभक्त इस अविरल जलधारा में स्नान कर शिव की आराधना कर अपनी यात्रा प्रारंभ करते हैं.

fouth Sawan Somwar
मंदिर में महादेव शंकर माता पार्वती की प्रतिमाएं स्थापित हैं
fouth Sawan Somwar
श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है पहली पायरी मंदिर

भस्मासुर से डरकर भागे थे शिव: प्राचीन किंवदंती के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि राक्षस भस्मासुर को वरदान मिला था कि वह जिसके सर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा. तब वरदान की सत्यता को परखने के लिए उसने भगवान शंकर को ही चुन लिया था. वह भगवान शंकर के पीछे लग गया था. तब भगवान शिव ने पहली पायरी की गुफा में ही छिपकर जान बचाई थी. पंडितों का कहना है कि यहां से निकलने वाली अविरल जलधारा में तीनों देव स्नान कर भगवान शंकर का दर्शन करने के लिए आगे बढ़े थे. आज भी जब चौरागढ़ का मेला लगता है तो लोग इसी पहली पारी से यात्रा की शुरुआत करते हैं.

fouth Sawan Somwar
मकर संक्रांति और महाशिवरात्रि पर विशाल मेले का आयोजन होता है
fouth Sawan Somwar
भस्मासुर से डरकर गुफाओं में छिपे थे भगवान शिव

Sawan Somvar: जबलपुर में है भगवान शिव की 76 फीट ऊंची प्रतिमा, सावन माह में दर्शन के लिए भक्तों का लगता है मेला, जानिये महत्व

लगते हैं साल में तीन बार मेले: मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के जुन्नारदेव विकासखंड की ग्राम पंचायत विशाला में स्थित प्राचीन महादेव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. महाशिवरात्रि पर आयोजित होने वाली महादेव यात्रा में शिरकत करने वाले श्रद्धालु पहली पायरी से ही अपनी यात्रा प्रारम्भ करते हैं. मंदिर में महादेव शंकर, माता पार्वती की प्रतिमाएं स्थापित हैं. पौराणिक मान्यता है की भस्मासुर से अपना बचाव करते हुए महादेव शंकर विशाला होते हुए चौरागढ़ पर्वत पर पहुंचे थे. यही कारण है कि विशाला को महादेव यात्रा की पहली पायरी कहा जाता है. विशाला मंदिर में मकर संक्रांति और महाशिवरात्रि पर विशाल मेले का आयोजन होता है.

fouth Sawan Somwar
पहली पायरी से शुरु होती है महादेव यात्रा

प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण क्षेत्र में मंदिरों की श्रृंखला: विशाला में महादेव मंदिर के आसपास देवी-देवताओं के कई मंदिर स्थित हैं. अर्धनारीश्वर महादेव मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, मां शेरावाली का मंदिर, देवी काली मंदिर सहित अन्य मंदिर यहां मौजूद हैं. मंदिर के आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. सागौन के वृक्षों से लबरेज इस वन परिक्षेत्र में बंदर, मोर, खरगोश सहित अन्य वन्यप्राणी भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहते हैं. मंदिर शहरी क्षेत्र से लगभग 3 किमी की दूरी पर स्थित है. ट्रेन और बस के माध्यम से श्रद्धालु मंदिर तक पहुंचते हैं. जुन्नारदेव नगर में श्रद्धालुओं के रुकने के लिए लॉज और होटल भी हैं.

(4th Sawan Somwar Special) (Chhindwara Junnardev Payari Temple) (Importance of water stream) (Pahli Payari Mahadev Yatra) (4th sawan Somwar Pooja) (Bhasmasura Lord Shiv katha)

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