छिंदवाड़ा। श्रम कानूनों में फेरबदल के खिलाफ भारतीय मजदूर संघ के लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन सौंपा है. संशोधित श्रम संहिता में किए संसोधनों पर मजदूर संघ ने आपत्ती जताई और कहा कि इससे श्रमिकों के हितों का हनन होगा. सरकार को इन संशोधनों को वापस लेना चाहिए.
- श्रमिक संगठन के पंजीयन हेतु न्यूनतम 10% श्रमिक सदस्यता प्रमाणित करने की जटिल प्रक्रिया में संशोधन किया जाए
- श्रमिक संघ को मान्यता हेतु 51% सदस्य होना तथा 20% सदस्यता वालों से वार्ता करने पर समझौता नहीं करना
- श्रमिकों को सेवा संबंधी विवाद दायर करने के लिए अधिकतम 18 हजार रुपए वेतन पाने वालों को ही अधिकृत कर दिया जाए
क्या है नए प्रावधान
- आधुनिक न्याय अभिकरण में पूर्व से एक न्यायधीश जो कि जिला न्यायाधीश की वेतन श्रृंखला का होता था, परंतु प्रशासनिक अधिकारी भी अब निर्णय करने में शामिल होंगे
- कोई भी प्रबंधन 5-10 वर्ष की सेवा अवधि के लिए श्रमिकों को रखना उसे स्थाई करने की आवश्यकता नहीं होगी
- सेवा से संबंधित औद्योगिक विवाद जैसे छटनी, अवैध तालबंदी, ले ऑफ तथा अन्य किसी प्रकार के विवाद को उठाने के लिए पूर्व में 3 वर्ष की अवधि निर्धारित की गई थी जिसे घटाकर 2 वर्ष कर दी गई है
भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि यदि मांगों को लेकर सरकार कोई कदम नहीं उठाती तो, इससे श्रमिकों को घाटा उठाना पड़ेगा, जिस कारण संगठन को मजबूरन आंदोलन करना पड़ेगा.