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सीएम कमलनाथ के गृह जिले में साइकिल वितरण में देरी, ठेकेदार ने स्कूल को बनाया गोडाउन

सरकार की तरफ से छात्रों को मिलने वाली साइकिल जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते अब तक बच्चों को नहीं मिली है. छिदंवाड़ा जिले के पांढुर्ना के सरकारी स्कूल को ठेकेदार ने गोदाम में तब्दील कर दिया है, इससे बच्चों को खेलने तक की जगह नहीं बची.

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Published : Jul 24, 2019, 2:26 PM IST

छिंदवाड़ा। 'स्कूल चलें हम' अभियान के तहत बच्चों को मिलने वाली साइकिलें अब तक उन्हें नहीं मिल पाई हैं. मामला सीएम के गृह जिले के पांढुर्ना का है, जहां लाल बहादुर शास्त्री सरकारी स्कूल में सैकड़ों साइकिलें जंग खा रही हैं. वहीं ठेकेदार ने पूरे स्कूल को गोडाउन बना रखा है. स्कूल शिक्षकों का कहना है कि स्कूल में साइकिल रखने के कारण बच्चों को काफी दिक्कतें होती हैं.

ठेकेदार ने स्कूल को बनाया गोडाउन

शिक्षकों का कहना है कि पढ़ाई में परेशानी के साथ ही बच्चों को खेलने के लिए भी अब उनके पास जगह नहीं बची है. स्कूल को गोडाउन में तब्दील करने का यह पहला मौका नहीं है. पिछले 3-4 सालों से यहां हमेशा गोडाउन का काम होता है. पहले किताबें रखी जाती हैं फिर बाद में साइकिलें और अन्य काम लगभग साल भर चलते हैं.

अभी लगेगा और समय
साइकिल सप्लाई और असेंबल करने वाले ठेकेदार के कर्मचारी का कहना है कि 1 जुलाई से स्कूल में साइकिल असेंबल का काम चल रहा है, जो करीब 1 से 2 महीने और चलेगा.

सरकारी आदेश के बाद भी नहीं मानते ठेकेदार
जिला शिक्षा अधिकारी खुद बता रहे हैं कि साफतौर पर साइकिल सप्लाई करने वाले ठेकेदारों को सरकार ने आदेश किया है कि वे किसी भी स्कूल को गोडाउन या साइकिल रखने का जरिया ना बनाएं, लेकिन उसके बाद भी सीएम के गृह जिले में अगर कोई ऐसा कर रहा है, तो उसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी.

11 हजार 879 साइकिलों का होना है वितरण
जिले में कुल 11,889 साइकिलों का वितरण होना है, जिनमें से 6 हजार 680 नौवीं और 5 हजार 199 साइकिलें कक्षा छठवीं में बंटनी हैं, हालांकि जिले के कुछ स्कूलों में साइकिल बांटने का काम शुरू हो गया है, लेकिन ठेकेदार की लापरवाही के चलते असेंबलिंग में देरी हो रही है, जिसके चलते अधिकतर स्कूलों के बच्चे अभी भी साइकिल की राह देख रहे हैं.

छिंदवाड़ा। 'स्कूल चलें हम' अभियान के तहत बच्चों को मिलने वाली साइकिलें अब तक उन्हें नहीं मिल पाई हैं. मामला सीएम के गृह जिले के पांढुर्ना का है, जहां लाल बहादुर शास्त्री सरकारी स्कूल में सैकड़ों साइकिलें जंग खा रही हैं. वहीं ठेकेदार ने पूरे स्कूल को गोडाउन बना रखा है. स्कूल शिक्षकों का कहना है कि स्कूल में साइकिल रखने के कारण बच्चों को काफी दिक्कतें होती हैं.

ठेकेदार ने स्कूल को बनाया गोडाउन

शिक्षकों का कहना है कि पढ़ाई में परेशानी के साथ ही बच्चों को खेलने के लिए भी अब उनके पास जगह नहीं बची है. स्कूल को गोडाउन में तब्दील करने का यह पहला मौका नहीं है. पिछले 3-4 सालों से यहां हमेशा गोडाउन का काम होता है. पहले किताबें रखी जाती हैं फिर बाद में साइकिलें और अन्य काम लगभग साल भर चलते हैं.

अभी लगेगा और समय
साइकिल सप्लाई और असेंबल करने वाले ठेकेदार के कर्मचारी का कहना है कि 1 जुलाई से स्कूल में साइकिल असेंबल का काम चल रहा है, जो करीब 1 से 2 महीने और चलेगा.

सरकारी आदेश के बाद भी नहीं मानते ठेकेदार
जिला शिक्षा अधिकारी खुद बता रहे हैं कि साफतौर पर साइकिल सप्लाई करने वाले ठेकेदारों को सरकार ने आदेश किया है कि वे किसी भी स्कूल को गोडाउन या साइकिल रखने का जरिया ना बनाएं, लेकिन उसके बाद भी सीएम के गृह जिले में अगर कोई ऐसा कर रहा है, तो उसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी.

11 हजार 879 साइकिलों का होना है वितरण
जिले में कुल 11,889 साइकिलों का वितरण होना है, जिनमें से 6 हजार 680 नौवीं और 5 हजार 199 साइकिलें कक्षा छठवीं में बंटनी हैं, हालांकि जिले के कुछ स्कूलों में साइकिल बांटने का काम शुरू हो गया है, लेकिन ठेकेदार की लापरवाही के चलते असेंबलिंग में देरी हो रही है, जिसके चलते अधिकतर स्कूलों के बच्चे अभी भी साइकिल की राह देख रहे हैं.

Intro:छिंदवाड़ा। स्कूल चलें हम अभियान के तहत बच्चों को मिलने वाली साइकिल बच्चों तक ना पहुंच कर धूल फांक रही हैं मामला सीएम के गृह जिले छिंदवाड़ा के पांढुर्ना का है जहां के लाल बहादुर शास्त्री सरकारी स्कूल का है जहाँ पर सैकड़ों साइकिल सिर्फ धूल ही नहीं खा रही हैं बल्कि ठेकेदार ने पूरे स्कूल को गोडाउन बना रखा है।


Body:स्कूल शिक्षक का कहना है कि स्कूल में साइकिल रखने के कारण बच्चों को काफी दिक्कतें होती है पढ़ाई में परेशानी के साथ खेल के लिए भी अब उनके पास जगह नहीं बची है स्कूल को गोडाउन में तब्दील करने का यह पहला मौका नहीं है पिछले तीन-चार सालों से यहां हमेशा गोडाउन का काम होता है पहले किताबें रखी जाती हैं फिर बाद में साइकिलें और काम लगभग साल भर चलते रहता है।

अभी लगेगा और समय

साइकिल सप्लाई और असेंबल करने वाले ठेकेदार के कर्मचारी का कहना है कि 1 जुलाई से स्कूल में साइकिल असेंबल का काम चल रहा है और जो करीब 1 से 2 महीने और चलेगा।

सरकारी आदेश के बाद भी नहीं मानते ठेकेदार।

जिला शिक्षा अधिकारी खुद बता रहे हैं कि साफ तौर पर साइकिल सप्लाई करने वाले ठेकेदारों को सरकार ने आदेश किया है कि वे किसी भी स्कूल को गोडाउन या साइकिल रखने का जरिया ना बनाए लेकिन उसके बाद भी सीएम के गृह जिले में अगर कोई ऐसा कर रहा है तो भी उसकी जांच कर कार्रवाई करेंगे ।

11879 साइकिलों का होना है वितरण

जिले में कुल 11889 साइकिलों का वितरण होना है जिनमें से 6680 नवमीं में और 5199 कक्षा छठवीं में बँटना है हालांकि जिले के कुछ स्कूलों में साइकिल बांटने का काम शुरू हो गया है लेकिन ठेकेदार की लापरवाही के चलते असेंबलिंग में देरी हो रही है जिसके चलते अधिकतर स्कूलों के बच्चे अभी भी साइकिल की राह देख रहे हैं।



Conclusion:सरकारी आदेश के बावजूद भी मुख्यमंत्री के गृह जिले में ठेकेदार को नियम कानून की कोई परवाह नहीं है जिससे समझा जा सकता है कि जब छिंदवाड़ा जिले के हालात ऐसे हैं तो पूरे प्रदेश के क्या होंगे।
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