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भारत के संतरा निर्यात पर ग्रहण! बांग्लादेश ने निर्यात शुल्क बढ़ाया, किसानों की दिक्कत बढ़ी

छिंदवाड़ा जिले के संतरा उत्पादक किसानों के लिए बड़ा झटका है, दरअसल बांग्लादेश ने इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी है, जिसकी वजह से संतरा किसानों को अपनी फसल बेचने में दिक्कत होगी.

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Published : Nov 13, 2022, 1:30 PM IST

छिंदवाड़ा। संतरा उत्पादक किसानों और निर्यातकों के लिए चौका देने वाली खबर है. दरअसल भारत के 30% से अधिक संतरों का आयात करने वाले बांग्लादेश ने एक बार फिर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी है, जिसके चलते पश्चिम बंगाल की तीनों बॉर्डर पर खड़े संतरे के ट्रकों से लगभग ₹61 किलो के हिसाब से इंपोर्ट ड्यूटी वसूल की गई.

bangladesh increased import duty on oranges export from india
संतरा निर्यात पर किसानों की दिक्कत बढ़ी

अपने देश के फलों को दे तवज्जो: 2 महीने पहले इंपोर्ट ड्यूटी ₹34 किलो से बढ़ाकर ₹55 किलो की गई थी, 24 महीने पहले यह ड्यूटी ₹29 प्रति किलो थी, इस तरह 2 सालों में संतरों पर इंपोर्ट ड्यूटी दोगुना से अधिक हो गई है. दूसरी ओर मंगलवार को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने संसद में अपने देशवासियों से अपील की है कि वह अपने देश के ही उत्पादित फलों पर निर्भरता बढ़ाएं. भारत के सेब, अंगूर, संतरा आदि फलों के आयात पर डॉलर की कमी हो रही है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है." बता दें कि भारत से जाने वाले फलों को रोकने के लिए लगातार इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई जा रही है.

orange export problem
संतरा निर्यात पर किसानों की दिक्कत बढ़ी

इंपोर्ट ड्यूटी का बढ़ाए जाने का विरोध: पिछले 1 साल से भारत के इंडो-बांग्ला ऑरेंज एसोसिएशन के माध्यम से लगातार इंपोर्ट ड्यूटी कम करने की मांग की जा रही है. पिछले दिनों इस एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने प्रधानमंत्री से भी अपील की थी, लेकिन हर महीने संतरों के निर्यात में नई-नई अड़चनें बढ़ती जा रही हैं. इंडो-बांग्ला ऑरेंज एसोसिएशन के सदस्य सोनू खान ने बताया कि, "इंपोर्ट ड्यूटी लगातार बढ़ने के कारण बांग्लादेश का निर्यात मुश्किल होता जा रहा है. हम लगातार उचित माध्यम से किसानों व व्यापारियों की बात पहुंचा रहे हैं, लेकिन अब तक कोई राहत नहीं मिली है. फिलहाल किसानों और स्थानीय व्यापारियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा."

bangladesh increased import duty on oranges
संतरा निर्यात पर किसानों की दिक्कत बढ़ी

1 कैरेट पर 1900 का आ रहा खर्च: अब संतरों का बांग्लादेश निर्यात करना बहुत महंगा सौदा साबित हो रहा है, संतरे की मूल लागत को छोड़कर संतरों की पैकिंग, बॉर्डर का किराया, एलसी खर्च, सीएनएफ खर्च, इंपोर्ट ड्यूटी, बांग्लादेश के देशावर तक का परिवहन खर्च और मंडी की आढ़तदारी कमीशन का कुल खर्च लगभग ₹1900 प्रति कैरेट तक आ रहा है. यदि कोई कैरेट ₹2500 रुपए में बिकता है, तो व्यापारी या किसानों के हाथ में सिर्फ ₹600 आ रहे हैं. कई बार संतरा खराब होने या मार्केट में माल ज्यादा आने पर ₹1500 से लेकर ₹2000 के बीच नीलामी होती है, ऐसी स्थिति में व्यापारियों का पूरा पैसा डूब जाता है.

oranges export from india
संतरा निर्यात पर किसानों की दिक्कत बढ़ी

अब...नागपुर नहीं 'सतपुड़ा ऑरेंज' कहिए जनाब, यूएई तक बिखेरेगा अपनी मिठास, लोगो भी डिजाइन, बनेगी नई पहचान

हर दिन 30 से 40 हजार कैरेट संतरा होता है निर्यात: छिंदवाड़ा के संतरा व्यापारियों ने बताया कि, "भारत के फलों और सब्जियों के व्यापार में बांग्लादेश के मार्केट बड़ा योगदान है. संतरों से लेकर मिर्ची, टमाटर, सेब, अनार, सहित कई फलों और सब्जियों का बड़ी मात्रा में निर्यात होता है. बीते 1 महीने में विदर्भ के अलावा महाकौशल के छिंदवाड़ा जिले और राजस्थान बॉर्डर की भवानी मंडी से लगभग 30 से 40 हजार कैरेट संतरों का निर्यात रोजाना बांग्लादेश में हो रहा है, एक ट्रक में औसतन 1000 कैरेट जाते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री शेख हसीना की घोषणा के बाद यह निर्यात आधे से कम हो गया है. अब इन संतरों का दवाब भारत के बाजारों पर पड़ेगा, जिससे संतरे में मंदी आने की आशंका है."

छिंदवाड़ा। संतरा उत्पादक किसानों और निर्यातकों के लिए चौका देने वाली खबर है. दरअसल भारत के 30% से अधिक संतरों का आयात करने वाले बांग्लादेश ने एक बार फिर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी है, जिसके चलते पश्चिम बंगाल की तीनों बॉर्डर पर खड़े संतरे के ट्रकों से लगभग ₹61 किलो के हिसाब से इंपोर्ट ड्यूटी वसूल की गई.

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संतरा निर्यात पर किसानों की दिक्कत बढ़ी

अपने देश के फलों को दे तवज्जो: 2 महीने पहले इंपोर्ट ड्यूटी ₹34 किलो से बढ़ाकर ₹55 किलो की गई थी, 24 महीने पहले यह ड्यूटी ₹29 प्रति किलो थी, इस तरह 2 सालों में संतरों पर इंपोर्ट ड्यूटी दोगुना से अधिक हो गई है. दूसरी ओर मंगलवार को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने संसद में अपने देशवासियों से अपील की है कि वह अपने देश के ही उत्पादित फलों पर निर्भरता बढ़ाएं. भारत के सेब, अंगूर, संतरा आदि फलों के आयात पर डॉलर की कमी हो रही है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है." बता दें कि भारत से जाने वाले फलों को रोकने के लिए लगातार इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई जा रही है.

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संतरा निर्यात पर किसानों की दिक्कत बढ़ी

इंपोर्ट ड्यूटी का बढ़ाए जाने का विरोध: पिछले 1 साल से भारत के इंडो-बांग्ला ऑरेंज एसोसिएशन के माध्यम से लगातार इंपोर्ट ड्यूटी कम करने की मांग की जा रही है. पिछले दिनों इस एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने प्रधानमंत्री से भी अपील की थी, लेकिन हर महीने संतरों के निर्यात में नई-नई अड़चनें बढ़ती जा रही हैं. इंडो-बांग्ला ऑरेंज एसोसिएशन के सदस्य सोनू खान ने बताया कि, "इंपोर्ट ड्यूटी लगातार बढ़ने के कारण बांग्लादेश का निर्यात मुश्किल होता जा रहा है. हम लगातार उचित माध्यम से किसानों व व्यापारियों की बात पहुंचा रहे हैं, लेकिन अब तक कोई राहत नहीं मिली है. फिलहाल किसानों और स्थानीय व्यापारियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा."

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संतरा निर्यात पर किसानों की दिक्कत बढ़ी

1 कैरेट पर 1900 का आ रहा खर्च: अब संतरों का बांग्लादेश निर्यात करना बहुत महंगा सौदा साबित हो रहा है, संतरे की मूल लागत को छोड़कर संतरों की पैकिंग, बॉर्डर का किराया, एलसी खर्च, सीएनएफ खर्च, इंपोर्ट ड्यूटी, बांग्लादेश के देशावर तक का परिवहन खर्च और मंडी की आढ़तदारी कमीशन का कुल खर्च लगभग ₹1900 प्रति कैरेट तक आ रहा है. यदि कोई कैरेट ₹2500 रुपए में बिकता है, तो व्यापारी या किसानों के हाथ में सिर्फ ₹600 आ रहे हैं. कई बार संतरा खराब होने या मार्केट में माल ज्यादा आने पर ₹1500 से लेकर ₹2000 के बीच नीलामी होती है, ऐसी स्थिति में व्यापारियों का पूरा पैसा डूब जाता है.

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संतरा निर्यात पर किसानों की दिक्कत बढ़ी

अब...नागपुर नहीं 'सतपुड़ा ऑरेंज' कहिए जनाब, यूएई तक बिखेरेगा अपनी मिठास, लोगो भी डिजाइन, बनेगी नई पहचान

हर दिन 30 से 40 हजार कैरेट संतरा होता है निर्यात: छिंदवाड़ा के संतरा व्यापारियों ने बताया कि, "भारत के फलों और सब्जियों के व्यापार में बांग्लादेश के मार्केट बड़ा योगदान है. संतरों से लेकर मिर्ची, टमाटर, सेब, अनार, सहित कई फलों और सब्जियों का बड़ी मात्रा में निर्यात होता है. बीते 1 महीने में विदर्भ के अलावा महाकौशल के छिंदवाड़ा जिले और राजस्थान बॉर्डर की भवानी मंडी से लगभग 30 से 40 हजार कैरेट संतरों का निर्यात रोजाना बांग्लादेश में हो रहा है, एक ट्रक में औसतन 1000 कैरेट जाते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री शेख हसीना की घोषणा के बाद यह निर्यात आधे से कम हो गया है. अब इन संतरों का दवाब भारत के बाजारों पर पड़ेगा, जिससे संतरे में मंदी आने की आशंका है."

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