छिंदवाड़ा। पांढुर्णा में पशु विभाग तेजी से मवेशियों पर आधार टैग लगा रहा है, जिससे मवेशियों के स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जा सके. पशु विभाग के अधिकारियों ने बताया कि विकासखंड में टोटल 75 हजार मवेशियों को आधार टैग लगाना अनिवार्य कर दिया है.
क्या है आधार टैग ?
आधार टैग की योजना के तहत पशुपालन विभाग की टीम गांव-गांव जाकर मवेशियों के कान में टैग लगाती है. जिस पर पशु की नस्ल और मालिक का आधार नंबर मौजूद रहता है. इससे पशु मालिक की पहचान आसानी से की जा सकेगी. ये आधार टैग पशुओं के कान में लगाए जाते हैें, जिस पर 10 डिजिट का एक नंबर होता है. यह नंबर उस पशु की पहचान होती है.
इस आधार कार्ड में संबंधित पशु की आयु, बीमारी की जानकारी, खरीद-फरोख्त की तारीख, टीकाकरण आदि की जानकारियां दर्ज होंगी. इससे पशु की गणना का काम भी आसान हो जाएगा. इस योजना का मुख्य उद्देश्य पशुओं की नस्ल व दूध उत्पादन को बढ़ाना है.
ये भी पढ़ें- अब पशुओं को आधार से लिंक कर रहा प्रशासन, नस्ल के साथ टैग पर दर्ज कर रहा मालिक की पहचान
कृषि कार्य के लिए मवेशियों की अहम भूमिका होती है. इन मवेशियों के ऊपर खेती-किसानी का दारोमदार होता है, इसलिए सरकार अब इन मवेशियों के स्वास्थ को लेकर सजग हो गई है. मवेशियों के लिए पहचान टैग अनिवार्य कर दिया गया है. वहीं अगर किसी मवेशी के कान पर आधार टैग नहीं होगा, तो ऐसे मवेशियों को कृत्रिम गर्भाधान का लाभ सरकारी पशु विभाग में नही मिलेगा.
डॉक्टर केतन पांडे ने बताया कि पांढुर्णा विकासखंड में 75 हजार मवेशियों को आधार टैग लगाया जाना है. गाइडलाइन के मुताबिक गाय, भैंस और बैलों को चिन्हित कर उन्हें पहचान टैग लगाए जा रहे हैं. ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि सभी चिन्हित मवेशियों को सरकार की योजना और उनके स्वास्थ्य का लाभ मिल सके.
ये भी पढ़ें- अधर में आवास - 72 करोड़ की योजना के लिए नहीं बचा बजट, फंड के अभाव में अधूरे पड़े पीएम आवास
मवेशियों को लगाए जा रहे दो प्रकार के टीके
मवेशियों की पहचान टैग के साथ-साथ पशु विभाग की टीम, गाय, भैंस और बैलों के खुर और मुंहपका बीमारी के टीके भी लगा रही है, ताकि मवेशियों को बीमारियों से बचाया जा सके.