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फ्री करवा रहे सिविल सर्विसेज की तैयारी, इनके नाम पर दर्ज है वर्ल्ड रिकॉर्ड - Chhindwara

छिंदवाड़ा के अनिल उपाध्याय का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है. वे आज युवाओं को एमपी में 32 सेंटरों के जरिए फ्री में सिविल सर्विसेज की तैयारी करवाते हैं. जनिए, आखिर ऐसा क्या हुआ कि उन्होने युवाओं के भविष्य को गढ़ने के लिए ये कदम उठाया? देखिए, ईटीवी भारत से खास बातचीत.

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Published : Jan 25, 2021, 11:44 AM IST

Updated : Jan 25, 2021, 2:10 PM IST

छिंदवाड़ा। असफलता से हारकर मैदान छोड़ने वालों के लिए मिसाल हैं गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड धारक अनिल उपाध्याय. यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में महज कुछ अंकों से सफल नहीं हो सके तो दूसरों को सफलता की सीढ़ी चढ़ाने की ठानी. आज पूरे मध्य प्रदेश में 32 सेंटरों के जरिए वो फ्री में छात्रों को सिविल सर्विसेज की तैयारी करवा रहे हैं. इसके लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अनिल उपाध्याय ने कहा कि 'अगर आप कहीं सफल नहीं हो रहे हैं तो समझिए की आपके लिए ईश्वर ने कुछ और बड़ा सोचा होगा.'

अनिल उपाध्याय से बातचीत

अनिल उपाध्याय मूल रूप से मुरैना जिले के रहने वाले हैं. शुरू से उनका सपना सिविल सर्विसेज में जाने का था, जिसके लिए उन्होंने काफी मेहनत की. लेकिन मात्र 6 अंकों से पीछे रह गए. इसके बाद उन्होंने अपने जैसे दूसरे युवाओं को, जो सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुटे हैं, उनका सपना पूरा कराने की ठानी. खुद के 150 रुपए से उन्होने प्रतिज्ञा कोचिंग क्लासेज की शुरुआत की. इसी तरह पूरे प्रदेश में 32 सेंटर खुलवाए, जिनके माध्यम से लाखों बच्चों को अब फ्री में सिविल सर्विसेज की तैयारी करवाई जा रही है.

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम

अनिल उपाध्याय बताते हैं कि उन्होंने 150 रुपए की लागत से प्रतिज्ञा कोचिंग की शुरुआत की, धीरे-धीरे कारवां बढ़ता गया और सतना जिले के मैहर में उन्होंने एक साथ सबसे ज्यादा बच्चों को पढ़ाने का रिकॉर्ड बनाया. उन्होंने 50 हजार बच्चों को पढ़ाने के लिए गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने का आवेदन दिया था, लेकिन वहां पर एक लाख 25 हजार बच्चे पहुंचे, जिसके बाद अनिल ने एक साथ इतने बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने का रिकॉर्ड बनाया.

UPSC के रिजल्ट के बाद 5 साल तक नहीं मिले थे माता-पिता से

UPSC के रिजल्ट में असफल होने के बाद अनिल उपाध्याय पांच सालों तक अपने माता-पिता से नहीं मिले. उनका कहना है कि असफलता के बाद मन में ठाना था कि माता पिता के सामने जब जाऊं तो उनके पिता यह ना कहें कि असफल क्यों हो गया ? इसी डर से वे उन्हें नहीं मिले. वहीं उनके साथियों ने मैहर में एक इवेंट के दौरान बिना बताए उनके माता-पिता को बुला लिया था. लेकिन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने के बाद ही अनिल अपने पिता से मिले.

राज्यपाल ने पुस्तक का किया विमोचन

हाल ही में छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने अनिल उपाध्याय की पुस्तक 'आओ जाने मध्य प्रदेश' का छिन्दवाड़ा में विमोचन किया. इस मौके पर राज्यपाल ने उन्हें सम्मानित भी किया है. इस पुस्तक में मध्य प्रदेश की सामान्य ज्ञान से भरपूर सारी जानकारियां हैं.

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अनिल उपाध्याय को सम्मान
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राज्यपाल ने पुस्तक का किया विमोचन

असफल होने पर हारें नहीं, मंजिल पाने के लिए रास्ते बदलें

अनिल उपाध्याय ने ईटीवी भारत से बताया कि अगर आप एक बार असफल होते हैं तो इसका मतलब नहीं किया आप हार जाएं, बल्कि मंजिल पाने के लिए दूसरे रास्ते तलाशें. क्योंकि अगर आप एक बार असफल होते हैं तो यह समझ लें कि हो सकता आपके लिए ईश्वर ने कुछ और भी अच्छा सोचा होगा. इसलिए छोटी असफलताओं को दरकिनार करते हुए आगे बढ़ते जाना चाहिए.

छिंदवाड़ा। असफलता से हारकर मैदान छोड़ने वालों के लिए मिसाल हैं गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड धारक अनिल उपाध्याय. यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में महज कुछ अंकों से सफल नहीं हो सके तो दूसरों को सफलता की सीढ़ी चढ़ाने की ठानी. आज पूरे मध्य प्रदेश में 32 सेंटरों के जरिए वो फ्री में छात्रों को सिविल सर्विसेज की तैयारी करवा रहे हैं. इसके लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अनिल उपाध्याय ने कहा कि 'अगर आप कहीं सफल नहीं हो रहे हैं तो समझिए की आपके लिए ईश्वर ने कुछ और बड़ा सोचा होगा.'

अनिल उपाध्याय से बातचीत

अनिल उपाध्याय मूल रूप से मुरैना जिले के रहने वाले हैं. शुरू से उनका सपना सिविल सर्विसेज में जाने का था, जिसके लिए उन्होंने काफी मेहनत की. लेकिन मात्र 6 अंकों से पीछे रह गए. इसके बाद उन्होंने अपने जैसे दूसरे युवाओं को, जो सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुटे हैं, उनका सपना पूरा कराने की ठानी. खुद के 150 रुपए से उन्होने प्रतिज्ञा कोचिंग क्लासेज की शुरुआत की. इसी तरह पूरे प्रदेश में 32 सेंटर खुलवाए, जिनके माध्यम से लाखों बच्चों को अब फ्री में सिविल सर्विसेज की तैयारी करवाई जा रही है.

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम

अनिल उपाध्याय बताते हैं कि उन्होंने 150 रुपए की लागत से प्रतिज्ञा कोचिंग की शुरुआत की, धीरे-धीरे कारवां बढ़ता गया और सतना जिले के मैहर में उन्होंने एक साथ सबसे ज्यादा बच्चों को पढ़ाने का रिकॉर्ड बनाया. उन्होंने 50 हजार बच्चों को पढ़ाने के लिए गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने का आवेदन दिया था, लेकिन वहां पर एक लाख 25 हजार बच्चे पहुंचे, जिसके बाद अनिल ने एक साथ इतने बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने का रिकॉर्ड बनाया.

UPSC के रिजल्ट के बाद 5 साल तक नहीं मिले थे माता-पिता से

UPSC के रिजल्ट में असफल होने के बाद अनिल उपाध्याय पांच सालों तक अपने माता-पिता से नहीं मिले. उनका कहना है कि असफलता के बाद मन में ठाना था कि माता पिता के सामने जब जाऊं तो उनके पिता यह ना कहें कि असफल क्यों हो गया ? इसी डर से वे उन्हें नहीं मिले. वहीं उनके साथियों ने मैहर में एक इवेंट के दौरान बिना बताए उनके माता-पिता को बुला लिया था. लेकिन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने के बाद ही अनिल अपने पिता से मिले.

राज्यपाल ने पुस्तक का किया विमोचन

हाल ही में छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने अनिल उपाध्याय की पुस्तक 'आओ जाने मध्य प्रदेश' का छिन्दवाड़ा में विमोचन किया. इस मौके पर राज्यपाल ने उन्हें सम्मानित भी किया है. इस पुस्तक में मध्य प्रदेश की सामान्य ज्ञान से भरपूर सारी जानकारियां हैं.

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अनिल उपाध्याय को सम्मान
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राज्यपाल ने पुस्तक का किया विमोचन

असफल होने पर हारें नहीं, मंजिल पाने के लिए रास्ते बदलें

अनिल उपाध्याय ने ईटीवी भारत से बताया कि अगर आप एक बार असफल होते हैं तो इसका मतलब नहीं किया आप हार जाएं, बल्कि मंजिल पाने के लिए दूसरे रास्ते तलाशें. क्योंकि अगर आप एक बार असफल होते हैं तो यह समझ लें कि हो सकता आपके लिए ईश्वर ने कुछ और भी अच्छा सोचा होगा. इसलिए छोटी असफलताओं को दरकिनार करते हुए आगे बढ़ते जाना चाहिए.

Last Updated : Jan 25, 2021, 2:10 PM IST
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