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24 घंटे सेवा दे रही कंडम एंबुलेंस, इमरजेंसी में 45 किमी दूर से बुलानी पड़ती है संजीवनी - पांढुर्णा सरकारी अस्पताल

छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा सरकारी अस्पताल की एंबुलेंस 108 की स्थिति जर्जर है. इसके बाद भी 24 घंटे मरीजों की सेवा में लगी है. ऐसे में मरीजों को रेफर करने के लिए 45 किमी दूर से एंबुलेंस मंगानी पड़ती है.

ambulance 108
संजीवनी 108
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Published : Jul 9, 2020, 5:19 PM IST

Updated : Jul 9, 2020, 6:11 PM IST

छिंदवाड़ा। पांढुर्णा की 108 एम्बुलेंस की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है. इसके बावजूद ये एम्बुलेंस 24 घंटे मरीजों की सेवा में लगी है. अगर मरीजों को रेफर करना है तो उन मरीजों के लिए पड़ोसी तहसील की संजीवनी को बुलाना पड़ता है, तब जाकर मरीजों को छिंदवाड़ा या नागपुर रेफर किया जाता है. वहीं दिनों दिन सड़क दुर्घटना का ग्राफ भी बढ़ता ही जा रहा है.

आलम ये है कि आपातकालीन परिस्थितियों में अगर गंभीर मरीजों को छिंदवाड़ा जिला अस्पताल या नागपुर मेडिकल कॉलेज रेफर करना है तो उन मरीजों को पड़ोसी तहसील सौंसर, प्रभातपट्टन 45 किलोमीटर दूर से एम्बुलेंस बुलाना पड़ता है, तब जाकर मरीजों को रेफर किया जाता है. बताया जा रहा है कि 171 गांव की जिम्मेदारी इस कंडम एम्बुलेंस के जिम्मे है. लिहाजा, इस क्षेत्र के लिए नई संजीवनी की दरकार है.

कंडम एंबुलेंस दे रही 24 घंटे सेवा

पांढुर्णा सरकारी अस्पताल की एंबुलेंस आए दिन खराब हो जाती है, जिसे सुधरवाने के लिए छिंदवाड़ा भेजा जाता है. ऐसे में जिला प्रशासन लोगों की जान को दांव पर लगाकर एंबुलेंस का संचालन कर रही है. जो 24 घंटे मरीजों की सेवा में लगी है. इस दौरान अगर कोई घटना या दुर्घटना होती है और उन मरीजों को रेफर करने की नौबत आती है तो मरीजों के लिए पड़ोसी तहसील की 108 संजीवनी बुलानी पड़ती है. ऐसे समय में पड़ोसी तहसील की संजीवनी लेट होती है तो मरीजों को दर्द से तड़पना पड़ता है.

इमरजेंसी में किराये पर बुलानी पड़ती हैं एम्बुलेंस

इमरजेंसी होने पर मरीजों के परिजनों को किराये पर निजी एंबुलेंस की व्यवस्था करनी पड़ती है, जिसके लिए 1500 की रसीद कटाना पड़ता है. ऐसे में गरीब परिवारों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

छिंदवाड़ा। पांढुर्णा की 108 एम्बुलेंस की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है. इसके बावजूद ये एम्बुलेंस 24 घंटे मरीजों की सेवा में लगी है. अगर मरीजों को रेफर करना है तो उन मरीजों के लिए पड़ोसी तहसील की संजीवनी को बुलाना पड़ता है, तब जाकर मरीजों को छिंदवाड़ा या नागपुर रेफर किया जाता है. वहीं दिनों दिन सड़क दुर्घटना का ग्राफ भी बढ़ता ही जा रहा है.

आलम ये है कि आपातकालीन परिस्थितियों में अगर गंभीर मरीजों को छिंदवाड़ा जिला अस्पताल या नागपुर मेडिकल कॉलेज रेफर करना है तो उन मरीजों को पड़ोसी तहसील सौंसर, प्रभातपट्टन 45 किलोमीटर दूर से एम्बुलेंस बुलाना पड़ता है, तब जाकर मरीजों को रेफर किया जाता है. बताया जा रहा है कि 171 गांव की जिम्मेदारी इस कंडम एम्बुलेंस के जिम्मे है. लिहाजा, इस क्षेत्र के लिए नई संजीवनी की दरकार है.

कंडम एंबुलेंस दे रही 24 घंटे सेवा

पांढुर्णा सरकारी अस्पताल की एंबुलेंस आए दिन खराब हो जाती है, जिसे सुधरवाने के लिए छिंदवाड़ा भेजा जाता है. ऐसे में जिला प्रशासन लोगों की जान को दांव पर लगाकर एंबुलेंस का संचालन कर रही है. जो 24 घंटे मरीजों की सेवा में लगी है. इस दौरान अगर कोई घटना या दुर्घटना होती है और उन मरीजों को रेफर करने की नौबत आती है तो मरीजों के लिए पड़ोसी तहसील की 108 संजीवनी बुलानी पड़ती है. ऐसे समय में पड़ोसी तहसील की संजीवनी लेट होती है तो मरीजों को दर्द से तड़पना पड़ता है.

इमरजेंसी में किराये पर बुलानी पड़ती हैं एम्बुलेंस

इमरजेंसी होने पर मरीजों के परिजनों को किराये पर निजी एंबुलेंस की व्यवस्था करनी पड़ती है, जिसके लिए 1500 की रसीद कटाना पड़ता है. ऐसे में गरीब परिवारों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

Last Updated : Jul 9, 2020, 6:11 PM IST
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