छिंदवाड़ा। 5 दिन बाद साल 2019 अलविदा हो जाएगा. छोड़ जाएगा तो सिर्फ खट्टी मीठी यादें. 2019 के दौरान देश के दिल में कई बदलाव हुए. राजनीति से लेकर खेल और दावों से लेकर वादों को लेकर मध्यप्रदेश चर्चा में रहा. छिंदवाड़ा को इस साल दो नाथ मिले. पहले ने सूबे की कमान संभाली तो दूसरा पहली बार देश की सबसे बड़ी पंचायत तक पहुंचा. बात कर रहे हैं मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ की.
2019 में छिंदवाड़ा कांग्रेस के लिए अहम साल साबित हुआ. यहां से पिता की विरासत को अपने कंधों पर लेकर नकुलनाथ सांसद बने, जबकि खुद कमलनाथ पहली बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने और छिंदवाड़ा सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल की. कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ का कहना है कि वह मध्यप्रदेश में कांग्रेस के इकलौते सांसद हैं इसलिए विकास की रफ्तार और तेज होगी.
मोदी लहर के बाद भी छिंदवाड़ा पर कांग्रेस ने मारी बाजी
साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में बीजेपी का दबदबा रहा. 29 में से 28 सीटों पर बीजेपी ने परचम लहराया था. छिंदवाड़ा ही एक सीट ऐसी थी जहां से कांग्रेस का प्रत्याशी जीता. नकुलनाथ यहां से संसद तक पहुंचे और कांग्रेस की लाज बचाई. खास बात यही है कि कमलनाथ की पकड़ के चलते छिंदवाड़ा में मोदी मैजिक नहीं चल पाया.
स्वास्थ्य और शिक्षा का हब बनाने पर जोर
कमलनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद सबसे पहले छिंदवाड़ा में मेडिकल कॉलेज का शुभारंभ किया. हालांकि मेडिकल कॉलेज को लेकर भाजपा और कांग्रेस में हमेशा श्रेय की राजनीति चलती रही है. छिंदवाड़ा को मेडिकल हब के रूप में विकसित करने के लिए प्रदेश का सबसे ज्यादा बजट वाला मेडिकल कॉलेज और सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल छिंदवाड़ा में बन रहा है. तो वहीं नकुल नाथ ने युवाओं पर ध्यान देते हुए छिंदवाड़ा में विश्वविद्यालय खुलवाने में अहम भूमिका निभाई.