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भूख के आगे कानून फेल, लॉकडाउन तोड़कर सड़कों पर उतरी महिलाएं - खजुराहो में राशन की समस्या

कहते हैं भूख सबसे बड़ी चीज है, पेट की आग कोई कानून नहीं देखती. शायद ऐसा ही कुछ माजरा खजुराहो की सड़कों पर देखने को मिला जब कुछ महिलाएं लॉकडाउन तोड़कर अपने घर परिवार की भूख की आग मिटाने के लिए एसडीएम बंगले की ओर निकल पड़ीं.

Women came out on the streets breaking the lockdown in Chhatarpur
भूख के आगे कानून फेल, लॉकडाउन तोड़कर सड़कों पर उतरी महिलाएं
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Published : Apr 27, 2020, 7:29 PM IST

छतरपुर। खजुराहो के शांति नगर कॉलोनी की कुछ महिलाओं ने राशन की समस्या को लेकर पैदल चलकर एसडीएम बंगले की तरफ कूच किया और अपनी आपबीती आवेदन के साथ देते हुए एसडीएम से गुहार लगाई कि हमें राशन दिलवाएं.

राजनगर अनुविभागीय अधिकारी आईएएस स्वप्निल बनखेड़े ने इन महिलाओं की समस्या के निराकरण के लिए आवेदन लेते हुए, शीघ्र उनकी समस्या को सुलझाने का आश्वासन दिया. नगर परिषद खजुराहो में फोन लगाकर इस संदर्भ में तुरंत बात की और आई हुई उन महिलाओं को आश्वस्त करते हुए कहा कि जो भी पात्र हैं और नगर परिषद द्वारा चिन्हित परिवार हैं, उन्हें उन तक राशन पानी प्रदान कराया जाएगा.

साथ ही उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए महिलाओं से यह भी कहा कि लॉकडाउन के चलते इस तरह भीड़ के साथ आना न्याय संगत नहीं है. आप कानून का पालन करें, आवेदन देने के लिए एक या दो महिलाएं भी आ सकती थीं. एक साथ इतनी महिलाओं का आना ना सिर्फ कानून के हिसाब से गलत है, बल्कि आपके अपने स्वयं के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी यह बहुत ही खतरनाक है.

निश्चित रूप से उपस्थित महिलाओं ने उनकी इस बात को गंभीरता से सुना, लेकिन उनका एक ही जवाब था कि हमें राशन चाहिए हम भूखे हैं. जिससे एक ही मतलब निकल कर आता है कि भूख के आगे कानून भी छोटा पड़ गया.

छतरपुर। खजुराहो के शांति नगर कॉलोनी की कुछ महिलाओं ने राशन की समस्या को लेकर पैदल चलकर एसडीएम बंगले की तरफ कूच किया और अपनी आपबीती आवेदन के साथ देते हुए एसडीएम से गुहार लगाई कि हमें राशन दिलवाएं.

राजनगर अनुविभागीय अधिकारी आईएएस स्वप्निल बनखेड़े ने इन महिलाओं की समस्या के निराकरण के लिए आवेदन लेते हुए, शीघ्र उनकी समस्या को सुलझाने का आश्वासन दिया. नगर परिषद खजुराहो में फोन लगाकर इस संदर्भ में तुरंत बात की और आई हुई उन महिलाओं को आश्वस्त करते हुए कहा कि जो भी पात्र हैं और नगर परिषद द्वारा चिन्हित परिवार हैं, उन्हें उन तक राशन पानी प्रदान कराया जाएगा.

साथ ही उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए महिलाओं से यह भी कहा कि लॉकडाउन के चलते इस तरह भीड़ के साथ आना न्याय संगत नहीं है. आप कानून का पालन करें, आवेदन देने के लिए एक या दो महिलाएं भी आ सकती थीं. एक साथ इतनी महिलाओं का आना ना सिर्फ कानून के हिसाब से गलत है, बल्कि आपके अपने स्वयं के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी यह बहुत ही खतरनाक है.

निश्चित रूप से उपस्थित महिलाओं ने उनकी इस बात को गंभीरता से सुना, लेकिन उनका एक ही जवाब था कि हमें राशन चाहिए हम भूखे हैं. जिससे एक ही मतलब निकल कर आता है कि भूख के आगे कानून भी छोटा पड़ गया.

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