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तहसीलदार के विरोध में हड़ताल पर बैठे ग्रामीण, पीएम आवास गिराए जाने से हैं नाराज

घुवारा में बीते 4 दिसंबर को घुवारा तहसीलदार सुनील वर्मा और नगर परिषद सीएमओ मिथलेश गिरी गोस्वामी ने भारी पुलिस की मौजूदगी में मजदूरों के प्रधानंत्री आवास गिराए जाने के बाद ग्रामीण धरने पर बैठ गए हैं.

Villagers sitting on strike in protest against Tehsildar in Ghuwara of Chhatarpur
तहसीलदार के विरोध में हड़ताल पर बैठे ग्रामीण
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Published : Dec 11, 2020, 7:33 PM IST

छतरपुर। घुवारा में गुरुवार की दोपहर से घुवारा के मेन बस स्टैंड पर ग्रामीणों ने घुवारा तहसीलदार सुनील वर्मा के विरोध में मोर्चा खोल दिया है और आधा सैकड़ा बच्चों के साथ अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठ गए है. हड़ताल पर बैठे लोगों ने नायब तहसीलदार सुनील कुमार बाल्मीक को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौपा. ज्ञापन में घुवारा तहसीलदार सुनील वर्मा को हटाने और मुआवजा राशि दिलाए जाने की मांग की गई.

बता दें कि नगर घुवारा में बीते 4 दिसंबर को घुवारा तहसीलदार सुनील वर्मा और नगर परिषद सीएमओ मिथलेश गिरी गोस्वामी ने भारी पुलिस की मौजूदगी में मजदूरों के प्रधानंत्री आवासों को गिरा दिया गया था.

मकान गिराए जाने के बाद से ही ये मजदूर खुले आकाश के नीचे अपने बच्चे के साथ कडकडाती ठंड में जीवन यापन कर रहे हैं. ग्रामीणों ने चेतावनी दी की अगर शासन प्रशासन उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है वे आत्महत्या करने को मजबूर हो जाएंगी, जिसकी जाबदारी प्रशासन की रहेगी.

छतरपुर। घुवारा में गुरुवार की दोपहर से घुवारा के मेन बस स्टैंड पर ग्रामीणों ने घुवारा तहसीलदार सुनील वर्मा के विरोध में मोर्चा खोल दिया है और आधा सैकड़ा बच्चों के साथ अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठ गए है. हड़ताल पर बैठे लोगों ने नायब तहसीलदार सुनील कुमार बाल्मीक को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौपा. ज्ञापन में घुवारा तहसीलदार सुनील वर्मा को हटाने और मुआवजा राशि दिलाए जाने की मांग की गई.

बता दें कि नगर घुवारा में बीते 4 दिसंबर को घुवारा तहसीलदार सुनील वर्मा और नगर परिषद सीएमओ मिथलेश गिरी गोस्वामी ने भारी पुलिस की मौजूदगी में मजदूरों के प्रधानंत्री आवासों को गिरा दिया गया था.

मकान गिराए जाने के बाद से ही ये मजदूर खुले आकाश के नीचे अपने बच्चे के साथ कडकडाती ठंड में जीवन यापन कर रहे हैं. ग्रामीणों ने चेतावनी दी की अगर शासन प्रशासन उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है वे आत्महत्या करने को मजबूर हो जाएंगी, जिसकी जाबदारी प्रशासन की रहेगी.

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