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UNESCO World Heritage: खतरे में खजुराहो का शिवमंदिर, महाकाल लोक की तर्ज पर विकास की बाट जोह रहे मतंगेश्वर महादेव - Historic Matangeshwar Mahadev Temple

MP का खजुराहो विश्व प्रसिद्ध है. यहां के ऐतिहासिक मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर है. हर साल लाखों की संख्या में यहां देश विदेश से भक्त आते हैं. मंदिर में 18 फीट का विशाल शिवलिंग है. लेकिन पर्यटन नगरी के ऐतिहासिक मतंगेश्वर महादेव मंदिर का ढांचा इन दिनों खस्ता हालत में है. बारिश के दिनों में हालात और ज्यादा बदत्तर हो जाते हैं. पुजारी और भक्तों को छाते के सहारे मंदिर में पूजा-पाठ करना पड़ता है.

Living Shivling of world heritage in danger
खतरे में विश्व धरोहर का जीवित शिवलिंग
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Published : Oct 8, 2022, 7:56 PM IST

छतरपुर। खजुराहो के ऐतिहासिक मंदिर पर्यटन के लिए प्रसिद्ध हैं. यहां साल भर में 50 हजार से ज्यादा विदेशी और ढाई लाख से ज्यादा भारतीय पर्यटक मंदिरों को देखने के लिए आते हैं. यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर है. पर्यटन नगरी के ऐतिहासिक मतंगेश्वर महादेव मंदिर का ढांचा इन दिनों खस्ता हालत में है. छत पर दीवारों में दरार आ गई हैं, बारिश में मंदिर के अंदर पानी टपक रहा है. बारिश के समय में पुजारी और भक्तों को मंदिर में छाता लगाना पड़ता है.

खतरे में विश्व धरोहर का जीवित शिवलिंग: मतंगेश्वर महादेव मंदिर 9वीं सदी में बना प्राचीन शिव मंदिर है. मंदिर में 18 फीट का विशाल शिवलिंग है. यह मंदिर पुरातत्व विभाग की देखरेख में है. अब मंदिर का वजूद खतरे में पड़ता दिख रहा है. मंदिर के गर्भ गृह में जगह-जगह दरारें आ गई हैं. बारिश के समय मंदिर में बैठने तक को जगह नहीं बचती. बरसात के समय मातंगेश्वर महादेव मंदिर की छत व दीवारों से पानी टपकता है, जिस कारण पुजारियों और भकतों को छाता लेकर बैठना पड़ता है.

बारिश में छाता लेकर बैठते हैं मातंगेश्वर मंदिर के पुजारी

बारिश में छाता लेकर बैठते हैं पुजारी: बारिश के दिनों में पुजारी यहां कुर्सी पर छाता लेकर बैठते हैं, फर्श पर पानी भर जाता है. खजुराहो विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में यह एकलौता ऐसा मंदिर है, जहां साल भर पूजा होती है. मतंगेश्वर महादेव मंदिर में पानी टपकने की यह हालत करीब दो साल से बनी हुई है. बारिश के मौसम में साल दर साल रिसाव बढ़ता जा रहा है. मंदिर की दीवारों पर दरारें बढ़ने से पानी का रिसाव भी ज्यादा होता जाएगा, जिससे मंदिर की सुरक्षा को खतरा हो सकता है.

केमिकल लेपन के बाद बड़ा गैप: मंगलवार से रुक-रुक कर बारिश का दौर जारी है. ऐसे में मंदिर की दीवारों और छत से पानी टपक रहा है. पुजारी प्रदीप गौतम ने बताया कि, 'बारिश में शिवलिंग पर दीवारों पर बनी कलाकृति और मूर्तियों पर पानी टपकता है. गर्भगृह में बैठने की जगह नहीं है, बारिश में 2 साल से यह स्थिति बन रही है. इस साल कुछ ज्यादा ही रिसाव हो रहा है'. उन्होंने बताया कि, जबसे केमिकल द्वारा मंदिरों की सफाई की गई है, तब से पत्थरों में गैप बढ़ गया है. दरारें आ गई हैं, ऐसे ही स्थिति बनी रही तो मंदिर का वजूद खतरे में आ सकता है. क्योंकि यह मंदिर खजुराहो में प्रमुख आस्था का केंद्र है.

MP Tourism: पर्यटन सुविधाएं बढ़ाने पर सरकार की नजर, सांची और खजुराहो वर्ल्ड हेरिटेज सहित 13 पर्यटन स्थलों को विकास के लिए मिलेंगे 1-1 करोड़

मतंग मुनि ने मणि देकर कराई थी स्थापना: यह मंदिर खजुराहो के पश्चिमी समूह के मंदिरों के पास में है. 925 ईसवी में बने मतंगेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना भगवान शिव की मरकत मणि पर की गई थी. मतंग मुनि ने चंदेल राजा हर्षवर्मन को मणि देकर मंदिर की स्थापना कराई थी. मंदिर के गर्भ गृह में विशाल 18 फीट का शिवलिंग. दावा है कि, हर साल इसका साइज बढ़ता है. यह मंदिर विश्व के शिव भक्तों की आस्था का केंद्र है. यूनेस्को ने 1986 में इसे विश्व धरोहर में शामिल किया था.

जिम्मेदार झाड़ रहे पल्ला: खजुराहो पुरातत्व विभाग के सीए कुणाल शर्मा से जब इस विषय में बात की गई तो उनका कहना है कि, 'मैं बाइट देने के लिए ऑथराइज्ड नहीं हूं, आप मेरे जबलपुर ऑफिस में संपर्क कर लीजिए. मुझे बाइट देने की परमिशन नहीं है, मेरे वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं'. एसडीएम राजनगर डीपी द्विवेदी का कहना है कि, 'इससे पूर्व बारिश में भी यह समस्या सामने आई थी. इसकी चर्चा मैंने पुरातत्व विभाग में जबलपुर के अधीक्षण यंत्री एसके वाजपेई से भी की थी. उनके द्वारा आश्वासन भी दिया गया था, कि मैं तत्काल अपने इंजीनियर को भिजवाकर समस्या का समाधान करवाता हूं. लेकिन अभी तक समाधान नहीं हुआ है, मैं दोबारा पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को अवगत करवाता हूं'.

छतरपुर। खजुराहो के ऐतिहासिक मंदिर पर्यटन के लिए प्रसिद्ध हैं. यहां साल भर में 50 हजार से ज्यादा विदेशी और ढाई लाख से ज्यादा भारतीय पर्यटक मंदिरों को देखने के लिए आते हैं. यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर है. पर्यटन नगरी के ऐतिहासिक मतंगेश्वर महादेव मंदिर का ढांचा इन दिनों खस्ता हालत में है. छत पर दीवारों में दरार आ गई हैं, बारिश में मंदिर के अंदर पानी टपक रहा है. बारिश के समय में पुजारी और भक्तों को मंदिर में छाता लगाना पड़ता है.

खतरे में विश्व धरोहर का जीवित शिवलिंग: मतंगेश्वर महादेव मंदिर 9वीं सदी में बना प्राचीन शिव मंदिर है. मंदिर में 18 फीट का विशाल शिवलिंग है. यह मंदिर पुरातत्व विभाग की देखरेख में है. अब मंदिर का वजूद खतरे में पड़ता दिख रहा है. मंदिर के गर्भ गृह में जगह-जगह दरारें आ गई हैं. बारिश के समय मंदिर में बैठने तक को जगह नहीं बचती. बरसात के समय मातंगेश्वर महादेव मंदिर की छत व दीवारों से पानी टपकता है, जिस कारण पुजारियों और भकतों को छाता लेकर बैठना पड़ता है.

बारिश में छाता लेकर बैठते हैं मातंगेश्वर मंदिर के पुजारी

बारिश में छाता लेकर बैठते हैं पुजारी: बारिश के दिनों में पुजारी यहां कुर्सी पर छाता लेकर बैठते हैं, फर्श पर पानी भर जाता है. खजुराहो विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में यह एकलौता ऐसा मंदिर है, जहां साल भर पूजा होती है. मतंगेश्वर महादेव मंदिर में पानी टपकने की यह हालत करीब दो साल से बनी हुई है. बारिश के मौसम में साल दर साल रिसाव बढ़ता जा रहा है. मंदिर की दीवारों पर दरारें बढ़ने से पानी का रिसाव भी ज्यादा होता जाएगा, जिससे मंदिर की सुरक्षा को खतरा हो सकता है.

केमिकल लेपन के बाद बड़ा गैप: मंगलवार से रुक-रुक कर बारिश का दौर जारी है. ऐसे में मंदिर की दीवारों और छत से पानी टपक रहा है. पुजारी प्रदीप गौतम ने बताया कि, 'बारिश में शिवलिंग पर दीवारों पर बनी कलाकृति और मूर्तियों पर पानी टपकता है. गर्भगृह में बैठने की जगह नहीं है, बारिश में 2 साल से यह स्थिति बन रही है. इस साल कुछ ज्यादा ही रिसाव हो रहा है'. उन्होंने बताया कि, जबसे केमिकल द्वारा मंदिरों की सफाई की गई है, तब से पत्थरों में गैप बढ़ गया है. दरारें आ गई हैं, ऐसे ही स्थिति बनी रही तो मंदिर का वजूद खतरे में आ सकता है. क्योंकि यह मंदिर खजुराहो में प्रमुख आस्था का केंद्र है.

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मतंग मुनि ने मणि देकर कराई थी स्थापना: यह मंदिर खजुराहो के पश्चिमी समूह के मंदिरों के पास में है. 925 ईसवी में बने मतंगेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना भगवान शिव की मरकत मणि पर की गई थी. मतंग मुनि ने चंदेल राजा हर्षवर्मन को मणि देकर मंदिर की स्थापना कराई थी. मंदिर के गर्भ गृह में विशाल 18 फीट का शिवलिंग. दावा है कि, हर साल इसका साइज बढ़ता है. यह मंदिर विश्व के शिव भक्तों की आस्था का केंद्र है. यूनेस्को ने 1986 में इसे विश्व धरोहर में शामिल किया था.

जिम्मेदार झाड़ रहे पल्ला: खजुराहो पुरातत्व विभाग के सीए कुणाल शर्मा से जब इस विषय में बात की गई तो उनका कहना है कि, 'मैं बाइट देने के लिए ऑथराइज्ड नहीं हूं, आप मेरे जबलपुर ऑफिस में संपर्क कर लीजिए. मुझे बाइट देने की परमिशन नहीं है, मेरे वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं'. एसडीएम राजनगर डीपी द्विवेदी का कहना है कि, 'इससे पूर्व बारिश में भी यह समस्या सामने आई थी. इसकी चर्चा मैंने पुरातत्व विभाग में जबलपुर के अधीक्षण यंत्री एसके वाजपेई से भी की थी. उनके द्वारा आश्वासन भी दिया गया था, कि मैं तत्काल अपने इंजीनियर को भिजवाकर समस्या का समाधान करवाता हूं. लेकिन अभी तक समाधान नहीं हुआ है, मैं दोबारा पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को अवगत करवाता हूं'.

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