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आस्था का केंद्र बना कुंड सरकार मंदिर, राई नृत्य के प्रदर्शन से हुआ मेले का समापन - Fair at Kund Sarkar Temple

छतरपुर के कर्री गांव में कुंड सरकार मेले के समापन में धार्मिक धुनों पर बुंदेली लोक नृत्य का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में भारी संख्या में क्षेत्रवासी शामिल हुए और लोक नृत्य का आनंद लिया.

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कुंड सरकार मंदिर में मेला
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Published : Feb 1, 2020, 10:15 AM IST

Updated : Feb 1, 2020, 12:09 PM IST

छतरपुर। जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर दूर गांव कर्री में धार्मिक आस्था के केंद्र कुंड सरकार मंदिर में लगे दो दिवसीय मेले का समापन हुआ. इस समापन में धार्मिक धुनों पर किया गया लोकनृत्य राई आकर्षण का केंद्र रहा.

कुंड सरकार मंदिर में मेला

हर साल ये मेला कर्री में बसंत पंचमी से दो दिन तक लगता है, जहां सभी क्षेत्रवासी बड़े ही उत्साह के साथ शामिल होते हैं और मेले का आनंद लेते हैं. इस दो दिवसीय मेले में क्षेत्रवासियों में जमकर उत्साह देखा जाता है, जिसका लोग सालभर इंतजार करते हैं. इस साल भी कुंड सरकार मेले में धार्मिक धुनों पर बुंदेली लोक नृत्य का आयोजन किया गया, जहां ढोलक और नगरिया की धुन पर नृत्यांगना जमकर थिरकी और दर्शकों ने इसका खूब आनंद उठाया.

क्या है कुंड सरकार मंदिर की खास बात

यह सिद्ध धाम अपने आप में अनूठा है. यहां की प्राकृतिक चट्टानों के बीच पूरे साल तक जल भरा रहता है, जो हजारों लोगों की प्यास बुझाने के बाद भी खत्म नहीं होता. अब इसे सिद्ध स्थान का चमत्कार कहें या इस जल अभाव क्षेत्र के लिए कुदरत का वरदान. ये बात भी सच है कि इस क्षेत्र में जहां दूर-दूर तक जल की एक बूंद की कल्पना करना मुश्किल है, वहीं महज एक चट्टान पर भरा जल हजारों लोगों की प्यास बुझाता है.

लोगों का कहना है कि इस पवित्र स्थान का इतिहास 70 साल पुराना है, जहां एक कॉन्स्टेबल को हनुमानजी ने दर्शन दिए थे. उसके बाद ग्रामीणों के सहयोग से इस स्थान पर हनुमान जी की स्थापना कराई गई.

बसंत पंचमी का होता है विशेष महत्व

बसंत पंचमी के दिन इस पवित्र स्थान को विशेष रूप से सजाया जाता है, जहां देवी-देवताओं का श्रृंगार देखते ही बनता है. मेले में खानपान के आयोजन के साथ-साथ सभी आवश्यक सामग्री उपलब्ध रहती है. मेला आयोजकों का कहना है कि मेले में हर साल हजारों लोग आते हैं, इसके चलते मेले में हर जरूरी व्यवस्था की जाती है.

छतरपुर। जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर दूर गांव कर्री में धार्मिक आस्था के केंद्र कुंड सरकार मंदिर में लगे दो दिवसीय मेले का समापन हुआ. इस समापन में धार्मिक धुनों पर किया गया लोकनृत्य राई आकर्षण का केंद्र रहा.

कुंड सरकार मंदिर में मेला

हर साल ये मेला कर्री में बसंत पंचमी से दो दिन तक लगता है, जहां सभी क्षेत्रवासी बड़े ही उत्साह के साथ शामिल होते हैं और मेले का आनंद लेते हैं. इस दो दिवसीय मेले में क्षेत्रवासियों में जमकर उत्साह देखा जाता है, जिसका लोग सालभर इंतजार करते हैं. इस साल भी कुंड सरकार मेले में धार्मिक धुनों पर बुंदेली लोक नृत्य का आयोजन किया गया, जहां ढोलक और नगरिया की धुन पर नृत्यांगना जमकर थिरकी और दर्शकों ने इसका खूब आनंद उठाया.

क्या है कुंड सरकार मंदिर की खास बात

यह सिद्ध धाम अपने आप में अनूठा है. यहां की प्राकृतिक चट्टानों के बीच पूरे साल तक जल भरा रहता है, जो हजारों लोगों की प्यास बुझाने के बाद भी खत्म नहीं होता. अब इसे सिद्ध स्थान का चमत्कार कहें या इस जल अभाव क्षेत्र के लिए कुदरत का वरदान. ये बात भी सच है कि इस क्षेत्र में जहां दूर-दूर तक जल की एक बूंद की कल्पना करना मुश्किल है, वहीं महज एक चट्टान पर भरा जल हजारों लोगों की प्यास बुझाता है.

लोगों का कहना है कि इस पवित्र स्थान का इतिहास 70 साल पुराना है, जहां एक कॉन्स्टेबल को हनुमानजी ने दर्शन दिए थे. उसके बाद ग्रामीणों के सहयोग से इस स्थान पर हनुमान जी की स्थापना कराई गई.

बसंत पंचमी का होता है विशेष महत्व

बसंत पंचमी के दिन इस पवित्र स्थान को विशेष रूप से सजाया जाता है, जहां देवी-देवताओं का श्रृंगार देखते ही बनता है. मेले में खानपान के आयोजन के साथ-साथ सभी आवश्यक सामग्री उपलब्ध रहती है. मेला आयोजकों का कहना है कि मेले में हर साल हजारों लोग आते हैं, इसके चलते मेले में हर जरूरी व्यवस्था की जाती है.

Intro:जिला मुख्यालय से महज 20 किलो मीटर दूरी पर स्थित ग्राम कर्री में धार्मिक आस्था का केंद्र बना कुंड सरकार मंदिर
जहां दो दिवसीय मेले का धार्मिक धुनों पर लोकनृत्य राई के साथ समापन हुआ आयोजन पवित्र स्थान पर कई वर्षों से बसंत पंचमी से शुरू होता हैं जहां समस्त क्षेत्रवासी बड़े ही उत्साह के साथ शामिल होते हैं और स्थान पर माथा टेक कर मेले का आनंद लेते हैं इस दो दिवसीय मेले में क्षेत्रवासियों में जमकर उत्साह देखा जाता है जिसका लोग साल भर इंतजार करते हैं उक्त स्थान को सिद्ध स्थान के नाम से जाना जाता है जहां पर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं कुंड सरकार मेले में धार्मिक धुनों पर बुंदेली लोक नृत्य का आयोजन किया गया जिसमें भारी संख्या में क्षेत्रवासी शामिल हुए और लोक नृत्य का आनंद लिया Body:जिला मुख्यालय से महज 20 किलो मीटर दूरी पर स्थित ग्राम कर्री में धार्मिक आस्था का केंद्र बना कुंड सरकार मंदिर
जहां दो दिवसीय मेले का धार्मिक धुनों पर लोकनृत्य राई के साथ समापन हुआ आयोजन पवित्र स्थान पर कई वर्षों से बसंत पंचमी से शुरू होता हैं जहां समस्त क्षेत्रवासी बड़े ही उत्साह के साथ शामिल होते हैं और स्थान पर माथा टेक कर मेले का आनंद लेते हैं इस दो दिवसीय मेले में क्षेत्रवासियों में जमकर उत्साह देखा जाता है जिसका लोग साल भर इंतजार करते हैं उक्त स्थान को सिद्ध स्थान के नाम से जाना जाता है जहां पर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं कुंड सरकार मेले में धार्मिक धुनों पर बुंदेली लोक नृत्य का आयोजन किया गया जिसमें भारी संख्या में क्षेत्रवासी शामिल हुए और लोक नृत्य का आनंद लिया यहां ढोलक नगरिया की धुन पर नृत्यांगना जमकर थिरकी और दर्शक नृत्य देख कर लोटपोट होते हुए झूमने को मजबूर हुए धार्मिक स्थान पर हुए आयोजन का दर्शकों में जमकर शांति भाव के साथ लुफ्त उठाया यह सिद्ध धाम अपने आप में अनूठा है यहां की प्राकृतिक चट्टानों के बीच बारहमासी तक जल भरा रहता है हजारों लोगों की प्यास बुझाने के बाद भी यहां का पानी खत्म नहीं होता है सिद्ध स्थान का चमत्कार कहें या फिर इस जल अभाव क्षेत्र के लिए कुदरत का वरदान यह बात सत्य है कि मीलो क्षेत्र में जहां दूर-दूर तक जल की एक बूंद की कल्पना करना मुश्किल है वहीं महज एक चट्टान पर भरा जल हजारों लोगों की प्यास बुझाता है इस पवित्र स्थान का इतिहास आज से 70 वर्ष का बताया जा रहा है जहां एक कांस्टेबल को भगवान ने दर्शन दिए थे उसके बाद ग्रामीणों के सहयोग से स्थान पर हनुमान जी की स्थापना कराई गई उक्त स्थानों के लिए आस्था का केंद्र बन गया मंदिर के महंत श्री ने बताया कि जो लोग विश्वास के साथ यहां दर्शन करते हैं उसकी मनोकामनाएं पूरी होती है
भगवान श्री कृ्ष्ण*
*ने गीता के दंसवें अध्याय में यह कहा है, कि छ: ऋतुओं में से वसंत ऋतु में हूँ. वसंत मेरा रुप है. यह ऋतु मुझे सबसे अधिक प्रिय है. यही कारण है, भगवान श्रीकृ्ष्ण की जन्म नगरी मथुरा और भगवान श्रीकृ्ष्ण से जुडे अन्य स्थलों में बसंत पंचमी का पर्व विशेष रुप से मनाया जाता है.* 

*जमकर हुई मेले में खरीददारी*
बसंत पंचमी के दिन इस पवित्र स्थान को विशेष रूप से सजाया जाता है जहां देवी देवताओं का श्रृंगार देखती ही बनता है मेले में खानपान के आयोजन के साथ-साथ सभी आवश्यक सामग्री उपलब्ध रहती हैं यहां की सहयोगीयों का कहना है कि ग्रामीणों का भरपूर सहयोग रहा आयोजन समिति ने पहले से पुख्ता इंतजाम किए थे ताकि आयोजन में किसी तरह से आव्यवस्थाएं ना हो
वाइट महंत जी
वाइट सुरेंद्र अवस्थी
वाइट दुकानदार (सरकारी शिक्षक)Conclusion: *जमकर हुई मेले में खरीददारी*
बसंत पंचमी के दिन इस पवित्र स्थान को विशेष रूप से सजाया जाता है जहां देवी देवताओं का श्रृंगार देखती ही बनता है मेले में खानपान के आयोजन के साथ-साथ सभी आवश्यक सामग्री उपलब्ध रहती हैं यहां की सहयोगीयों का कहना है कि ग्रामीणों का भरपूर सहयोग रहा आयोजन समिति ने पहले से पुख्ता इंतजाम किए थे ताकि आयोजन में किसी तरह से आव्यवस्थाएं ना हो
Last Updated : Feb 1, 2020, 12:09 PM IST
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