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गुलसी गोली कांड में लिप्त अधिकारी की पदस्थापना से आदिवासी समाज में आक्रोश - वन अधिकारी का प्रमोशन

छिंदवाड़ा जिले के आदिवासी अंचल के बिछुआ के गुलसी गांव में घटित बहुचर्चित गुलसी गोली कांड में लिप्त वन विभाग के तत्कालीन अधिकारी के प्रमोशन के बाद छिंदवाड़ा डीएफओ बनाया गया है, जिसका आदिवासी समाज ने विरोध किया है.

gulsi bullet scandal
गुलसी गोली कांड
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Published : Jun 11, 2020, 8:25 PM IST

छिंदवाड़ा। गुलसी गोली कांड में लिप्त वन विभाग के अधिकारी के प्रमोशन के बाद छिंदवाड़ा में पदस्थापना से आदिवासी समाज में आक्रोश है, जिसको लेकर समाज के पदाधिकारियों ने तहसीलदार कार्यालय में राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन में डीएफओ को जिले की राजस्व सीमा से बाहर स्थानांतरण करने की मांग की गई है. आदिवासी समाज ने चेतावनी दी है कि यदि मांग पूरी नहीं की जाती है तो आंदोलन किया जाएगा.

22 सितम्बर 2014 को बहुचर्चित गुलसी गोली कांड में 2 वनवासियों की जान चली गई थी. जहां वन विभाग के तत्कालीन एसडीओ सुरेन्द्र कुमार तिवारी जो उस समय सीसीएफ के पद पर थे. पांच साल बाद अधिकारी की पदस्थापना पर समाज ने ज्ञापन सौंपा है. कोरकू समाज विकास समिति छिंदवाड़ा के जिला संयोजक प्रकाश बोसम ने बताया कि जिस अधिकारी के आदेश पर भोले-भाले आदिवासी मवासी समाज के निर्धन परिवार के दो व्यक्ति को निशाना बनाया गया था, जिनकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई थी. ऐसे अधिकारी को छिंदवाड़ा में डीएफओ के पद पर पदस्थ किया जाना बेहद शर्मनाक है.

छिंदवाड़ा। गुलसी गोली कांड में लिप्त वन विभाग के अधिकारी के प्रमोशन के बाद छिंदवाड़ा में पदस्थापना से आदिवासी समाज में आक्रोश है, जिसको लेकर समाज के पदाधिकारियों ने तहसीलदार कार्यालय में राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन में डीएफओ को जिले की राजस्व सीमा से बाहर स्थानांतरण करने की मांग की गई है. आदिवासी समाज ने चेतावनी दी है कि यदि मांग पूरी नहीं की जाती है तो आंदोलन किया जाएगा.

22 सितम्बर 2014 को बहुचर्चित गुलसी गोली कांड में 2 वनवासियों की जान चली गई थी. जहां वन विभाग के तत्कालीन एसडीओ सुरेन्द्र कुमार तिवारी जो उस समय सीसीएफ के पद पर थे. पांच साल बाद अधिकारी की पदस्थापना पर समाज ने ज्ञापन सौंपा है. कोरकू समाज विकास समिति छिंदवाड़ा के जिला संयोजक प्रकाश बोसम ने बताया कि जिस अधिकारी के आदेश पर भोले-भाले आदिवासी मवासी समाज के निर्धन परिवार के दो व्यक्ति को निशाना बनाया गया था, जिनकी मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई थी. ऐसे अधिकारी को छिंदवाड़ा में डीएफओ के पद पर पदस्थ किया जाना बेहद शर्मनाक है.

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