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खेती छोड़ इस काम में हो रहा है ट्रैक्टर का इस्तेमाल, युवाओं को मिला रोजगार

बुंदेलखंड के युवा ट्रैक्टर के जरिए गांव-गांव जाकर आटा चक्की और स्पेलर मशीन चला रहे हैं, जिससे गांव वालों को सहूलियत मिली है तो वहीं युवाओं को रोजगार मिला है.

युवाओं ने ढ़ूढ़ नया रोजगार
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Published : Jun 2, 2019, 9:50 AM IST

छतरपुर। बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचलों में युवक ट्रैक्टरों को मशीन की तरह इस्तेमाल करके जीवनयापन कर रहे हैं. कुछ युवक गांव-गांव जाकर ट्रैक्टर से आटा चक्की चलाते हैं तो वहीं कुछ युवक स्पेलर मशीन चलाते हैं.

युवाओं ने ढ़ूढ़ नया रोजगार

ये युवक ट्रैक्टर से स्पेलर मशीन चलाते हैं और ग्रामीणों को इस मशीन से तेल निकाल कर देते हैं, जिससे ग्रामीणों को गांव में ही इसकी सुविधा मिल जाती है तो वहीं युवकों का भी भरण-पोषण हो जाता है. ग्रामीण युवकों को या तो पैसे दे देते हैं या फिर इसके बदले राई और सरसों दे देते हैं.

ट्रैक्टर के माध्यम से स्पेलर चलाने वाले युवक रवि साहू बताते हैं कि उन्होंने कही ये मशीन देखी तो उन्होंने भी ऐसी ही मशीन बनवा ली. इस मशीन से खर्चा काट कर एक दिन में 200-300 रूपये बचते हैं जो कि परिवार के भरण-पोषण में काम आते हैं.

छतरपुर। बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचलों में युवक ट्रैक्टरों को मशीन की तरह इस्तेमाल करके जीवनयापन कर रहे हैं. कुछ युवक गांव-गांव जाकर ट्रैक्टर से आटा चक्की चलाते हैं तो वहीं कुछ युवक स्पेलर मशीन चलाते हैं.

युवाओं ने ढ़ूढ़ नया रोजगार

ये युवक ट्रैक्टर से स्पेलर मशीन चलाते हैं और ग्रामीणों को इस मशीन से तेल निकाल कर देते हैं, जिससे ग्रामीणों को गांव में ही इसकी सुविधा मिल जाती है तो वहीं युवकों का भी भरण-पोषण हो जाता है. ग्रामीण युवकों को या तो पैसे दे देते हैं या फिर इसके बदले राई और सरसों दे देते हैं.

ट्रैक्टर के माध्यम से स्पेलर चलाने वाले युवक रवि साहू बताते हैं कि उन्होंने कही ये मशीन देखी तो उन्होंने भी ऐसी ही मशीन बनवा ली. इस मशीन से खर्चा काट कर एक दिन में 200-300 रूपये बचते हैं जो कि परिवार के भरण-पोषण में काम आते हैं.

Intro:बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचलों में ट्रैक्टरों के माध्यम से युवकों द्वारा अलग अलग तरीकों से मशीनों को चला कर अपना जीवनयापन किया जा रहा है कुछ युवक गांव गांव जाकर ट्रैक्टर से आटा चक्की चलाते हैं तो वहीं कुछ युवक गांव गांव जाकर स्पेलर मशीन चलाते हैंBody:छतरपुर! वैसे तो बुंदेलखंड में किसान ट्रैक्टर का उपयोग खेती-बाड़ी में करते हैं लेकिन वर्तमान में बुंदेलखंड के किसान और बेरोजगार युवक ट्रैक्टरों का इस्तेमाल कुछ अलग ही तरीके से कर रहे हैं जिससे न सिर्फ अपने परिवार की आर्थिक मदद कर रहे हैं बल्कि अपने जीवन यापन करने के लिए बेहतर साधनों को भी एकत्र कर रहे हैं|

बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचलों में ट्रैक्टरों के माध्यम से युवकों द्वारा अलग अलग तरीकों से मशीनों को चला कर अपना जीवनयापन किया जा रहा है कुछ युवक गांव गांव जाकर ट्रैक्टर से आटा चक्की चलाते हैं तो वहीं कुछ युवक गांव गांव जाकर स्पेलर मशीन चलाते हैं जिसमें लोगों की राई सरसों को स्पेलर मशीन के द्वारा तेल निकाल कर अपने जीवन का भरण पोषण कर रहे हैं कुछ युवक गांव गांव जाकर ट्रैक्टर के माध्यम से स्पेलर मशीन चलाते हैं और गांव के किसानों को घर में ही यह सुविधा मुहैया करा रहे हैं जिससे किसानों का समय एवं मेहनत की बचत कर रहे हैं हालांकि इस मेहनत के बदले युवकों को पैसा के अलावा कभी कभी राई और सरसों भी दे दी जाती है!

ट्रैक्टर के माध्यम से स्पेलर चलाने वाले युवक रवि साहू बताते हैं कि गांव में अब ज्यादातर युवक ट्रैक्टरों का उपयोग दूसरी तरह से करने लगे हैं रवि साहू का कहना है कि वह पिछले कई सालों से ट्रैक्टर के माध्यम से स्पेलर मशीन चला कर अपने परिवार के लिए आर्थिक सहयोग कर रहा है!Conclusion:कुछ समय पहले गांव के लोग ट्रैक्टरों का पूरी तरह से इस्तेमाल खेती किसानी में करते थे लेकिन अब गांव के कुछ युवक खेती किसानी के अलावा भी ट्रैक्टरों का इस्तेमाल कर घर के लिए आर्थिक सहयोग कर रहे हैं!

बाइट -रवि साहू
बाइट,- ग्रामीण महिला
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