छतरपुर। बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचलों में युवक ट्रैक्टरों को मशीन की तरह इस्तेमाल करके जीवनयापन कर रहे हैं. कुछ युवक गांव-गांव जाकर ट्रैक्टर से आटा चक्की चलाते हैं तो वहीं कुछ युवक स्पेलर मशीन चलाते हैं.
ये युवक ट्रैक्टर से स्पेलर मशीन चलाते हैं और ग्रामीणों को इस मशीन से तेल निकाल कर देते हैं, जिससे ग्रामीणों को गांव में ही इसकी सुविधा मिल जाती है तो वहीं युवकों का भी भरण-पोषण हो जाता है. ग्रामीण युवकों को या तो पैसे दे देते हैं या फिर इसके बदले राई और सरसों दे देते हैं.
ट्रैक्टर के माध्यम से स्पेलर चलाने वाले युवक रवि साहू बताते हैं कि उन्होंने कही ये मशीन देखी तो उन्होंने भी ऐसी ही मशीन बनवा ली. इस मशीन से खर्चा काट कर एक दिन में 200-300 रूपये बचते हैं जो कि परिवार के भरण-पोषण में काम आते हैं.