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तीन साल से निवाले के लिए भटक रहा बुजुर्ग दंपति, बैशाखी के सहारे नाप रहा सरकारी दफ्तर - mp news

छतरपुर के गोपालपुरा गांव निवासी बुजुर्ग दंपति पिछले 3 सालों से राशन के लिए अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है.

तीन साल से निवाले के लिए भटक रहा बुजुर्ग दंपति
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Published : Aug 26, 2019, 10:26 PM IST

छतरपुर। जिले के गोपालपुरा गांव निवासी बुजुर्ग दंपति पिछले 3 सालों से राशन के लिए भटक रहा है और सरकारी राशन की उम्मीद में अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है, लेकिन आज तक उन्हें सरकार राशन नहीं दिला पाई है.

तीन साल से निवाले के लिए भटक रहा बुजुर्ग दंपति


बता दें कि देवलिया और उनका पति छतरपुर जिले के गोपालपुरा गांव में रहते हैं. देवलिया के पति दिव्यांग हैं और बैशाखी के सहारे चलते हैं. देवलिया के पति की माने तो तीन साल से राशन के लिए भटक रहे हैं. हालांकि, उनका राशन कार्ड तो बन गया है, लेकिन उससे उन्हें राशन नहीं मिलता. गांव की राशन दुकान पर जब राशन लेने जाता है तो दुकानदार उन्हें ये कहकर भगा देता है कि अभी उसकी पर्ची नहीं बनी है.


देवलिया के पति का कहना है कि राशन दिलाने व पर्ची बनाने के लिए उन्होंने सरपंच एवं सचिव के हाथ पैर जोड़े, लेकिन अभी तक किसी ने भी उनकी मदद नहीं की. इस मामले में छतरपुर एडीएम प्रेम सिंह चौहान का कहना है कि मामले की जांच के बाद वह खुद पीड़ित की मदद करेंगे.

छतरपुर। जिले के गोपालपुरा गांव निवासी बुजुर्ग दंपति पिछले 3 सालों से राशन के लिए भटक रहा है और सरकारी राशन की उम्मीद में अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है, लेकिन आज तक उन्हें सरकार राशन नहीं दिला पाई है.

तीन साल से निवाले के लिए भटक रहा बुजुर्ग दंपति


बता दें कि देवलिया और उनका पति छतरपुर जिले के गोपालपुरा गांव में रहते हैं. देवलिया के पति दिव्यांग हैं और बैशाखी के सहारे चलते हैं. देवलिया के पति की माने तो तीन साल से राशन के लिए भटक रहे हैं. हालांकि, उनका राशन कार्ड तो बन गया है, लेकिन उससे उन्हें राशन नहीं मिलता. गांव की राशन दुकान पर जब राशन लेने जाता है तो दुकानदार उन्हें ये कहकर भगा देता है कि अभी उसकी पर्ची नहीं बनी है.


देवलिया के पति का कहना है कि राशन दिलाने व पर्ची बनाने के लिए उन्होंने सरपंच एवं सचिव के हाथ पैर जोड़े, लेकिन अभी तक किसी ने भी उनकी मदद नहीं की. इस मामले में छतरपुर एडीएम प्रेम सिंह चौहान का कहना है कि मामले की जांच के बाद वह खुद पीड़ित की मदद करेंगे.

Intro: सरकारी राशन की आस में एक बुजुर्ग दंपत्ति पिछले 3 सालों से सरकारी अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन आज तक उन्हें सरकार सरकारी राशन नहीं दिला पाई है!

यह बुजुर्ग दंपत्ति अपनी पिया सुनाने के लिए जिले के तमाम अधिकारियों के पास जन सुनवाई के दौरान आया था लेकिन किसी ने भी इसकी ओर ध्यान तक नहीं दिया!


Body:तस्वीरों में आप जिस बुजुर्ग दंपत्ति को देख रहे हैं या छतरपुर जिले के गोपालपुरा गांव का रहने वाला है यह बुजुर्ग दंपत्ति पिछले 3 सालों से अपने राशन के लिए परेशान है बुजुर्ग दंपत्ति की मानें तो 3 साल से उन्हें सरकारी राशन नहीं मिला जिसके लिए वह लगातार सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं इतना ही नहीं दंपत्ति जनसुनवाई में भी आया था लेकिन किसी भी अधिकारी ने उनकी कोई मदद नहीं की!

आपको बता दें कि देवलिया और उनका पति छतरपुर जिले के गोपालपुरा गांव में रहते हैं देवलिया के पति दिव्यांग है और बैसाखी के सहारे चलते हैं जिस समय देवरिया के पति अधिकारियों से मिलने आते हैं तो उनकी पत्नी उनका हाथ पकड़कर सहारा बन जाती है!

देवलिया के पति की माने तो 3 साल से बस सरकारी राशन के लिए भटक रहे हैं हालांकि उनका राशन कार्ड तो बन गया है लेकिन उससे उन्हें राशन नहीं मिलता गांव की दुकान में है जब राशन लेने जाते हैं तो दुकानदार उन्हें यह कहकर भगा देता है कि अभी उनकी पर्ची नहीं बनी है!

देवलिया के पति का कहना है कि राशन दिलवाने के लिए एवं पर्ची बनाने के लिए उन्होंने सरपंच एवं सचिव के हाथ पैर जोड़ने के अलावा पैर भी पड़े लेकिन अभी तक किसी ने भी उनकी कोई मदद नहीं की!

बाइट_गोपाल बुजुर्ग

देवरिया बताती है कि लगातार चक्कर लगाते लगाते हम लोग परेशान हो रहे हैं कोई भी सरकारी अधिकारी हमारी मदद नहीं कर रहा है राशन कार्ड बन जाने के बाद भी हमें सरकारी राशन नहीं मिल पा रहा है जिससे हम लोग बेहद परेशान हैं!

बाइट_देवलिया बुजुर्ग महिला

मामले में छतरपुर जिले के डीएम प्रेम सिंह चौहान का कहना है कि अगर उन्हें इस गणपति की सही जानकारी हो जाए तो निश्चित तौर पर की कुछ मदद कर सकेंगे!

बाइट_एडीएम प्रेम सिंह चौहान_छतरपुर


Conclusion: 3 साल बीत जाने के बाद भी अधिकारी एक बुजुर्ग दंपत्ति को सरकारी राशन नहीं दिला पाए हैं बुजुर्ग दंपत्ति एक दूसरे का सहारा बन का लगातार सरकारी अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन अभी तक उन्हें किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली है!
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