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खंडहर में तब्दील हो रहा चौसठ योगिनी मंदिर, पुरातत्व विभाग नहीं दे रहा ध्यान

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Published : Dec 22, 2019, 2:32 PM IST

विश्व पर्यटक स्थल खजुराहो का चौसठ योगिनी मंदिर सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है, लेकिन पुरातत्व विभाग की उदासीनता के चलते धीरे-धीरे ये मंदिर खंडहर में तब्दील होता जा रहा है.

The Chausath Yogini temple is turning into ruins
खंडहर में तब्दील हो रहा चौसठ योगिनी मंदिर

छतरपुर। विश्व पर्यटक स्थल खजुराहो का चौसठ योगिनी मंदिर पुरात्व विभाग की अनदेखी के चलते खंडहर में तब्दील हो रहा है. यह मंदिर खजुराहो के सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है. विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए ये मंदिर किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है. अपनी साधारण सी बनावट और गहरी इतिहास के चलते सबसे प्राचीनतम मंदिर चौसठ योगिनी पूरी दुनिया में योग-तंत्र साधना के लिए जाना जाता है, लेकिन पुरातत्व विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.

खंडहर में तब्दील हो रहा चौसठ योगिनी मंदिर

खंडहर में तब्दील हो रहा चौसठ योगिनी मंदिर

दुनिया से लोग खजुराहो सिर्फ चौसठ योगिनी मंदिर के लिए ही आते हैं, लेकिन वर्तमान में यह चौसठ योगिनी मंदिर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. पुरातत्व विभाग की उदासीनता के चलते धीरे-धीरे यह मंदिर खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. मंदिर के अंदर कभी चौसठ मढ़िया हुआ करती थी, लेकिन अब वहां केवल 35 से 36 मढ़िया ही शेष बची हैं, जो बेहद चिंता का विषय है.

इस मंदिर में होता है सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव

इस मंदिर का महत्व है कि यहा आने वाले पर्यटकों को सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है. योग गुरु गंगा बताते हैं कि वह पिछले कई सालों से इस मंदिर में आकर विदेशी पर्यटकों को योग और तंत्र साधना कराते हैं.

खजुराहो पुरातत्व विभाग नहीं दे रहा ध्यान

विदेशी महिला पर्यटक ने बताया कि वे इंडिया में पिछले कई सालों से आ रही है. खजुराहो उन्हें बहुत अच्छा लगता है. मंदिर में आकर योग करने से एक सकारात्मक उर्जा मिलती है. वहीं शोधकर्ता एवं प्रोफेसर अनामिका राय ने बताया कि वे दुनिया के तमाम देशों में घूम चुकी है, जहां दुनिया का हर एक देश अपनी पुरानी चीजों को संजोकर रखता है, लेकिन मैंने पहली बार ऐसा महसूस किया है कि खजुराहो के सबसे प्राचीनत मंदिर पर खजुराहो पुरातत्व विभाग का ध्यान नहीं है. उन्होंने कहा कि साधारण सी बनावट होने के कारण लोग इसे साधारण मंदिर समझ रहे है, जबकि ये मंदिर अपने आप में इतिहास संजोए हुआ है.

अगर सही समय पर पुरातत्व विभाग की टीम इस मंदिर की ओर ध्यान नहीं देती है, तो आने वाले समय में ये मंदिर न सिर्फ खंडहर में तब्दील हो जाएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए ये मंदिर सिर्फ किताबों में ही पढ़ने को मिलेगा.

छतरपुर। विश्व पर्यटक स्थल खजुराहो का चौसठ योगिनी मंदिर पुरात्व विभाग की अनदेखी के चलते खंडहर में तब्दील हो रहा है. यह मंदिर खजुराहो के सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है. विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए ये मंदिर किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है. अपनी साधारण सी बनावट और गहरी इतिहास के चलते सबसे प्राचीनतम मंदिर चौसठ योगिनी पूरी दुनिया में योग-तंत्र साधना के लिए जाना जाता है, लेकिन पुरातत्व विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.

खंडहर में तब्दील हो रहा चौसठ योगिनी मंदिर

खंडहर में तब्दील हो रहा चौसठ योगिनी मंदिर

दुनिया से लोग खजुराहो सिर्फ चौसठ योगिनी मंदिर के लिए ही आते हैं, लेकिन वर्तमान में यह चौसठ योगिनी मंदिर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. पुरातत्व विभाग की उदासीनता के चलते धीरे-धीरे यह मंदिर खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. मंदिर के अंदर कभी चौसठ मढ़िया हुआ करती थी, लेकिन अब वहां केवल 35 से 36 मढ़िया ही शेष बची हैं, जो बेहद चिंता का विषय है.

इस मंदिर में होता है सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव

इस मंदिर का महत्व है कि यहा आने वाले पर्यटकों को सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है. योग गुरु गंगा बताते हैं कि वह पिछले कई सालों से इस मंदिर में आकर विदेशी पर्यटकों को योग और तंत्र साधना कराते हैं.

खजुराहो पुरातत्व विभाग नहीं दे रहा ध्यान

विदेशी महिला पर्यटक ने बताया कि वे इंडिया में पिछले कई सालों से आ रही है. खजुराहो उन्हें बहुत अच्छा लगता है. मंदिर में आकर योग करने से एक सकारात्मक उर्जा मिलती है. वहीं शोधकर्ता एवं प्रोफेसर अनामिका राय ने बताया कि वे दुनिया के तमाम देशों में घूम चुकी है, जहां दुनिया का हर एक देश अपनी पुरानी चीजों को संजोकर रखता है, लेकिन मैंने पहली बार ऐसा महसूस किया है कि खजुराहो के सबसे प्राचीनत मंदिर पर खजुराहो पुरातत्व विभाग का ध्यान नहीं है. उन्होंने कहा कि साधारण सी बनावट होने के कारण लोग इसे साधारण मंदिर समझ रहे है, जबकि ये मंदिर अपने आप में इतिहास संजोए हुआ है.

अगर सही समय पर पुरातत्व विभाग की टीम इस मंदिर की ओर ध्यान नहीं देती है, तो आने वाले समय में ये मंदिर न सिर्फ खंडहर में तब्दील हो जाएगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए ये मंदिर सिर्फ किताबों में ही पढ़ने को मिलेगा.

Intro:विश्व पर्यटक स्थल खजुराहो का चौसठ योगिनी मंदिर इन दिनों अपनों की ही उपेक्षा का शिकार है आपको बता दें कि यह मंदिर खजुराहो के सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए यह मंदिर किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है लेकिन पुरातत्व विभाग की उदासीनता के चलते धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है!


Body:अपनी साधारण सी बनावट एवं गहरी इतिहास के चलते खजुराहो का सबसे प्राचीनतम मंदिर चौसठ योगिनी पूरी दुनिया में योग एवं तंत्र साधना के लिए जाना जाता है दूर देश से स्वदेशी सैलानी ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक भी इस मंदिर में तंत्र एवं योग साधना करने के लिए आते हैं दुनिया के कई देशों से लोग खजुराहो सिर्फ चौसठ योगिनी मंदिर के लिए ही आते हैं लेकिन वर्तमान में यह चौसठ योगिनी मंदिर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है!

पुरातत्व विभाग की उदासीनता के चलते धीरे-धीरे यह मंदिर खंडहर में तब्दील होता जा रहा है मंदिर के अंदर कभी चौसठ मढ़िया हुआ करती थी लेकिन अब वहां केवल 35 से 36 मढ़िया ही शेष बची हैं जोकि बेहद चिंता का विषय है!

इस मंदिर की महत्वता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि खजुराहो आने वाले विदेशी पर्यटक इस मंदिर में आकर योग साधना करते हैं यहां आकर सकारात्मक ऊर्जा का भी महसूस करते हैं योग गुरु गंगा बताते हैं कि वह पिछले कई सालों से इस मंदिर में आकर विदेशी पर्यटकों को योग एवं तंत्र साधना कराते आ रहे हैं यह मंदिर लगभग एक वर्ष पुराना है लेकिन लापरवाही के चलते मंदिर धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है!

बाइट_गंगा योग गुरु

मंदिर के बारे में जानकारी देती हुई एक विदेशी महिला पर्यटक बताती हैं कि वह लगातार भारत पिछले कई सालों से आ रही है खजुराहो उन्हें बहुत अच्छा लगता है इस मंदिर में आकर योग करना उन्हें ना सिर्फ पसंद है बल्कि यहां आकर उन्हें एक सकारात्मक ऊर्जा भी मिलती है!

शोधकर्ता एवं प्रोफेसर अनामिका राय बताती हैं कि वह दुनिया के तमाम देशों में घूम चुकी हैं दुनिया का हर देश अपनी पुरानी चीजों को संजू के रखता है लेकिन मैंने पहली बार ऐसा महसूस किया है कि खजुराहो के सबसे प्राचीनतम मंदिर पर खजुराहो पुरातत्व विभाग का किसी भी प्रकार का कोई ध्यान नहीं है साधारण सी बनावट होने के कारण लोकेश केवल साधारण सा मंदिर ही समझ रहे हैं जबकि यह मंदिर अपने आप में किस प्रकार का इतिहास संजोए हुए हैं लोगों को इस बात की कोई चिंता भी नहीं!

बाइट_प्रो अनामिका राय


Conclusion:अगर सही समय पर पुरातत्व विभाग की टीम इस मंदिर की ओर ध्यान नहीं देती है तो आने वाले समय में यह मंदिर न सिर्फ खंडहर में तब्दील हो जाएगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह मंदिर सिर्फ किताबों में ही पढ़ने को मिलेगा!
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