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बिजावर में अंग्रेजों के जमाने की जेल, कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे कैद

छतरपुर जिले के बिजावर में एक अंग्रेजों की जमाने की एक जेल है. बताया जाता है कि इस जेल में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को रखा जाता है.

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Published : Jan 23, 2020, 9:05 AM IST

Updated : Jan 23, 2020, 9:21 AM IST

The British-era jail is in Chhatarpur district
बिजावर में अंग्रेजों के जमाने की जेल

छतरपुर। जिले के बिजावर में एक जेल आजादी से पहले की है. ये जेल अपने आप में खास है, क्योंकि ये मध्यप्रदेश की सबसे पुरानी जेल मानी जाती है. आजादी से पहले ईस्ट इंडिया कंपनी इस जेल में कैदियों को रखती थी. जेल के मुख्य द्वार पर सन्1926 का स्थापना पत्थर भी लगा हुआ है, जिससे प्रामाणिक होता है कि ये जेल आजादी के पहले की है.

बिजावर में अंग्रेजों के जमाने की जेल

बताया जाता है कि जेल बनने से पहले यहां बिजावर रियासत के महाराज राजा सावंत सिंह के घोड़ों का अस्तबल हुआ करता था. जिसे बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी को जेल के रूप में इस्तेमाल करने के लिए मुहैया करवा दिया गया था. जानकार बताते हैं कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी इस जेल में रखा जाता था. बुंदेलखंड के देवी सिंह, मूरत सिंह जैसे कई खूंखार डाकू को भी इसी जेल में रखा गया था.

छतरपुर। जिले के बिजावर में एक जेल आजादी से पहले की है. ये जेल अपने आप में खास है, क्योंकि ये मध्यप्रदेश की सबसे पुरानी जेल मानी जाती है. आजादी से पहले ईस्ट इंडिया कंपनी इस जेल में कैदियों को रखती थी. जेल के मुख्य द्वार पर सन्1926 का स्थापना पत्थर भी लगा हुआ है, जिससे प्रामाणिक होता है कि ये जेल आजादी के पहले की है.

बिजावर में अंग्रेजों के जमाने की जेल

बताया जाता है कि जेल बनने से पहले यहां बिजावर रियासत के महाराज राजा सावंत सिंह के घोड़ों का अस्तबल हुआ करता था. जिसे बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी को जेल के रूप में इस्तेमाल करने के लिए मुहैया करवा दिया गया था. जानकार बताते हैं कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी इस जेल में रखा जाता था. बुंदेलखंड के देवी सिंह, मूरत सिंह जैसे कई खूंखार डाकू को भी इसी जेल में रखा गया था.

Intro:स्पेशल -
बिजावर -

आजादी के पहले की जेल,अंग्रजो के जामने जेल,


बिजावर मुख्यालय में एक ऐसी कैदियों की जेल मौजूद है
जो आजादी से भी पुरानी बताई जाती है यही कारण है कि यह जेल अपने आप मे खास है यह जेल मध्यप्रदेश की सबसे पुरानी जेल मानी जाती है

स्थानीय लोगो द्वारा बताया जाता है की जहां बर्तमान में आज कैदियों की जेल बनी हुई है,पुराने समय मे यहां बिजावर रियासत के महाराज राजा सावंत सिंह का घोंड़ो का अस्तवल हुआ करता था जहां घोड़ों को बांधा जाता था जिसे बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी को जेल रूप में इस्तेमाल करने के लिए मुहैया करवा दिया गया था बताया जाता है कि बर्तमान में इस जेल में आज भी वो काल कोठरीयां मौजूद है जिससे पता चलता है कि यह अंग्रेजो के समय की जेल है
Body:स्पेशल -
बिजावर -

आजादी के पहले की जेल,अंग्रजो के जामने जेल,


बिजावर मुख्यालय में एक ऐसी कैदियों की जेल मौजूद है
जो आजादी से भी पुरानी बताई जाती है यही कारण है कि यह जेल अपने आप मे खास है यह जेल मध्यप्रदेश की सबसे पुरानी जेल मानी जाती है

स्थानीय लोगो द्वारा बताया जाता है की जहां बर्तमान में आज कैदियों की जेल बनी हुई है,पुराने समय मे यहां बिजावर रियासत के महाराज राजा सावंत सिंह का घोंड़ो का अस्तवल हुआ करता था जहां घोड़ों को बांधा जाता था जिसे बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी को जेल रूप में इस्तेमाल करने के लिए मुहैया करवा दिया गया था बताया जाता है कि बर्तमान में इस जेल में आज भी वो काल कोठरीयां मौजूद है जिससे पता चलता है कि यह अंग्रेजो के समय की जेल है

सभी को पता है कि भारत देश सन 1947 को आजाद हुआ था लेकिन मध्यप्रदेश के बिजावर में एक जेल ऐसी भी है जहां आजादी के पहले अंग्रेजी हुकूमत के समय ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल में इस जेल में कैदियों को रखा जाता था एवं कैदी यहां अपनी सजा पूरी किया करते थे इस जेल में मुख्य द्वार के बाहर सन 1926 का स्थापना पत्थर भी लगा हुआ है जिससे प्रामाणिक होता है कि यह जेल आजादी के पहले की है

इस जेल के बारे में बताया जाता है कि इस जेल में अंग्रजो के शासनकाल में भारत की आजादी में भाग लेने बाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियो को भी बंद किया गया था ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन काल मे भारत के कई हिस्सों से कैदियो को इस जेल में रखा जाता था

Conclusion:
इस जेल के इतिहास में बुंदेलखंड क्षेत्र के देबि सिंह,मूरत सिंह जैसे कई खूँखार डाकुओ को रखा जा चुका है जिन डाकुओ के ख़ौफ़ से लोग थर-थर काँपते थे,


बाईट-1- रामेश्वर प्रसाद चौदा ( बरिष्ठ नागरिक)

स्पेशल-
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Last Updated : Jan 23, 2020, 9:21 AM IST
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