छतरपुर। खजुराहो के कुंदनपुरा में रहने वाली विजयाराजे सिंधिया समाज सेवा पुरस्कार से सम्मानित सुखरनिया आदिवासी बेरोजगारी के चलते अपने गांव से पलायन करने पर मजबूर है, सुखरनिया को 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सम्मानित किया गया था. जिसमें उन्हें एक प्रशस्ति पत्र के अलावा एक लाख की राशि भी दी गई थी.
सुखरनिया ने 2012 से 2014 तक गांव में लगातार नशा मुक्ति शिक्षा एवं महिला उत्पीड़न को लेकर एक आंदोलन चलाया था. जिसमें उन्होंने गांव में बनने वाली शराब, शराब पीने वाले व्यक्ति एवं बच्चों को पढ़ाई न कराने के विरोध में मुहिम चलाई थी. आखिर में लगातार असामाजिक तत्वों से संघर्ष करते हुए गांव में शराब बंद करावा दी.
जैसे-जैसे समय बीतता गया सरकार और स्थानीय प्रशासन में उनकी महत्ता कम होती चली गई और आज स्थिति यह है कि उन्हें अपना घर छोड़कर दिल्ली में दिहाड़ी करने के लिए जाना पड़ा. सुखरनिया की मां बताती हैं कि उनकी बेटी कुछ महीनों से बाहर काम करने के लिए गई है. गांव में कोई भी काम नहीं है और ज्यादा बरसात होने की वजह से खेती-बाड़ी भी खराब हो गई है.
भले ही आज पूरा देश विश्व ग्रामीण महिला दिवस मनाया जा रहा हो, लेकिन सुखरनिया को बेरोजगारी और आर्थिक तंगी के चलते अपना घर छोड़ना पड़ा. सम्मानित करने के बाद सरकार ने न तो दोबारा इस आदिवासी महिला की ओर ध्यान दिया और न ही दोबारा उसे प्रोत्साहित करने की कोशिश की.