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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजेंद्र प्रसाद से सुनिए 'बापू' के स्वदेशी आंदोलन की कहानी. - नाथालय का उद्घाटन

महात्मा गांधी से प्रभावित 95 साल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजेंद्र प्रसाद महतो बताते हैं कि महात्मा गांधी के एक बार कहने पर उन्होंने विदेशी वस्तुओं का उपयोग छोड़ दिया.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजेंद्र प्रसाद से सुनिए 'बापू' के स्वदेशी आंदोलन की कहानी.
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Published : Aug 19, 2019, 2:37 AM IST

वैसे तो पूरे देश में ही नहीं पूरी दुनिया में महात्मा गांधी से प्रभावित लोग मिल जाएंगे, लेकिन बहुत कम लोग ही ऐसे होंगे जिन्होंने महात्मा गांधी द्वारा दी गई सीख को अपने जीवन में उतारा हो.जिस समय महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन चरम पर था तो बुंदेलखंड भी महात्मा गांधी के इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा था यही वजह थी कि लगातार युवा छात्र एवं व्यापारी वर्ग बड़ी संख्या में महात्मा गांधी के साथ जुड़कर आंदोलन को मजबूती दे रहे थे.
95 साल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजेंद्र प्रसाद महतो बताते हैं कि वैसे तो वह गरम दल के नेता हैं लेकिन बात उस समय की है जब सिर्फ एक दल हुआ करता था और एक नेता और सभी के नेता महात्मा गांधी थे . महात्मा गांधी उस शख्सियत का नाम है जिसके कहने मात्र से लोग उनकी बातों को अनुसरण करने लगते थे, बात उन दिनों की है मैं जब 10 साल का था और महोबा में महात्मा गांधी एक अनाथालय का उद्घाटन करने आए थे उस समय महात्मा गांधी का स्वदेशी आंदोलन जोरों पर था, हम सभी छात्र जीवन काल में थे लेकिन तभी महात्मा गांधी ने सभी छात्रों को बुलाकर स्वदेशी पहनने का आह्वान किया और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए आग के हवाले कर दिया.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजेंद्र प्रसाद
राजेंद्र महतो बताते हैं कि वो आगे चलकर वह गरम दल में शामिल हो गए, और फिर कभी विदेशी वस्तुओं को हाथ नहीं लगाया.महात्मा गांधी से दो से तीन बार उनकी मुलाकात हुई, लेकिन छात्र जीवन की वह मुलाकात में आज भी याद है और गांधी जी द्वारा कही गई बात उन्हें ऐसी लगती है मानो कल की ही बात हो.

वैसे तो पूरे देश में ही नहीं पूरी दुनिया में महात्मा गांधी से प्रभावित लोग मिल जाएंगे, लेकिन बहुत कम लोग ही ऐसे होंगे जिन्होंने महात्मा गांधी द्वारा दी गई सीख को अपने जीवन में उतारा हो.जिस समय महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन चरम पर था तो बुंदेलखंड भी महात्मा गांधी के इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा था यही वजह थी कि लगातार युवा छात्र एवं व्यापारी वर्ग बड़ी संख्या में महात्मा गांधी के साथ जुड़कर आंदोलन को मजबूती दे रहे थे.
95 साल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजेंद्र प्रसाद महतो बताते हैं कि वैसे तो वह गरम दल के नेता हैं लेकिन बात उस समय की है जब सिर्फ एक दल हुआ करता था और एक नेता और सभी के नेता महात्मा गांधी थे . महात्मा गांधी उस शख्सियत का नाम है जिसके कहने मात्र से लोग उनकी बातों को अनुसरण करने लगते थे, बात उन दिनों की है मैं जब 10 साल का था और महोबा में महात्मा गांधी एक अनाथालय का उद्घाटन करने आए थे उस समय महात्मा गांधी का स्वदेशी आंदोलन जोरों पर था, हम सभी छात्र जीवन काल में थे लेकिन तभी महात्मा गांधी ने सभी छात्रों को बुलाकर स्वदेशी पहनने का आह्वान किया और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए आग के हवाले कर दिया.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजेंद्र प्रसाद
राजेंद्र महतो बताते हैं कि वो आगे चलकर वह गरम दल में शामिल हो गए, और फिर कभी विदेशी वस्तुओं को हाथ नहीं लगाया.महात्मा गांधी से दो से तीन बार उनकी मुलाकात हुई, लेकिन छात्र जीवन की वह मुलाकात में आज भी याद है और गांधी जी द्वारा कही गई बात उन्हें ऐसी लगती है मानो कल की ही बात हो.
Intro: वैसे तो पूरे देश में ही नहीं पूरी दुनिया में महात्मा गांधी से प्रभावित लोग मिल जाएंगे लेकिन बहुत कम लोग ही ऐसे होंगे जिन्होंने महात्मा गांधी द्वारा दी गई सीख को अपने जीवन में उतारा हो!

जिस समय महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन चरम पर था तो बुंदेलखंड भी महात्मा गांधी के इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा था यही वजह थी कि लगातार युवा छात्र एवं व्यापारी वर्ग बड़ी संख्या में महात्मा गांधी के साथ जुड़कर आंदोलन को मजबूती दे रहे थे!


Body: 95 वर्ष के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री राजेंद्र प्रसाद महतो बताते हैं कि वैसे तो वह गरम दल के नेता हैं लेकिन बात उस समय की है जब सिर्फ एक दल हुआ करता था और एक नेता और सभी के नेता महात्मा गांधी थे महात्मा गांधी उस शख्सियत का नाम है जिसके कहने मात्र से लोग उनकी बातों को अनुसरण करने लगते थे!

श्री राजेंद्र प्रसाद महत्व बताते हैं कि बात उन दिनों की है जब 10 साल के थे और महोबा में महात्मा गांधी एक अनाथालय का उद्घाटन करने आए थे उस समय महात्मा गांधी का शो देसी आंदोलन जोरों पर था हम सभी छात्र जीवन काल में थे लेकिन तभी महात्मा गांधी ने सभी छात्रों को बुलाकर स्वदेशी पहनने का आह्वान किया और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए आप के हवाले कर दिया!

श्री राजेंद्र प्रसाद बताते हैं कि यह वह दिन था जब महात्मा गांधी ने उन्हें विदेशी वस्तुओं का त्याग करने के लिए कहा था तब से लेकर आज तक पूरे जीवन काल में मैंने विदेशी वस्त्रों को धारण नहीं किया!

राजेंद्र महतो बताते हैं कि आगे चलकर वह गरम दल में शामिल हो गए लेकिन महात्मा गांधी द्वारा दी गई है सीख जीवन पर्यंत उनके जीवन में शामिल रही और उन्होंने कभी भी विदेशी वस्तुओं को हाथ नहीं लगाया!



महतो जी बताते हैं कि वैसे तो गांधी जी से दो से तीन बार मुलाकात हुई लेकिन छात्र जीवन की वह मुलाकात में आज भी याद है और गांधी जी द्वारा कही गई बात उन्हें ऐसी लगती है मानो कल की ही बात हो!

आने वाले समय में श्री राजेंद्र महतो जन संघ में शामिल हो गए और गरम दल के नेता के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की श्री राजेंद्र मैं तो बताते हैं कि छात्र जीवन के समय में ही उनके गुट में 15 से 10 लड़के हुआ करते थे और वे सभी गांधी विचारधारा के विपरीत थे!


Conclusion: गांधी जी की विचारधारा से श्री राजेंद्र प्रसाद में तो बढ़ेगी बाद में अलग हो गए हो लेकिन उनकी दी हुई एक सीख आज भी उनके जीवन में जस की तस बनी हुई है और उन्होंने कभी भी विदेशी कपड़ों को हाथ नहीं लगाया!
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