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सरकारी अस्पताल के स्टाफ की लापरवाही से गई नवजात की जान, घंटों तड़तपती रही प्रसूता - अस्पताल के स्टाफ की लापरवाही से गई नवजात की जान

छतरपुर में डॉक्टरों की लापरवाही के चलते एक महिला को प्रसव के लिए पांच घंटे तक दर्द से तड़पना पड़ा, जबकि रिश्वत लेकर प्रसव कराने के लिए तैयार हुई नर्स की लापरवाही से बच्चे की मौत हो गयी.

स्टाफ की लापरवाही से गई नवजात की जान
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Published : Sep 14, 2019, 12:02 AM IST

छतरपुर। बुंदेलखंड में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं, डॉक्टरों की लापरवाही मरीजों पर भारी पड़ रही है, ऐसी ही लापरवाही का खामियाजा एक नवजात को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी क्योंकि डॉक्टर की गैरमौजूदगी में नर्स ने महिला का असुरक्षित प्रसव कराया, जिसके चलते नवजात की जन्म के तुरंत बाद ही मृत्यु हो गई और अस्पताल प्रबंधन ने महिला को घर भेजकर बच्चे का अंतिम संस्कार भी करवा दिया.

स्टाफ की लापरवाही से गई नवजात की जान
कुर्रा गांव की राम कुंवर को प्रसव पीड़ा शुरू होने के बाद परिजनों ने ईशा नगर स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया, जहां उस समय एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं थे. पांच घंटे तक तड़पने के बाद परिजनों ने नर्स से डिलीवरी कराने की बात कही, जिस पर नर्स ने पैसे लेकर प्रसव कराने के लिए तैयार हो गयी. जिसके बाद परिजनों ने पैसे देकर नर्स से डिलीवरी करवाई, जबकि असुरक्षित प्रसव के चलते बच्चे की मौत हो गई.बच्चे की मौत के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया, प्रबंधन ने मृत बच्चे को तत्काल ही महिला के साथ घर भेज दिया और बच्चे का अंतिम संस्कार भी करवा दिया. अब परिजन अस्पताल प्रशासन से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

छतरपुर। बुंदेलखंड में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं, डॉक्टरों की लापरवाही मरीजों पर भारी पड़ रही है, ऐसी ही लापरवाही का खामियाजा एक नवजात को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी क्योंकि डॉक्टर की गैरमौजूदगी में नर्स ने महिला का असुरक्षित प्रसव कराया, जिसके चलते नवजात की जन्म के तुरंत बाद ही मृत्यु हो गई और अस्पताल प्रबंधन ने महिला को घर भेजकर बच्चे का अंतिम संस्कार भी करवा दिया.

स्टाफ की लापरवाही से गई नवजात की जान
कुर्रा गांव की राम कुंवर को प्रसव पीड़ा शुरू होने के बाद परिजनों ने ईशा नगर स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया, जहां उस समय एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं थे. पांच घंटे तक तड़पने के बाद परिजनों ने नर्स से डिलीवरी कराने की बात कही, जिस पर नर्स ने पैसे लेकर प्रसव कराने के लिए तैयार हो गयी. जिसके बाद परिजनों ने पैसे देकर नर्स से डिलीवरी करवाई, जबकि असुरक्षित प्रसव के चलते बच्चे की मौत हो गई.बच्चे की मौत के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया, प्रबंधन ने मृत बच्चे को तत्काल ही महिला के साथ घर भेज दिया और बच्चे का अंतिम संस्कार भी करवा दिया. अब परिजन अस्पताल प्रशासन से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
Intro:MP/छतरपुर/12

◆असुरक्षित प्रसव से हुई बच्चे की मौत..

◆महिला डॉक्टर नहीं रहतीं ड्यूटी पर मौजूद..

◆डाक्टर के इंतज़ार में 5 घंटे तड़फती रही प्रसूता..

◆फिर भी नहीं आई डाक्टर तो नर्स ने कराया प्रसव..

◆प्रसव के दौरान हुई बचचे की मौत, परिजन गुस्सा में..

"बुंदेलखंड की स्वास्थ्य सुविधाओं के हाल बेहाल हैं। यहां जिला मुख्यालय से महज 17 किलोमीटर दूर अस्पताल में डॉक्टर मौजूद नहीं रहते तो दूरस्थ अंचलों के क्या हाल होंगे.."

Body:एंकर- छतरपुर में जन्म मृत्यु दर में लगातार इज़ाफ़ा होता जा रहा है। यहां लापरवाहियों के चलते इस तरह की केश बढ़ते ही जा रहे हैं। शाशन, प्रशाशन, जनप्रतिनिफ्हि हैं कि ध्यान ही नहीं दे रहे।

ताजा मामला ईशानगर स्वास्थ्य केंद्र का है जहां कुर्रा गांव निवासी रामकुंवार पति रमलू कुशवाहा को प्रसव पीड़ा हुई तो सुबह 5 बजे अस्पताल लाया गया जहां ड्यूटी डॉक्टर (पदस्थ महिला चिकित्सक) न होने की वजह से प्रसूता को काफी इंतज़ार करना पड़ा पर डॉक्टर नहीं आईं और जब प्रसव पीड़ा और ज्यदा बढ़ गई तो (अस्पताल में डाक्टर की गैर मौजूदगी में) ड्यूटी नर्स ने परिजनों से कहा कि गर मुझे पैसा दोगे तो मैं ही डिलेवरी करवा दूंगी।

परिजन मरते क्या न करते उनसे प्रसूता की पीड़ा देखी नहीं जा रही थी तो उन्होंने नर्स को पैसे दिए तब कहीं जाकर उसने डिलेवरी की जिससे लापरवाही के चलते बच्चे की मौत हो गई।

मौत के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया परिजनों का आरोप है कि नर्स की लापरवाही और डॉक्टर के मौजूद न रहने की वजह से असुरक्षित प्रसव किया जहां लापरवाही के चलते बच्चे की मौत हो गई।

इतना ही नहीं बच्चे की मौत के बाद अस्पताल प्रशाशन ने मृत बच्चे को 10 बजे प्रसूता के गांव कुर्रा पंहुचा दिया और दफन भी करवा दिया। वहीं अब परिजन अस्पताल प्रशाशन से मामले में कार्यवाही की मांग कर रहे हैं।

बाईट-
बाईट-

Conclusion:मामला चाहे जो भी हो पर इतना तो तय है कि बुंदेलखंड की स्वास्थ्य सुविधाओं के हाल बेहाल हैं। यहां जिला मुख्यालय से महज 17 किलोमीटर दूर अस्पताल में डॉक्टर मौजूद नहीं रहते तो दूरस्थ अंचलों के क्या हाल होंगे।

हालांकि अब देखना यह होगा कि हमारी रिपोर्ट के बाद शासहन प्रशाशन क्या कार्यवाही करता है। या फिर कान में रुई डालकर सन्न बना रहेगा।

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