छतरपुर। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले की स्वास्थ्य सेवाओं के हाल कितने बेहाल हैं, ये किसी से छिपा नहीं हैं. इसी कड़ी में नगर परिषद का अमानवीय चेहरा भी सामने आया है. यहां चार साल की मासूम बच्ची की मौत के बाद परिजनों ने नगर परिषद से शव वाहन देने की मिन्नतें कीं लेकिन उन्हें वाहन नहीं दिया गया. अंत में परिजन बदहाल सरकारी व्यवस्था से हार गए और बच्ची को सीने से चिपकाकर घर के लिए तेज धूप में निकल पड़े.
शव देखकर भी नहीं पसीजा जिम्मेदारों का दिल: नगर परिषद का अमानवीय चेहरा उजागर करने वाला यह मामला बकस्वाहा क्षेत्र का है. मासूम बच्ची को बुखार के चलते पड़ोसी जिले दमोह रिफर किया गया था. जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी थी. वहां से परिजन शव को बस से लेकर बकस्वाहा आये थे. चूंकि, पोंडी गांव बकस्वाहा (Pondi Buckswaha) से चार किलोमीटर दूर है, इसलिए मृतक बच्ची के परिजनों ने नगर परिषद से शव वाहन की मांग की. लेकिन मासूम के शव को देखकर भी जिम्मेदार अधिकारियों का दिल नहीं पसीजा और वाहन देने से साफ इंकार कर दिया.
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शव लेकर पैदल चल दिये परिजन: शव वाहन नहीं मिलने के बाद मजबूरन परिजन उसे सीने से चिपका कर अपने गांव पैदल चल दिये. आधी दूर चलने पर लोगों ने यह दृश्य देखा तो परिजनों से पूछा कि शव वाहन क्यों नहीं मिला. तब परिजनों ने उन्हें पूरी आपबीती सुनाई. परिजनों की व्यथा सुनकर लोगों ने नगर परिषद से बात की, तब जाकर शव वाहन उपलब्ध हो सका. इस मामले में लापरवाही उजागर होने पर अब सीएमएचओ जांच की बात कह रहे हैं. उनका कहना है कि इस तरह की लापरवाही भविष्य में नहीं हो इसका ध्यान रखा जायेगा.(Ambulance not found to carry dead body) (family walked on foot with girl dead body)