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मनरेगा के तहत प्रवासी मजदूरों को गांव में ही मिल रहा काम

लॉकडाउन में अपने गांव लौटे प्रवासी मजदूरों को उनके ही गांव मनरेगा के तहत काम दिया जा रहा है, जिसके बाद किसानों का भी कहना है कि अगर उन्हें काम मिलता रहा तो वह वापस बाहर नहीं जाएंगे.

Migrant laborers are getting wages in the village itself under MNREGA
मनरेगा के तहत मजदूरों को मिल रहा काम, वापस नहीं जाएंगे बाहर
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Published : Jun 21, 2020, 9:01 PM IST

छतरपुर। कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में कई प्रवासी मजदूर वापस अपने गांव लौट आए हैं. वापस लौटे मजदूरों को उनके ही गांव में रोजगार प्रदान कराने के उद्देश्य से शासन मनरेगा के माध्यम से काम दिला रहा है. बिजावर लौटे मजदूरों को हितैषी खेत तालाब ,कूप निर्माण, सार्वजनिक खेत तालाब, मेड़ बंधान, प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से उनके गांव में ही काम मिल रहा है.

गांव में ही मिल रहा काम

मजदूरों का कहना है कि अगर शासन उन्हें गांव में ही मजदूरी मिले तो वे काम की तलाश के लिए बाहर पलायन नहीं करेंगें. जिसे देखते हुए जिला कलेक्टर शीलेंद्र सिंह और जिला पंचायत सीईओ हिमांशु चंद्र ने सक्रियता दिखाते हुए, प्रवासी मजदूरों और ग्रामीण मजदूरों को ज्यादा से ज्यादा मनरेगा कार्यों में काम दिलाया और रोजगार दिलाने को लेकर सभी जनपदों को भी निर्देश दिए.

जिला कलेक्टर के आदेशों का पालन करते हुए प्रवासी और ग्रामीण मजदूरों को उनके गांव में ही काम मुहैया कराया जा रहा है. साथ ही तहसील और जिला स्तर पर इसकी मॉनिटरिंग भी की जा रही है. काम के दौरान मजदूरों को समझाइश दी जा रही है कि वह काम करते समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. ताकी कोई भी मजदूर कोरोना जैसे खतरनाक संक्रमण से संक्रमित न हो सके. वहीं प्रवासी मजदूरों से कहा गया है कि उन्हें ग्राम स्तर पर मजदूरी उपलब्ध कराई जाएगी ताकी अब कोई भी मजदूर क्षेत्र से पलायन न करे.

मशीन उपलब्ध कराने की उठाई मांग

नदगांय वट्टन के सार्वजनिक तालाब में मजदूरों को खुदाई करने में काफी अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है. मजदूरों का कहना है कि बड़े बड़े पत्थर होने के कारण तालाब की खुदाई करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मजदूरों की मांग है कि पत्थर हटाने के लिए मशीन उपलब्ध करा दी जाए तो तालाब का गहरी करण अच्छा हो सकता है.

छतरपुर। कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में कई प्रवासी मजदूर वापस अपने गांव लौट आए हैं. वापस लौटे मजदूरों को उनके ही गांव में रोजगार प्रदान कराने के उद्देश्य से शासन मनरेगा के माध्यम से काम दिला रहा है. बिजावर लौटे मजदूरों को हितैषी खेत तालाब ,कूप निर्माण, सार्वजनिक खेत तालाब, मेड़ बंधान, प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से उनके गांव में ही काम मिल रहा है.

गांव में ही मिल रहा काम

मजदूरों का कहना है कि अगर शासन उन्हें गांव में ही मजदूरी मिले तो वे काम की तलाश के लिए बाहर पलायन नहीं करेंगें. जिसे देखते हुए जिला कलेक्टर शीलेंद्र सिंह और जिला पंचायत सीईओ हिमांशु चंद्र ने सक्रियता दिखाते हुए, प्रवासी मजदूरों और ग्रामीण मजदूरों को ज्यादा से ज्यादा मनरेगा कार्यों में काम दिलाया और रोजगार दिलाने को लेकर सभी जनपदों को भी निर्देश दिए.

जिला कलेक्टर के आदेशों का पालन करते हुए प्रवासी और ग्रामीण मजदूरों को उनके गांव में ही काम मुहैया कराया जा रहा है. साथ ही तहसील और जिला स्तर पर इसकी मॉनिटरिंग भी की जा रही है. काम के दौरान मजदूरों को समझाइश दी जा रही है कि वह काम करते समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें. ताकी कोई भी मजदूर कोरोना जैसे खतरनाक संक्रमण से संक्रमित न हो सके. वहीं प्रवासी मजदूरों से कहा गया है कि उन्हें ग्राम स्तर पर मजदूरी उपलब्ध कराई जाएगी ताकी अब कोई भी मजदूर क्षेत्र से पलायन न करे.

मशीन उपलब्ध कराने की उठाई मांग

नदगांय वट्टन के सार्वजनिक तालाब में मजदूरों को खुदाई करने में काफी अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है. मजदूरों का कहना है कि बड़े बड़े पत्थर होने के कारण तालाब की खुदाई करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मजदूरों की मांग है कि पत्थर हटाने के लिए मशीन उपलब्ध करा दी जाए तो तालाब का गहरी करण अच्छा हो सकता है.

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