छतरपुर। लंबे समय के इंतजार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर फैसला सुना दिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना है. राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार तीन महीने में एक ट्रस्ट बनाएगा, जो मंदिर निर्माण का काम देखे. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सभी धर्म के लोगों ने इसका खुले दिल से स्वागत किया है.
अयोध्या मामले पर बोले निर्मोही अखाड़ा के महंत, 'सुप्रीम कोर्ट के फैसला का करते हैं स्वागत' - छतरपुर न्यूज
अयोध्या मामले पर फैसला आने के बाद निर्मोही अखाड़े के महंत ने भी इसका स्वागत किया है. महंत भगवान दास का कहना है कि फैसला का हम स्वागत करते हैं.
अयोध्या मामले पर बोले निर्मोही अखाड़ा के महंत
छतरपुर। लंबे समय के इंतजार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर फैसला सुना दिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना है. राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार तीन महीने में एक ट्रस्ट बनाएगा, जो मंदिर निर्माण का काम देखे. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सभी धर्म के लोगों ने इसका खुले दिल से स्वागत किया है.
Intro: अयोध्या में राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निर्मोही अखाड़े के महंत नए फैसले का न सिर्फ स्वागत किया है बल्कि उसे अच्छा भी बताया है लेकिन खेद भी व्यक्त किया है महंत रामदास का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से अयोध्या में राम मंदिर बनने को लेकर अपना फैसला सुनाया है उसका हम सभी स्वागत करते हैं लेकिन जिस तरह से उन्होंने अपने फैसले में निर्मोही अखाड़े को नकार दिया है जिसकी हम कड़ी निंदा करते हैं!
Body:निर्मोही अखाड़ा के पंच एवं चित्रकूट मंडल के महामंत्री महंत भगवान दास ने ईटीवी से बात करते हुए फैसले का स्वागत करने की बात कही है लेकिन उन्होंने इस बात को लेकर चिंता भी जताई है कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से निर्मोही अखाड़े को नकार दिया है वह वेहद चौंकाने वाली बात है निर्मोही अखाड़ा कई 100 वर्षों पहले से भगवान राम की सेवा करते हुए आ रहा है एवं राम मंदिर को लेकर न्यायालय में एक पक्ष भी रहा है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में निर्मोही अखाड़ा का एक भी बार जिक्र नहीं किया इसको लेकर महंत भगवान दास बेहद नाराज हैं!
महंत की मानें तो पिछले कई वर्षों से निर्मोही अखाड़ा लगातार राम जन्म भूमि को लेकर न्यायिक प्रक्रिया से गुजर रहा था जिस समय मंदिर की देखरेख एवं सुरक्षा के लिए कोई नहीं खड़ा था उस समय निर्मोही अखाड़ा ही एकमात्र ऐसा खड़ा था जो हर विपरीत परिस्थितियों में अयोध्या में अपने साधु के साथ खा रखा था हमने एक लंबी प्रक्रिया के लिए लंबा समय भी दिया है बावजूद इसके जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा को नकार दिया है चिंताजनक है!
महंत ने ई टीवी से बात करते हुए बताते हैं कि उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि आखिरकार राम मंदिर उसी जमीन पर बनेगा जो भगवान राम मंदिर के लिए स्वीकृत की गई थी लेकिन मस्जिद के लिए जमीन देना भी चिंता का विषय है फैसला राजनीतिक भी हो सकता है लेकिन खुशी इस बात की है कि भगवान राम लला वहीं पर आ जाएंगे जिसको लेकर तमाम लोग लगातार आंदोलन करते हुए आ रहे थे!
महंत भगवान दास का कहना है कि कोर्ट के इस फैसले को लेकर उनके तमाम सदस्य इसको लेकर कर बातचीत कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को किस तरह से देखा जाए!
Conclusion: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से पूरे देश में खुशी का माहौल है राम मंदिर को लेकर तमाम लोग एवं देश में रहने वाले सभी धर्म प्रेमी बेहद खुश हैं लेकिन निर्मोही अखाड़ा के सदस्य इस बात से लेकर दुखी हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने उनके अखाड़े को पूरी तरह से नकार दिया!
Body:निर्मोही अखाड़ा के पंच एवं चित्रकूट मंडल के महामंत्री महंत भगवान दास ने ईटीवी से बात करते हुए फैसले का स्वागत करने की बात कही है लेकिन उन्होंने इस बात को लेकर चिंता भी जताई है कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से निर्मोही अखाड़े को नकार दिया है वह वेहद चौंकाने वाली बात है निर्मोही अखाड़ा कई 100 वर्षों पहले से भगवान राम की सेवा करते हुए आ रहा है एवं राम मंदिर को लेकर न्यायालय में एक पक्ष भी रहा है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में निर्मोही अखाड़ा का एक भी बार जिक्र नहीं किया इसको लेकर महंत भगवान दास बेहद नाराज हैं!
महंत की मानें तो पिछले कई वर्षों से निर्मोही अखाड़ा लगातार राम जन्म भूमि को लेकर न्यायिक प्रक्रिया से गुजर रहा था जिस समय मंदिर की देखरेख एवं सुरक्षा के लिए कोई नहीं खड़ा था उस समय निर्मोही अखाड़ा ही एकमात्र ऐसा खड़ा था जो हर विपरीत परिस्थितियों में अयोध्या में अपने साधु के साथ खा रखा था हमने एक लंबी प्रक्रिया के लिए लंबा समय भी दिया है बावजूद इसके जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा को नकार दिया है चिंताजनक है!
महंत ने ई टीवी से बात करते हुए बताते हैं कि उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि आखिरकार राम मंदिर उसी जमीन पर बनेगा जो भगवान राम मंदिर के लिए स्वीकृत की गई थी लेकिन मस्जिद के लिए जमीन देना भी चिंता का विषय है फैसला राजनीतिक भी हो सकता है लेकिन खुशी इस बात की है कि भगवान राम लला वहीं पर आ जाएंगे जिसको लेकर तमाम लोग लगातार आंदोलन करते हुए आ रहे थे!
महंत भगवान दास का कहना है कि कोर्ट के इस फैसले को लेकर उनके तमाम सदस्य इसको लेकर कर बातचीत कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को किस तरह से देखा जाए!
Conclusion: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से पूरे देश में खुशी का माहौल है राम मंदिर को लेकर तमाम लोग एवं देश में रहने वाले सभी धर्म प्रेमी बेहद खुश हैं लेकिन निर्मोही अखाड़ा के सदस्य इस बात से लेकर दुखी हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने उनके अखाड़े को पूरी तरह से नकार दिया!