छतरपुर। देश में आज विश्व मजदूर दिवस मनाया जा रहा है देश की तमाम बड़ी पार्टियां एवं नेता मजदूरों को विश्व मजदूर दिवस की बधाइयां दे रहे हैं. लेकिन आज हम आपको अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर एक ऐसी तस्वीर दिखाने जा रहे हैं जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे. उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में रहने वाले 9 मजदूर मध्य प्रदेश के छतरपुर काम के सिलसिले में आए थे लेकिन अब यह 9 मजदूर एक छोटे से कमरे में रहने को मजबूर हैं सोशल डिस्टेंसिंग की बात छोड़िए इनके पास खाने तक के लिए कुछ नहीं हैं.
मजदूरों तक खाना पहुंचाने वाले समाजसेवी संदीप सोनी बताते हैं कि मजदूरों के हालात बेहद खराब हैं. हम सभी कोशिश करते हैं कि उन्हें खाना मिल सके लेकिन 9 मजदूर एक साथ एक कमरे में रह रहे हैं और इन सभी की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है. मजदूरों का कहना है कि वो कई बार अपने परिजनों के माध्यम से स्थानीय अधिकारियों से बात कर चुके हैं, लेकिन अभी तक वहां से किसी भी प्रकार का संतोषजनक जवाब नहीं आया है.
योगी आदित्यनाथ से लगी है आश
ऐसे में अब उन्हें उम्मीद है कि शायद उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ तक उनकी बात पहुंच जाए और शायद उन्हें यहां से निकालकर उनके गांव तक भेजने की व्यवस्था की जा सके. ईटीवी भारत से बात करते वक्त मजदूर बेहद भावुक हो गए और रोने लगे साथ ही उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से इस बात की अपील की योगी आदित्यनाथ उनकी मदद करें ताकि वह सुरक्षित तरीके से अपने घर पहुंच पाएं.
10 ×10 में गुजर रही जिंदगी
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के रहने वाले कुछ मजदूर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में कुछ दिनों पहले रोजी-रोटी के चलते आए हुए थे. छतरपुर शहर में रहते हुए अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए चने बेचते थे. लेकिन अचानक हुए लोग लॉकडॉउन के चलते ये सभी मजदूर अब छतरपुर में फंस कर रह गए हैं. और 10 ×10 के छोटे कमरे में गुजर कर रहे हैं, जहां सोशल डिस्टेंस तो दूर की बात है पेट भरने के लिए खाना तक ठीक से नहीं मिल रहा है.
वापस बुलाते हैं बच्चे
ये सभी मजदूर उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के रहने वाले हैं. मजदूरों का कहना है कि उन्होंने अपने स्टेट कोआर्डिनेटर से लेकर डीएम एवं एसजीएम तक से बात कर ली है. लेकिन कोई भी उनकी मदद करने के लिए तैयार नहीं है. मजदूरों का कहना है कि अचानक हुए लॉकडाउन की वजह से वो फंस कर रह गए हैं. परिवार के लोग बेहद परेशान हैं. इस समय चाहते हैं कि हम परिवार के साथ रहें. कई बार हमारे बच्चे फोन लगाकर बुलाते हैं पर क्या करें मजबूर हैं.