छतरपुर|| जिले के किसान एक नई समस्या से घिर चुके हैं, क्योंकि रजिस्ट्री होने के बाद भी जमीन का खसरा नंबर रजिस्ट्री मालिक के नाम से दिखायी नहीं दे रहा है. ऐसे में अन्नदाता शासन से मिलने वाली तमाम योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. इसके अलावा उन्हें फर्जीवाड़ा होने का भी डर सता रहा है.
जमीन की रजिस्ट्री का काम करने वाले वकील बंधन सिंह का कहना है कि जिले में यह स्थिति लगभग आठ महीनों से है. जितने लोगों ने अभी तक रजिस्ट्री करायी है, उनके नाम रजिस्ट्री तो हो गई है, लेकिन खसरा नंबर में उनका नाम अब तक दिखायी नहीं दे रहा है. इस संबंध में जिले के रजिस्टार ने बताया कि उनके पास किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है, जो रजिस्ट्रियां हो रही हैं, वह सभी ऑनलाइन दिखायी देती हैं, लेकिन खसरा नंबर जमीन खरीदने वाले के नाम नहीं दिख रहा.
इस संबध में उन्होंने कहा कि उनके पास कोई डाटा नहीं है, क्योंकि ये मामला जिला तहसील से जुड़ा है. वहीं इस मामले में बीजेपी के जिला अध्यक्ष मलखान सिंह से इस स्थिति के लिये कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि सत्ता में आने से कांग्रेस ने किसानों पर फोकस करने की बात कही थी, लेकिन किसान परेशान हो रहा है और सरकार तबादलों और रेत व्यापार की कमाई पर ध्यान दे रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि अब तक एक भी किसान का कर्जा माफ नहीं किया गया है.
दरअसल, रजिस्ट्री कराने के बाद रजिस्ट्री ऑनलाइन होती है, उसके बाद जो जमीन किसान या कायस्थ ने खरीदी है, उसका खसरा नंबर भी खरीदने वाले के नाम ऑनलाइन नेट पर दिखाई देता है, लेकिन जिले में खसरा नंबर जमीन खरीदने वालों के नाम नहीं दिखाई दे रहा है, इसकी वजह यह है कि ग्वालियर से हर जिले के लिए डाटा आता था, लेकिन इस वर्ष वह डाटा नहीं आया है, जिससे इस प्रकार की स्थिति बनी हुई है. इस मामले में प्रशासन ध्यान नहीं देता है तो जमीन से जुड़ा हुआ एक बड़ा घोटाला हो सकता है. क्योंकि खसरा नंबर जमीन खरीदने वाले के नाम ऑनलाइन नेट पर ना दिखाई देना फर्जीवाड़े की ओर इशारा कर रहा है.