छतरपुर। संभाग का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल इन दिनों खुद बीमार है. डॉक्टरों की कमी से मरीज परेशान होते हैं. उन्हें न तो समय पर डॉक्टर मिलते हैं और न ही इलाज. आलम ये है कि सुबह 10 बजे जिला अस्पताल पहुंचे मरीज को शाम 4 बजे तक डॉक्टरों का इंतजार करना पड़ता है.
छतरपुर जिला अस्पताल न सिर्फ सरकार के दावों की पोल खोलता है, बल्कि स्वास्थय विभाग की उदासीनता को भी उजागर करता है. स्टाफ की कमी झेल रहे हॉस्पिटल के सिविल सर्जन और सीएमएचओ कई बार आला अधिकारियों को अस्पातल की हालत बता चुके हैं. कई बार क्षेत्रीय नेताओं को भी अवगत करा चुके हैं. इसके बावजूद डॉक्टरों की नियुक्तियां अधर में लटकी हैं.
यही वजह है कि यहां 35 विशेषज्ञों के पद स्वीकृत हैं. 20 पद भरे हैं, जबकि 15 पद विशेषज्ञों की कमी है. अस्पताल प्रबंधन और साफ सफाई देखने वाला मैटर्न समूह का भी टोटा है. स्वीपर के 23 पद स्वीकृत हैं, जबकि सिर्फ 6 भरे हैं. ऐसी और भी तमाम कमियां हैं, जिनकी दरकार अस्पातल को है.
बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. सिविल सर्जन आरपी पांडे स्वीकारते हैं कि अस्पातल में डॉक्टरों की कमी है. अगर वह पूरी हो जाती है तो अस्पताल अच्छी हालत में आ जाएगा.