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छतरपुर का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल खुद 'बीमार', डॉक्टरों का है टोटा

जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है. आलम ये है कि सुबह 10 बजे जिला अस्पताल पहुंचे मरीज को शाम 4 बजे तक डॉक्टरों का इंतजार करना पड़ता है.

किसान परेशान
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Published : May 21, 2019, 11:02 AM IST

छतरपुर। संभाग का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल इन दिनों खुद बीमार है. डॉक्टरों की कमी से मरीज परेशान होते हैं. उन्हें न तो समय पर डॉक्टर मिलते हैं और न ही इलाज. आलम ये है कि सुबह 10 बजे जिला अस्पताल पहुंचे मरीज को शाम 4 बजे तक डॉक्टरों का इंतजार करना पड़ता है.

छतरपुर का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल खुद 'बीमार'

छतरपुर जिला अस्पताल न सिर्फ सरकार के दावों की पोल खोलता है, बल्कि स्वास्थय विभाग की उदासीनता को भी उजागर करता है. स्टाफ की कमी झेल रहे हॉस्पिटल के सिविल सर्जन और सीएमएचओ कई बार आला अधिकारियों को अस्पातल की हालत बता चुके हैं. कई बार क्षेत्रीय नेताओं को भी अवगत करा चुके हैं. इसके बावजूद डॉक्टरों की नियुक्तियां अधर में लटकी हैं.

यही वजह है कि यहां 35 विशेषज्ञों के पद स्वीकृत हैं. 20 पद भरे हैं, जबकि 15 पद विशेषज्ञों की कमी है. अस्पताल प्रबंधन और साफ सफाई देखने वाला मैटर्न समूह का भी टोटा है. स्वीपर के 23 पद स्वीकृत हैं, जबकि सिर्फ 6 भरे हैं. ऐसी और भी तमाम कमियां हैं, जिनकी दरकार अस्पातल को है.

बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. सिविल सर्जन आरपी पांडे स्वीकारते हैं कि अस्पातल में डॉक्टरों की कमी है. अगर वह पूरी हो जाती है तो अस्पताल अच्छी हालत में आ जाएगा.

छतरपुर। संभाग का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल इन दिनों खुद बीमार है. डॉक्टरों की कमी से मरीज परेशान होते हैं. उन्हें न तो समय पर डॉक्टर मिलते हैं और न ही इलाज. आलम ये है कि सुबह 10 बजे जिला अस्पताल पहुंचे मरीज को शाम 4 बजे तक डॉक्टरों का इंतजार करना पड़ता है.

छतरपुर का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल खुद 'बीमार'

छतरपुर जिला अस्पताल न सिर्फ सरकार के दावों की पोल खोलता है, बल्कि स्वास्थय विभाग की उदासीनता को भी उजागर करता है. स्टाफ की कमी झेल रहे हॉस्पिटल के सिविल सर्जन और सीएमएचओ कई बार आला अधिकारियों को अस्पातल की हालत बता चुके हैं. कई बार क्षेत्रीय नेताओं को भी अवगत करा चुके हैं. इसके बावजूद डॉक्टरों की नियुक्तियां अधर में लटकी हैं.

यही वजह है कि यहां 35 विशेषज्ञों के पद स्वीकृत हैं. 20 पद भरे हैं, जबकि 15 पद विशेषज्ञों की कमी है. अस्पताल प्रबंधन और साफ सफाई देखने वाला मैटर्न समूह का भी टोटा है. स्वीपर के 23 पद स्वीकृत हैं, जबकि सिर्फ 6 भरे हैं. ऐसी और भी तमाम कमियां हैं, जिनकी दरकार अस्पातल को है.

बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. सिविल सर्जन आरपी पांडे स्वीकारते हैं कि अस्पातल में डॉक्टरों की कमी है. अगर वह पूरी हो जाती है तो अस्पताल अच्छी हालत में आ जाएगा.

Intro: संभाग का सबसे बड़ा शासकीय अस्पताल इन दिनों बीमार होने की कगार पर है बजा है अस्पताल में स्टाफ की कमी जिसके चलते सिविल सर्जन एवं सीएमएचओ कई बार अपने वरिष्ठ अधिकारियों सहित क्षेत्रीय नेताओं को भी अवगत करा चुके हैं लेकिन बार-बार बताने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है हालात यह है कि कोई भी गंभीर मरीज जिला अस्पताल में आता है तो उसे तुरंत रिफर करना पड़ता है!


Body: संभाग का सबसे बड़ा शासकीय अस्पताल इन दिनों व्यवस्थाओं के चलते बीमार होने की कगार पर है वजह है डॉक्टरों और स्टाफ की कमी जिसके चलते लगातार इस अस्पताल के हालात बिगड़ते जा रहे हैं हालात बद से बदतर हो गए हैं यहां डॉक्टरों की कमी के चलते आए दिन मरीजों को रेफर करना पड़ रहा है|

अस्पताल के सिविल सर्जन आर पी पांडे भी जिला अस्पताल में घट रही विशेषज्ञों की कमी के चलते चिंता में है सिविल सर्जन का कहना है कि हमारे यहां स्टाफ नर्स एवं वार्ड की भी बेहद कमी है यही वजह है कि लगातार जिला अस्पताल के हालात खराब होते जा रहे हैं!

सिविल सर्जन आर पी पांडेय ने बताया कि जिला अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों के अलावा स्टाफ नर्स लैब टेक्नीशियन की भारी कमी है अस्पताल में लगभग 35 विशेषज्ञ डॉक्टरों की आवश्यकता है लेकिन केवल 20 डॉक्टर ही अस्पताल में काम कर रहे हैं इसके अलावा 126 स्टाफ नर्सों की आवश्यकता है लेकिन 112 नरसिंगी जिला अस्पताल की देखरेख में लगी हुई है इसके अलावा कई और आवश्यकताएं हैं जिनकी जरूरत जिला अस्पताल को है लेकिन समय पर उनकी पूर्ति नहीं हो पा रही है ! आर पी पांडे ने बताया कि इन तमाम बातों को लेकर हम अपने और अधिकारियों एवं क्षेत्रीय नेताओं को भी अवगत करा चुके हैं बावजूद इसके अभी तक इस समस्या का कोई हल नहीं निकला है!

यही वजह है कि हमें एक डॉक्टर से 24 24 घंटों से भी ज्यादा काम लेना पड़ रहा है इसके बावजूद भी जिला अस्पताल की व्यवस्था है सुचारु रुप से नहीं चल पा रही हैं!

बाइट_आरपी पांडेय सिविल सर्जन




Conclusion:छतरपुर जिले का शासकीय अस्पताल आसपास के 5 जिलों का सबसे बड़ा अस्पताल है यहां पर दूर-दूर से मरीज अपना इलाज कराने आते हैं लेकिन वर्तमान में यह जिला अस्पताल खुद बीमार होने की कगार पर है जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी और नर्सों की जरूरत से अधिक ड्यूटी लगाना अव्यवस्थाओं की वजह बना हुआ है! अगर हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले समय में जिला अस्पताल में मरीज आना बंद कर देंगे!
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