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भारतीय दर्शन के अनूठेपन का गवाह है खजुराहो, यहां की कला के अंग्रेज भी हो गए थे दीवाने

विश्वप्रसिद्ध मंदिरों के लिए पहचाने जाने वाले खजुराहो के मंदिर अपनी विशेष शैली की वजह से धरोहर बन चुके हैं. घुमावदार मुड़े हुए पत्थरों से खजुराहो के मंदिरों की दीवारों पर उकेरी गई मूर्तियां नायाब हैं. मूर्तियों की खूबसूरती के साथ ही इन्हें बनाते वक्त कामशास्त्र से जुड़े जो विषय चुने गए हैं, वे मूर्तियों को अनोखा तो बनाते ही हैं, साथ ही लोगों का ध्यान भी खींचते हैं.

खजुराहो
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Published : Mar 21, 2019, 10:49 AM IST

छतरपुर। प्राकृतिक सौंदर्य, भारतीय स्थापत्य और मूर्ति कला की खूबसूरती, इतिहास में छिपे रहस्यों को जानने का उतावलापन इन सभी चीजों का लुत्फ एक जगह पर लेना हो तो खजुराहो से बेहतर जगह ढूंढना आसान नहीं. देश के दिल मध्यप्रदेश में बसी चंदेलकालीन नगरी खजुराहो का सफ़र केवल खूबसूरती और इतिहास के गढ़े मुर्दे उखाड़ने का सफ़र नहीं है, बल्कि इस सफ़र में आप उन खूबसूरत मानवीय एहसासों को भी समझ सकते हैं, जिन पर चर्चा करना समाज के एक बड़े तबके को रास नहीं आता.

अपने विश्वप्रसिद्ध मंदिरों के लिए पहचाने जाने वाले खजुराहो के मंदिर अपनी विशेष शैली की वजह से धरोहर बन चुके हैं. घुमावदार मुड़े हुए पत्थरों से खजुराहो के मंदिरों की दीवारों पर उकेरी गई मूर्तियां नायाब हैं. मूर्तियों की खूबसूरती के साथ ही इन्हें बनाते वक्त कामशास्त्र से जुड़े जो विषय चुने गए हैं, वे मूर्तियों को अनोखा तो बनाते ही हैं, साथ ही लोगों का ध्यान भी खींचते हैं.

कहा जाता है कि काम क्रीड़ा से जुड़ी इन मूर्तियों को अंग्रेजों ने अश्लील माना था. वे इन मंदिरों को तोड़ना चाहते थे. जब उन्हें इन मूर्तियों का ऐतिहासिक और कलात्मक महत्व समझ में आया तब उन्होंने इन्हें बख्श दिया. इन कलाकृतियों की वजह से आज भी इन मंदिरों की आलोचना होती है, लेकिन भारतीय दर्शन में कोई भी विषय अस्वीकार्य नहीं है. भारतीय दर्शन धर्म, अर्थ और मोक्ष के साथ ही काम को भी एक पुरुषार्थ मानता है और इसी दर्शन को बेजान पत्थरों पर उकेर कर जैसे उनमें जान डाल दी गई हो.

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यहां बना कंदरिया महादेव का मंदिर अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर में मौजूद 101 फीट का शिवलिंग लोगों को अचरज में डाल देता है. कहते हैं कि इस मंदिर को चंदेल राजा विद्याधर ने मुहम्मद गजनी पर जीत हासिल करने की खुशी में बनवाया था. इसके साथ ही यहां बने लक्ष्मी मंदिर, जैन मंदिर, वराह मंदिर, सिंह मंदिर, सूर्य मंदिर इतने खूबसूरत हैं कि इन सभी को यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया है. विंध्य के पहाड़ों के बीच से आती सूरज की रोशनी में ये मध्यकालीन मंदिर सोने की तरह चमक उठते हैं तो वहीं पूनम के चांद की दूधिया रोशनी इन्हें और भी मोहक बनाती है.

इन मंदिरों के अलावा खजुराहो से महज 20 किलोमीटर दूर मौजूद रानेह वॉटरफॉल को भारत के सबसे खूबसूरत वॉटरफॉल्स में से एक माना जाता है. इस वॉटरफॉल की खासियत हैं ग्रेनाइट की वो रंग-बिरंगी चट्टानें जिन पर गिरकर इसका पानी उन्हीं के हरे, नीले और गुलाबी रंगों में रंग जाता है. पत्थरों के साथ पानी की अठखेलियां जो रंगबिरंगा जादुई नजारा पैदा करती हैं, वो हर देखने वाले के दिल में उतर जाता है. कुदरत से मिली ये नायाब धरोहर और बेमिसाल मंदिर खजुराहो को अनूठा बनाते हैं. खास बात ये कि जिस तरह की कलाकृतियां दुनिया को अश्लील लगती हैं, वे यहां आध्यात्मिक एहसास कराती हैं. यही तो भारतीय दर्शन की जादूगरी है. वासनाओं से दूर रहकर काम और अध्यात्म जैसे विरोधी भावों के संगम में जब बेजान पत्थर जिंदगी का जश्न मनाते हैं तो खजुराहो जैसी नायाब धरोहर सामने आती है.

छतरपुर। प्राकृतिक सौंदर्य, भारतीय स्थापत्य और मूर्ति कला की खूबसूरती, इतिहास में छिपे रहस्यों को जानने का उतावलापन इन सभी चीजों का लुत्फ एक जगह पर लेना हो तो खजुराहो से बेहतर जगह ढूंढना आसान नहीं. देश के दिल मध्यप्रदेश में बसी चंदेलकालीन नगरी खजुराहो का सफ़र केवल खूबसूरती और इतिहास के गढ़े मुर्दे उखाड़ने का सफ़र नहीं है, बल्कि इस सफ़र में आप उन खूबसूरत मानवीय एहसासों को भी समझ सकते हैं, जिन पर चर्चा करना समाज के एक बड़े तबके को रास नहीं आता.

अपने विश्वप्रसिद्ध मंदिरों के लिए पहचाने जाने वाले खजुराहो के मंदिर अपनी विशेष शैली की वजह से धरोहर बन चुके हैं. घुमावदार मुड़े हुए पत्थरों से खजुराहो के मंदिरों की दीवारों पर उकेरी गई मूर्तियां नायाब हैं. मूर्तियों की खूबसूरती के साथ ही इन्हें बनाते वक्त कामशास्त्र से जुड़े जो विषय चुने गए हैं, वे मूर्तियों को अनोखा तो बनाते ही हैं, साथ ही लोगों का ध्यान भी खींचते हैं.

कहा जाता है कि काम क्रीड़ा से जुड़ी इन मूर्तियों को अंग्रेजों ने अश्लील माना था. वे इन मंदिरों को तोड़ना चाहते थे. जब उन्हें इन मूर्तियों का ऐतिहासिक और कलात्मक महत्व समझ में आया तब उन्होंने इन्हें बख्श दिया. इन कलाकृतियों की वजह से आज भी इन मंदिरों की आलोचना होती है, लेकिन भारतीय दर्शन में कोई भी विषय अस्वीकार्य नहीं है. भारतीय दर्शन धर्म, अर्थ और मोक्ष के साथ ही काम को भी एक पुरुषार्थ मानता है और इसी दर्शन को बेजान पत्थरों पर उकेर कर जैसे उनमें जान डाल दी गई हो.

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यहां बना कंदरिया महादेव का मंदिर अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर में मौजूद 101 फीट का शिवलिंग लोगों को अचरज में डाल देता है. कहते हैं कि इस मंदिर को चंदेल राजा विद्याधर ने मुहम्मद गजनी पर जीत हासिल करने की खुशी में बनवाया था. इसके साथ ही यहां बने लक्ष्मी मंदिर, जैन मंदिर, वराह मंदिर, सिंह मंदिर, सूर्य मंदिर इतने खूबसूरत हैं कि इन सभी को यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया है. विंध्य के पहाड़ों के बीच से आती सूरज की रोशनी में ये मध्यकालीन मंदिर सोने की तरह चमक उठते हैं तो वहीं पूनम के चांद की दूधिया रोशनी इन्हें और भी मोहक बनाती है.

इन मंदिरों के अलावा खजुराहो से महज 20 किलोमीटर दूर मौजूद रानेह वॉटरफॉल को भारत के सबसे खूबसूरत वॉटरफॉल्स में से एक माना जाता है. इस वॉटरफॉल की खासियत हैं ग्रेनाइट की वो रंग-बिरंगी चट्टानें जिन पर गिरकर इसका पानी उन्हीं के हरे, नीले और गुलाबी रंगों में रंग जाता है. पत्थरों के साथ पानी की अठखेलियां जो रंगबिरंगा जादुई नजारा पैदा करती हैं, वो हर देखने वाले के दिल में उतर जाता है. कुदरत से मिली ये नायाब धरोहर और बेमिसाल मंदिर खजुराहो को अनूठा बनाते हैं. खास बात ये कि जिस तरह की कलाकृतियां दुनिया को अश्लील लगती हैं, वे यहां आध्यात्मिक एहसास कराती हैं. यही तो भारतीय दर्शन की जादूगरी है. वासनाओं से दूर रहकर काम और अध्यात्म जैसे विरोधी भावों के संगम में जब बेजान पत्थर जिंदगी का जश्न मनाते हैं तो खजुराहो जैसी नायाब धरोहर सामने आती है.

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भारतीय दर्शन के अनूठेपन का गवाह है खजुराहो, यहां की कला के अंग्रेज भी हो गए थे दीवाने



छतरपुर। प्राकृतिक सौंदर्य, भारतीय स्थापत्य और मूर्ति कला की खूबसूरती, इतिहास में छिपे रहस्यों को जानने का उतावलापन इन सभी चीजों का लुत्फ एक जगह पर लेना हो तो खजुराहो से बेहतर जगह ढूंढना आसान नहीं. देश के दिल मध्यप्रदेश में बसी चंदेलकालीन नगरी खजुराहो का सफ़र केवल खूबसूरती और इतिहास के गढ़े मुर्दे उखाड़ने का सफ़र नहीं है, बल्कि इस सफ़र में आप उन खूबसूरत मानवीय एहसासों को भी समझ सकते हैं, जिन पर चर्चा करना समाज के एक बड़े तबके को रास नहीं आता.



अपने विश्वप्रसिद्ध मंदिरों के लिए पहचाने जाने वाले खजुराहो के मंदिर अपनी विशेष शैली की वजह से धरोहर बन चुके हैं. घुमावदार मुड़े हुए पत्थरों से खजुराहो के मंदिरों की दीवारों पर उकेरी गई मूर्तियां नायाब हैं. मूर्तियों की खूबसूरती के साथ ही इन्हें बनाते वक्त कामशास्त्र से जुड़े जो विषय चुने गए हैं, वे मूर्तियों को अनोखा तो बनाते ही हैं, साथ ही लोगों का ध्यान भी खींचते हैं.



कहा जाता है कि काम क्रीड़ा से जुड़ी इन मूर्तियों को अंग्रेजों ने अश्लील माना था. वे इन मंदिरों को तोड़ना चाहते थे. जब उन्हें इन मूर्तियों का ऐतिहासिक और कलात्मक महत्व समझ में आया तब उन्होंने इन्हें बख्श दिया. इन कलाकृतियों की वजह से आज भी इन मंदिरों की आलोचना होती है, लेकिन भारतीय दर्शन में कोई भी विषय अस्वीकार्य नहीं है. भारतीय दर्शन धर्म, अर्थ और मोक्ष के साथ ही काम को भी एक पुरुषार्थ मानता है और इसी दर्शन को बेजान पत्थरों पर उकेर कर जैसे उनमें जान डाल दी गई हो.



यहां बना कंदरिया महादेव का मंदिर अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर में मौजूद 101 फीट का शिवलिंग लोगों को अचरज में डाल देता है. कहते हैं कि इस मंदिर को चंदेल राजा विद्याधर ने मुहम्मद गजनी पर जीत हासिल करने की खुशी में बनवाया था. इसके साथ ही यहां बने लक्ष्मी मंदिर, जैन मंदिर, वराह मंदिर, सिंह मंदिर, सूर्य मंदिर इतने खूबसूरत हैं कि इन सभी को यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया है. विंध्य के पहाड़ों के बीच से आती सूरज की रोशनी में ये मध्यकालीन मंदिर सोने की तरह चमक उठते हैं तो वहीं पूनम के चांद की दूधिया रोशनी इन्हें और भी मोहक बनाती है.



इन मंदिरों के अलावा खजुराहो से महज 20 किलोमीटर दूर मौजूद रानेह वॉटरफॉल को भारत के सबसे खूबसूरत वॉटरफॉल्स में से एक माना जाता है. इस वॉटरफॉल की खासियत हैं ग्रेनाइट की वो रंग-बिरंगी चट्टानें जिन पर गिरकर इसका पानी उन्हीं के हरे, नीले और गुलाबी रंगों में रंग जाता है. पत्थरों के साथ पानी की अठखेलियां जो रंगबिरंगा जादुई नजारा पैदा करती हैं, वो हर देखने वाले के दिल में उतर जाता है. कुदरत से मिली ये नायाब धरोहर और बेमिसाल मंदिर खजुराहो को अनूठा बनाते हैं. खास बात ये कि जिस तरह की कलाकृतियां दुनिया को अश्लील लगती हैं, वे यहां आध्यात्मिक एहसास कराती हैं. यही तो भारतीय दर्शन की जादूगरी है. वासनाओं से दूर रहकर काम और अध्यात्म जैसे विरोधी भावों के संगम में जब बेजान पत्थर जिंदगी का जश्न मनाते हैं तो खजुराहो जैसी नायाब धरोहर सामने आती है.



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विश्वप्रसिद्ध मंदिरों के लिए पहचाने जाने वाले खजुराहो के मंदिर अपनी विशेष शैली की वजह से धरोहर बन चुके हैं. घुमावदार मुड़े हुए पत्थरों से खजुराहो के मंदिरों की दीवारों पर उकेरी गई मूर्तियां नायाब हैं. मूर्तियों की खूबसूरती के साथ ही इन्हें बनाते वक्त कामशास्त्र से जुड़े जो विषय चुने गए हैं, वे मूर्तियों को अनोखा तो बनाते ही हैं, साथ ही लोगों का ध्यान भी खींचते हैं.



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