छतरपुर। जिले से लगभग 55 किलोमीटर दूर भगवान शिव का एक ऐसा अनोखा धाम है, जिसे लोग बुंदेलखंड के केदारनाथ के नाम से जानते हैं. वैसे तो इस तीर्थ स्थल को लोग जटाशंकर धाम के नाम से भी जानते हैं, क्योंकि इस तीर्थ स्थल में भगवान शिव की एक शिवलिंग मौजूद है, जो स्वयंभू हैं. हालांकि इस धाम से कई किवदंतियां और कहानियां जुड़ी हुई हैं, लेकिन फिर भी ज्यादातर लोग इस मंदिर को तीन कुंड और भगवान शिव की भक्तों पर कृपा के लिए जानते हैं. ऐसा माना जाता है कि भक्त भोलेनाथ के दरबार से आज तक खाली हाथ नहीं लौटा है, फिर चाहे वह राजा हो, रंक या फिर डाकू.
कभी इस क्षेत्र में मूरत सिंह नाम के एक डाकू का खौफ रहा करता था, जिसको लेकर यह क्षेत्र सबसे ज्यादा कुख्यात माना जाता था, लेकिन आज यह क्षेत्र भगवान शिव के धाम से प्रसिद्ध है. साथ ही डाकू मूरत सिंह की भक्ति में भी इस धाम को जाना जाता है.
डाकू का था डर
वैसे तो जटाशंकर धाम को लोग भगवान शिव की अनोखी महिमा और चमत्कारों की वजह से जानते हैं, लेकिन आज भगवान शिव और एक शिव भक्त डाकू की अनोखी कहानी सामने आई. ऐसा माना जाता है कि आज से लगभग 70 से 80 वर्ष पहले क्षेत्र में एक कुख्यात डाकू मूरत सिंह का आतंक रहता था, जिससे लोग बेहद डरते थे, लेकिन डाकू भगवान शिव का अनन्य भक्त था.
क्या कहते हैं स्थानीय लोग
लोग भले ही डाकू से खौफ खाते थे, लेकिन वह इन तमाम फैली अफवाहों से बिल्कुल अलग था. स्थानीय लोग बताते हैं कि डाकू मूरत सिंह ने कभी भी किसी गरीब व्यक्ति को नहीं सताया. इसके अलावा उसने ना सिर्फ जटाशंकर धाम में निर्माण कराया, बल्कि धाम तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों को भी बनवाया. इन लोगों का तो यह भी कहना है कि, डाकू मूरत सिंह जब भी किसी साहूकार का अपहरण करता था तो उसकी फिरौती में मिलने वाले पैसों से जटाशंकर धाम में कोई ना कोई निर्माण कार्य करवा लेता था.
डाकू ने भेष बदलकर करवाए निर्माण कार्य
मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग मौजूद है, जो स्वयंभू हैं. माना जाता है कि, सदियों पहले यह शिवलिंग अपने आप प्रकट हुआ था, जो आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है. पहाड़ियों के बीच घिरा जय शिव धाम ऐसा प्रतीत होता है कि मानो भगवान प्रकृति की गोद में बैठकर लोगों का कल्याण कर रहे हैं. इस पर स्थानीय लोग बताते हैं कि, कई सालों पहले यह घना जंगल हुआ करता था, जहां डाकू मूरत सिंह लंबे समय तक पुलिस के लिए न सिर्फ चुनौती बना रहा. लोग यह भी कहते हैं कि डाकू समय-समय पर पुलिस को चुनौती देते हुए भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आता था. सिर्फ इतना ही नहीं उसने भेष बदलकर मंदिर में कई निर्माण कार्य करवाए हैं.
भेष बदलकर पुलिस को दिया चकमा
डाकू मूरत सिंह की भक्ति से जुड़ा एक लोकमत यह भी है कि, एक बार डाकू ने जटाशंकर धाम में यज्ञ करने की प्रतिज्ञा की थी, जिसमें आसपास गांव के कई लोगों को आमंत्रित किया गया था, जो पुलिस के लिए चुनौती बनती जा रही थी, क्योंकि डाकू मूरत सिंह कई सालों से फरार चल रहा था. पुलिस ने इस यज्ञ में शामिल होने के लिए चाक-चौबंद व्यवस्था भी की थी. इसके बावजूद भी डाकू मूरत सिंह भेष बदलकर न सिर्फ जटाशंकर धाम पहुंचा, बल्कि उसने भगवान शिव का अभिषेक करते हुए यज्ञ में आहुतियां भी दी.
भगवान शिव के सामने किया आत्मसमर्पण
ऐसा माना जाता है कि, पुलिस कई बार डाकू को पकड़ने की कोशिश करती रही, लेकिन कभी सफलता हाथ नहीं लग पाई. इधर डाकू मूरत सिंह लंबे समय तक फरार चलता रहा, जिसने आखिरकार जटाशंकर धाम में ही भगवान शिव के सामने आत्मसमर्पण किया.
भोलेनाथ की डाकू पर थी कृपा
स्थानीय लोग बताते हैं कि, भगवान शिव की डाकू मूरत सिंह पर विशेष कृपा थी. यही वजह है कि डाकू हर बार पुलिस को चकमा देकर भोलेनाथ के दर्शन करने पहुंचता था. आज जटाशंकर धाम पर्यटन तीर्थ स्थलों में शामिल है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग भगवान शिव के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. वादियों के बीच भगवान शिव का यह धाम बेहद सुंदर और मनोहर है.