छतरपुर। कुछ लोग मां-बाप की सेवा में जिंदगी खपा देते हैं तो कुछ समाजेसेवा में जिंदगी गुजार देते हैं, जबकि कुछ लोग हरि सेवा और समाजसेवा करके असीम खुशी पाते हैं. पर ये सेवक बिल्कुल अलग है जो इंसान, समाज और भगवान नहीं बल्कि जानवर की सेवा में जन्नत तलाशता है. छतरपुर शहर के सटई रोड निवासी रविराज सिंह एक ऐसे ही गोसेवक हैं, जो गौमाता की सेवा को ही अपना पूरा जीवन समर्पित कर चुके हैं. इसीलिए उन्होंने दो बार अपनी शादी भी ठुकरा दी, अब इनके लिए गौमाता ही इनका परिवार है और गोसेवा इनका धर्म.
25 साल का रविराज पढ़ा लिखा नहीं है, पर सुबह से शाम तक बेसहारा गायों को चारा-पानी देता है, इसके बाद अपनी नौकरी पर चला जाता है, जहां रात भर वेयरहाउस की चौकीदारी करता है और सुबह होते ही फिर गौसेवा की तलाश में निकल जाता है, इस बीच थोड़ा टाइम निकालकर खाना-पीना कर लेता है, चौकीदारी का मेहनताना उसे 6000 रूपए प्रति माह मिलता है, जिसमें से 3000 रूपए वो गोसेवा में खर्च कर देता है. बाकी 3000 हजार में अपना खर्च चलाता है, जबकि रविराज की पारिवारिक स्थिति बहुत ठीक नहीं है, उसके पिता साईं मंदिर में सेवादार हैं और उसकी मां गृहणी हैं.
रविराज अपने परिवार में सबसे बड़ा है. रविदास का कहना है कि उसका पूरा परिवार उसके इस काम में सहयोग करता है. वह पढ़ा-लिखा नहीं है इसलिए वेयर हाउस में 6 हजार रुपए में चौकीदारी करता है. रात में डयूटी करने के बाद सुबह 11 बजे से लेकर रात 8 बजे तक गायों की सेवा करता है. इस दौरान वो भागदौड़ बहुत करता है, लेकिन गोसेवा के जुनून के चलते थकान उसे छू भी नहीं पाती है. उसके इस काम में उसके दोस्त भी मदद करते हैं. लेकिन परिवार के लोग खुश नहीं है क्योंकि वो तीन बार अपनी शादी का रिश्ता तोड़ चुका है, जब रिश्ते वाले घर पर आते हैं तभी किसी न किसी का फोन आ जाता है और वो गाय की रक्षा के लिए निकल जाता है.