छतरपुर। बिजावर तहसील मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूर बसे भारतपुर गांव की पहचान कभी कमल के फूलों वाले गांव के तौर पर होती थी. तब आसपास के जिलों में प्रमुख त्योहारों जैसे दीपावली, महालक्ष्मी पूजा, निर्जला तीज के अवसर पर कमल के फूलों की डिमांड पूरी की जाती थी. जिससे कई परिवारों का गुजारा होता था, लेकिन समय के साथ बढ़ती प्रकृति की मार यहां के लोगों के जख्मों पर नमक छिड़क रही है और बाकी बची-खुची कसर प्रशासन पूरी कर दे रहा है क्योंकि यहां के किसानों के लिए कोई बाजार उपलब्ध नहीं है, जहां ये कमल के फूलों की बिक्री कर सकें. ऐसे में सिर्फ त्योहार के समय ही कमल के फूलों की बिक्री होती है, बाकी समय में ये फूल बेकार ही हो जाते हैं. जिससे यहां के किसान रोजी-रोटी के संकट से जूझ रहे हैं.
किसान बताते हैं कि कमल के फूलों की खेती उनके लिए इकलौता रोजगार का साधन है और कमल के फूल के बीज को गर्मियों में ही लगा देते हैं, जिसके बाद बरसात के शुरुआत तक ये फूल में बदल जाते हैं, लेकिन तेज बारिश के चलते ये फूल पानी में डूब जाते हैं क्योंकि फूलों के लिए जरूरी बाजार नहीं होने से किसान फूल तोड़ते ही नहीं. किसानों की मांग है कि सरकार कमल के फूलों के लिए बेहतर बाजार मुहैया कराए और आर्थिक मदद देकर कमल के फूलों की खेती को बढ़ावा दे, ताकि फूलों के कारोबार में बढ़ोत्तरी हो और किसानों की जीविका भी आसानी से चल सके.
हे सरकार! बचा लो हमारी पहचान, कमल के फूलों के साथ ही कुम्हला रहे किसानों के चेहरे - nature
कभी फूलों की हिफाजत कांटे करते हैं तो कभी दलदल फूलों तक उसे मसलने वाले हाथ पहुंचने नहीं देते, पर समय की मार के आगे ये सब बेबस हैं और ऊपर से शासन की बेरुखी उनका नामोनिशां तक मिटाने पर आमादा है. एक समय में बड़े-बुजुर्ग कमल जैसा बनने की सीख देते थे, जो कीचड़ में खिलने के बाद भी अपनी चमक से लोगों को अपना मुरीद बना लेता था, पर आज वही कमल विलुप्त होने की कगार पर है.
छतरपुर। बिजावर तहसील मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूर बसे भारतपुर गांव की पहचान कभी कमल के फूलों वाले गांव के तौर पर होती थी. तब आसपास के जिलों में प्रमुख त्योहारों जैसे दीपावली, महालक्ष्मी पूजा, निर्जला तीज के अवसर पर कमल के फूलों की डिमांड पूरी की जाती थी. जिससे कई परिवारों का गुजारा होता था, लेकिन समय के साथ बढ़ती प्रकृति की मार यहां के लोगों के जख्मों पर नमक छिड़क रही है और बाकी बची-खुची कसर प्रशासन पूरी कर दे रहा है क्योंकि यहां के किसानों के लिए कोई बाजार उपलब्ध नहीं है, जहां ये कमल के फूलों की बिक्री कर सकें. ऐसे में सिर्फ त्योहार के समय ही कमल के फूलों की बिक्री होती है, बाकी समय में ये फूल बेकार ही हो जाते हैं. जिससे यहां के किसान रोजी-रोटी के संकट से जूझ रहे हैं.
किसान बताते हैं कि कमल के फूलों की खेती उनके लिए इकलौता रोजगार का साधन है और कमल के फूल के बीज को गर्मियों में ही लगा देते हैं, जिसके बाद बरसात के शुरुआत तक ये फूल में बदल जाते हैं, लेकिन तेज बारिश के चलते ये फूल पानी में डूब जाते हैं क्योंकि फूलों के लिए जरूरी बाजार नहीं होने से किसान फूल तोड़ते ही नहीं. किसानों की मांग है कि सरकार कमल के फूलों के लिए बेहतर बाजार मुहैया कराए और आर्थिक मदद देकर कमल के फूलों की खेती को बढ़ावा दे, ताकि फूलों के कारोबार में बढ़ोत्तरी हो और किसानों की जीविका भी आसानी से चल सके.
बिलुप्त हो रही कमल के फूल की खेती,
कमल के फूल की बात करते ही आंखों के सामने फूलो से भरा तालाब दिखाई देता है
हिन्दू मान्यताओ के अनुसार कमल के फूल माँ लक्ष्मी का सिंघासन माना जाता है
वर्तमान समय मे भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिन्ह भी कमल का निशान है
बिजावर मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूर ग्राम भारतपुर कमल के फूल की खेती के लिए जाना जाता था एक समय ऐसा था जब आसपास के जिलों में हिन्दुओ के मुख्य त्योहार दीपावली व महिलाओ के निर्जला तीज के अवसर पर कमल के फूलो को ग्राम भारतपुरा से पहुंचाया जाता था जहां के कई परिवार कमल के फूल की खेती कर मालामाल हो जाते थे
Body: बर्तमान समय मे पानी की कमी के कारण कमल के फूल की खेती तालाबो की जगह नालो,गड्ढो,एवं छोटी - छोटी खदानों लगाने के लिए मजबूर है जो अब केवल दो या तीन ही परिवार करते हैं लगातार पर्यावरण का संतुलित ना होना कहीं ना कहीं कमल के फूल की खेती में बाधा बना हुआ है इस पर यदि प्रशासन कि नजर नही पड़ी तो क्षेत्र की यह मूल खेती बिलुप्त हो जाएगी,
Conclusion:
भारत पुरा गांव में खेती करने वाले परिवार के सदस्यों से बात की तो उन्होंने बताया कमल के फूलो की खेती हमारा एक मात्र रोजगार का साधन है और कमल के फूल के बीज को हम गर्मियों में लगा देते हैं जिसके बाद बरसात के शुरुआती मौसम तक यह फूल में बदल जाते हैं तेज बारिश होने के कारण यह फूल पानी में ही डूब जाते हैं साथी साथ ही फूलों के लिए जरूरी बाजार मंडी नहीं होने से फूल अपने आप ही पानी में सड़ जाते हैं तालाबों में पानी नहीं होने के कारण इन फूलों को गड्ढों या छोटी-छोटी जगह जहां पानी का भराव होता है ऐसी खदानों में लगाने को मजबूर है और शासन से मांग करते हैं कि हमें शासन बेहतर बाजार मुहैया कराए और आर्थिक मदद के साथ साथ कमल के फूल की खेती को बढ़ावा देने के लिए जरूरत की सामग्री मुहैया कराए तो यह हमारे लिए रोजगार का साधन बन सकता है जिससे हम और अधिक मात्रा में फूलों का कारोवार कर के इनको बाजार में बेचने अधिक मुनाफा कमा सकते है यह खेती हमारी आजिबिका का बहुत बड़ा साधन बन सकता है
बाईट-1- हरि शंकर रैकवार ( किसान भारतपुर)
बाईट -2- रूप चंद्र रैकवार ( किसान भारतपुरा)
स्पेशल
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