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इस मंदिर में रात की चांदनी से बदल जाती है खीर की तासीर, जानें वजह

छतरपुर से लगभग 20 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित ग्राम कर्री से बिहारी जू मंदिर स्थित है जिसका इतिहास लगभग 500 साल पुराना है. वही कहा जाता है कि इस मंदिर में रात के समय बांसुरी जैसी ध्वनि सुनाई देती है और साथ ही बता दें कि यह मंदिर मध्यप्रदेश का एक ऐसा इकलौता मंदिर है जो शरद पूर्णिमा के दिन चमत्कारिक विशेषताओं से परिपूर्ण करता है और इसी कारण यह कोतुहल का विषय बना हुआ है.

इस मंदिर में आज रात की चांदनी से बदल जाती है खीर की तासीर
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Published : Oct 13, 2019, 11:49 PM IST

छतरपुर। जिले से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम कर्री से बिहारी जू मंदिर है. जिसका इतिहास लगभग 500 साल पुराना बताया जाता है, जो लोगों के बीच कोतुहल का विषय बना हुआ है. वहीं कहते हैं कि इस मंदिर में रात के समय बांसुरी जैसी ध्वनि सुनाई देती है.

रात की चांदनी से बदल जाती है खीर की तासीर


कहते हैं आज के दिन प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण श्री कृष्ण ने महारास रचाया था. ये मान्यता भी है कि आज के दिन ही मां लक्ष्‍मी का जन्‍म हुआ था, जिस वजह से देश के कई हिस्‍सों में इस दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा भी की जाती है. बता दें कि आज शरद पूर्णिमा है और चंद्रमा आज के दिन अमृत वर्षा करने वाला देवता कहा गया है. वहीं ग्रंथों के मुताबिक, शरद पूर्णिमा की रात में आकाश से अमृत बरसता है और सूरज की झुलसाने वाली गर्मी के बाद पूर्णिमा की रात में पूर्ण चंद्र की किरणें शीतलता बरसाती हैं, जो तन-मन की उष्णता कम हो जाती है.


शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी संपूर्ण 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है और पूर्णिमा तिथि का स्वामी भी स्वयं चंद्रमा ही है. इसलिए चंद्रमा कि किरणों से इस रात अमृत की वर्षा होने की मान्यता है और आयुर्वेद के अनुसार रातभर इसकी रोशनी में रखी जाने वाली खीर को खाने से रोग दूर हो जाते हैं.

छतरपुर। जिले से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम कर्री से बिहारी जू मंदिर है. जिसका इतिहास लगभग 500 साल पुराना बताया जाता है, जो लोगों के बीच कोतुहल का विषय बना हुआ है. वहीं कहते हैं कि इस मंदिर में रात के समय बांसुरी जैसी ध्वनि सुनाई देती है.

रात की चांदनी से बदल जाती है खीर की तासीर


कहते हैं आज के दिन प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण श्री कृष्ण ने महारास रचाया था. ये मान्यता भी है कि आज के दिन ही मां लक्ष्‍मी का जन्‍म हुआ था, जिस वजह से देश के कई हिस्‍सों में इस दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा भी की जाती है. बता दें कि आज शरद पूर्णिमा है और चंद्रमा आज के दिन अमृत वर्षा करने वाला देवता कहा गया है. वहीं ग्रंथों के मुताबिक, शरद पूर्णिमा की रात में आकाश से अमृत बरसता है और सूरज की झुलसाने वाली गर्मी के बाद पूर्णिमा की रात में पूर्ण चंद्र की किरणें शीतलता बरसाती हैं, जो तन-मन की उष्णता कम हो जाती है.


शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी संपूर्ण 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है और पूर्णिमा तिथि का स्वामी भी स्वयं चंद्रमा ही है. इसलिए चंद्रमा कि किरणों से इस रात अमृत की वर्षा होने की मान्यता है और आयुर्वेद के अनुसार रातभर इसकी रोशनी में रखी जाने वाली खीर को खाने से रोग दूर हो जाते हैं.

Intro:शरद पूर्णिमा / आज रात की चांदनी से बदल जाती है खीर की तासीर,*
कहते हैं आज के दिन प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण श्री कृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था. और
मान्यता यह भी है कि आज के दिन ही मां लक्ष्‍मी का जन्‍म हुआ था। इस वजह से देश के कई हिस्‍सों में इस दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा भी की जाती है,
ग्राम कर्री से लगभग 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित बिहारी जू मंदिर जिसका इतिहास लगभग पांच 500 पुराना बताया जा रहा है लोगों के लिए यह मंदिर कोतुहल का विषय बना हुआ है कहते हैं इस मंदिर में रात के समय बांसुरी जैसी ध्वनि प्रतीत होती है मध्यप्रदेश में एक इकलौता एक ऐसा मंदिर है जो शरद पूर्णिमा को चमत्कारिक विशेषताओं से परिपूर्ण हैBody:*शरद पूर्णिमा / आज रात की चांदनी से बदल जाती है खीर की तासीर,*
कहते हैं आज के दिन प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण श्री कृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था. और
मान्यता यह भी है कि आज के दिन ही मां लक्ष्‍मी का जन्‍म हुआ था। इस वजह से देश के कई हिस्‍सों में इस दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा भी की जाती है,
ग्राम कर्री से लगभग 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित बिहारी जू मंदिर जिसका इतिहास लगभग पांच 500 पुराना बताया जा रहा है लोगों के लिए यह मंदिर कोतुहल का विषय बना हुआ है कहते हैं इस मंदिर में रात के समय बांसुरी जैसी ध्वनि प्रतीत होती है मध्यप्रदेश में एक इकलौता एक ऐसा मंदिर है जो शरद पूर्णिमा को चमत्कारिक विशेषताओं से परिपूर्ण करता है
आजशरद पूर्णिमाहै। चंद्रमा बच्चों के लिए चंदा मामा, विज्ञान के लिए धरती का एकमात्र उपग्रह और मान्यताओं में अमृत वर्षा करने वाला देवता कहा गया है। ग्रंथों के मुताबिक, शरद पूर्णिमा की रात में आकाश से अमृत बरसता है। सूरज की झुलसानेवाली गर्मी के बाद पूर्णिमा की रात में पूर्ण चंद्र की किरणें शीतलता बरसाती हैं, जो तन-मन की उष्णता कम हो जाती है।

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमाअपनी संपूर्ण 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है।पूर्णिमा तिथि का स्वामी भी स्वयं चंद्रमाही है, इसलिए उसकी किरणों से इस रात अमृत की वर्षा होने की मान्यता है। आयुर्वेद के अनुसार रातभर इसकी रोशनी में रखी खीर खाने से रोग दूर होते हैं।
वाइट -रामचरण विश्वकर्मा (श्रद्धालु)
वाइट -बब्लू प्रसाद (पुजारी)Conclusion:कहा जाता है शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमाअपनी संपूर्ण 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है।पूर्णिमा तिथि का स्वामी भी स्वयं चंद्रमाही है, इसलिए उसकी किरणों से इस रात अमृत की वर्षा होने की मान्यता है। आयुर्वेद के अनुसार रातभर इसकी रोशनी में रखी खीर खाने से रोग दूर होते हैं।
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