ETV Bharat / state

पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को अधिकारी लगा रहे पलीता

ओडीएफ घोषित होने के बाद भी छतरपुर के गांव में लोग खुले में शौच में जाने को मजबूर हैं.

author img

By

Published : Nov 20, 2019, 10:40 PM IST

Updated : Nov 20, 2019, 11:52 PM IST

'TOILET' के नाम पर मजाक !

छतरपुर। 2 अक्टूबर को जब देश ओडीएफ घोषित हुआ तो शायद उससे पहले बुंदेलखंड के गांवों पर किसी का ध्यान नहीं गया. अगर ऐसा हुआ होता तो शायद ये घोषणा ही नहीं हुई होती. क्योकिं इन कागजी रिपोर्टों से कोसो दूर है जमीनी हकीकत. जहां शौचालय का यूज शौच के लिए जाता है वहां बुंदेलखंड के ग्रामीण कंडे रखने के लिए उपयोग करते हैं, इन शौचालयों का. पढ़िए बुंदेलखंड में शौचालयों की जमीनी हकीकत.

'TOILET'के नाम पर मजाक !


शौचालयों में रख रहे कंडे, खुले में शौच को मजबूर

छतरपुर की महिलाएं, बच्चें-बूढ़ें सब खुले में शौच में जाने को मजबूर हैं. नाम के लिए तो सरकारी योजनाओं के तहत शौचालय तो बनवा दिए गए हैं. लेकिन वो ऐेसे शौचालय हैं जहां कंडो को संग्रहित किया जा रहा है. ये एक अनूठा यूज किया है ग्रामीणों ने शौचालयों का.


टैंक ही नहीं तो कैसे करें शौचालयों का यूज

महज चार दीवार खड़ी कर एक टॉयलेट सीट लगाने से तो शौचालय नहीं बन जाता. ग्रामीण शौचालय का यूज इसी वजह से नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि टैंकर के नाम पर सिर्फ गड्ढे खोद कर छोड़ दिेए हैं. अब ऐसे में भला ग्रामीण बाहर शौच के लिए न जाएं तो कहां जाएं.


भ्रष्टाचार की सीमा पार

शौचालय की अनियमितताएं ही कम नहीं थी की इस मामले में भ्रष्टाचारी भी उजागर हो गई. अब तक ग्रामीणों को शौचालय के पैसे भी नहीं मिले हैं. वहीं कहीं-कहीं तो किसी के नाम के पैसे भी निकाल लिए गए हैं लेकिन शौचालय नहीं बनाया गया.


कागजों में तो 2018 में ही बन चुके हैं शत- प्रतिशत शौचालय

इस मामले पर आला अधिकारी एक अलग ही दलील पेश कर रहे हैं. स्वच्छ भारत अभियान प्रभारी मनीषा यादव का कहना है कि लगभग सब जगह शौचालय बनवनाए जा चुके हैं. लेकिन जो लोग गांव के बाहर थे और जो अपने परिवार से अलग हैं उन लोगों जोड़ा जा रहा है. आने वाले समय में जल्द से जल्द इनके भी शौचालय बन जाएंगे. वहीं जनपद सीईओ मजहर अली का कहना है कि 2018 में ही शत-प्रतिशत शौचालय बनवा दिए गए थे. लेकिन जिन लोगों के शौचालय नहीं बने हैं, उनके दूसरे चरण में बन जाएंगे.

छतरपुर। 2 अक्टूबर को जब देश ओडीएफ घोषित हुआ तो शायद उससे पहले बुंदेलखंड के गांवों पर किसी का ध्यान नहीं गया. अगर ऐसा हुआ होता तो शायद ये घोषणा ही नहीं हुई होती. क्योकिं इन कागजी रिपोर्टों से कोसो दूर है जमीनी हकीकत. जहां शौचालय का यूज शौच के लिए जाता है वहां बुंदेलखंड के ग्रामीण कंडे रखने के लिए उपयोग करते हैं, इन शौचालयों का. पढ़िए बुंदेलखंड में शौचालयों की जमीनी हकीकत.

'TOILET'के नाम पर मजाक !


शौचालयों में रख रहे कंडे, खुले में शौच को मजबूर

छतरपुर की महिलाएं, बच्चें-बूढ़ें सब खुले में शौच में जाने को मजबूर हैं. नाम के लिए तो सरकारी योजनाओं के तहत शौचालय तो बनवा दिए गए हैं. लेकिन वो ऐेसे शौचालय हैं जहां कंडो को संग्रहित किया जा रहा है. ये एक अनूठा यूज किया है ग्रामीणों ने शौचालयों का.


टैंक ही नहीं तो कैसे करें शौचालयों का यूज

महज चार दीवार खड़ी कर एक टॉयलेट सीट लगाने से तो शौचालय नहीं बन जाता. ग्रामीण शौचालय का यूज इसी वजह से नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि टैंकर के नाम पर सिर्फ गड्ढे खोद कर छोड़ दिेए हैं. अब ऐसे में भला ग्रामीण बाहर शौच के लिए न जाएं तो कहां जाएं.


भ्रष्टाचार की सीमा पार

शौचालय की अनियमितताएं ही कम नहीं थी की इस मामले में भ्रष्टाचारी भी उजागर हो गई. अब तक ग्रामीणों को शौचालय के पैसे भी नहीं मिले हैं. वहीं कहीं-कहीं तो किसी के नाम के पैसे भी निकाल लिए गए हैं लेकिन शौचालय नहीं बनाया गया.


कागजों में तो 2018 में ही बन चुके हैं शत- प्रतिशत शौचालय

इस मामले पर आला अधिकारी एक अलग ही दलील पेश कर रहे हैं. स्वच्छ भारत अभियान प्रभारी मनीषा यादव का कहना है कि लगभग सब जगह शौचालय बनवनाए जा चुके हैं. लेकिन जो लोग गांव के बाहर थे और जो अपने परिवार से अलग हैं उन लोगों जोड़ा जा रहा है. आने वाले समय में जल्द से जल्द इनके भी शौचालय बन जाएंगे. वहीं जनपद सीईओ मजहर अली का कहना है कि 2018 में ही शत-प्रतिशत शौचालय बनवा दिए गए थे. लेकिन जिन लोगों के शौचालय नहीं बने हैं, उनके दूसरे चरण में बन जाएंगे.

Intro:पूरे विश्व में आज टॉयलेट दिवस मनाया गया है 2 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे भारत में ओडीएफ अर्थात खुले में शौच मुक्त की घोषणा कर दी थी लेकिन बुंदेलखंड के ग्रामीण क्षेत्र आज भी इस हकीकत से कोसों दूर है सरकारी योजना के तहत जो शौचालय बनवाए गए थे ग्रामीण क्षेत्रों में गांव के लोग ना तो इन शौचालयों का उपयोग कर रहे हैं बल्कि इन शौचालयों में किसी ने कंडे रखे हुए हैं तो किसी ने घर गृहस्ती का सामान!


Body: पूरा विश्वास विश्व टॉयलेट दिवस मना रहा है जिसको लेकर कई जगहों पर तरह तरह के कार्यक्रम भी किए गए होंगे 2 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को ओडीएफ घोषित कर दिया था अर्थात खुले में शौच मुक्त लेकिन हकीकत इसके ठीक विपरीत है बुंदेलखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी गांव की महिलाएं बाहर शौच जाने को मजबूर हैं जिसकी एक बड़ी वजह स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनाए गए शौचालय का गुणवत्ता विहीन होना है ग्रामीण क्षेत्रों में जिन शौचालयों को बनवाया गया है उनमें भारी अनियमितताएं हैं कई जगहों पर अभी तक शौचालय के पैसे भी नहीं पहुंचे हैं तो कई जगहों पर किसी के नाम के पैसे निकाल लिए गए हैं लेकिन शौचालय नहीं बनाया गया है ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों की मानें तो जिन शौचालयों को सरकार की तरफ से बनवाया गया है उनकी गुणवत्ता बेहद खराब है बैठने की उचित व्यवस्था नहीं है तो कहीं टैंक नहीं बनवाया गया है तो कहीं किसी के नाम पर पैसे निकलवा लिए गए हैं लेकिन शौचालय नहीं बना है यह समस्या छतरपुर जिले के आसपास के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में हैं जिसको लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोग खासे परेशान हैं अब कागजों में भले ही पूरे भारत को एवं छतरपुर जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया हो लेकिन हकीकत इसके ठीक विपरीत है गांव की महिलाएं आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं!

बाइट_समुन्त्रा ग्रामीण महिला
बाइट_पुनिया_ग्रामीण बुजुर्ग महिला

वहीं इस पूरे मामले में अधिकारियों की अलग ही दलील है स्वच्छ भारत अभियान की प्रभारी मनीषा यादव बताती हैं कि लगभग सभी जगह पर शौचालय का निर्माण कर दिया गया है लेकिन जो लोग गांव के बाहर रहकर मजदूरी या काम करने गए थे उन लोगों के शौचालय निर्माण होना रह गए हैं जो आने वाले समय में जल्द से जल्द बन जाएंगे!

बाइट_मनीषा यादव(स्वच्छ भारत अभियान प्रभारी)

इस पूरे मामले में जनपद सीईओ मजहर अली का कहना है कि लगभग सभी लोगों के शौचालय बनवा दिए गए हैं जिन लोगों के शौचालय नहीं बने हैं वह दूसरे चरण में बन जाएंगे हालांकि जनपद सीईओ ने जो शौचालय खराब है और शौचालयों के बारे में किसी भी प्रकार की कोई चर्चा नहीं की!



Conclusion:छतरपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय गुणवत्ता विहीन के चलते ग्रामीण क्षेत्र के लोग उनका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को शौच करने के लिए खुले में जाना पड़ रहा है हालांकि जिले के वरिष्ठ अधिकारियों का इस ओर किसी भी प्रकार का कोई ध्यान नहीं है!
Last Updated : Nov 20, 2019, 11:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.