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दिव्यांग बच्ची के माता-पिता ने पेश की मिसाल, पढ़ा-लिखाकर बनाना चाहते हैं 'अफसर बिटिया' - छतरपुर में दिव्यांग बच्ची का जन्म

बुंदेलखंड में बेटी के जन्म लेने पर जहां आज भी माता-पिता दुखी होते हैं, वहीं छतरपुर के मऊपुर गांव के रहने वाले सेन परिवार ने दिव्यांग बच्ची के जन्म लेने पर उसे दिल से स्वीकार भी किया और अब वे अपने जिगर के टुकड़े को पढ़ा-लिखाकर अफसर बनाना चाहते हैं. समाज के तानों की परवाह न करते हुए उन्होंने एक मिसाल पेश की है.

दिव्यांग बच्ची
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Published : Jul 12, 2019, 10:37 AM IST

छतरपुर। सरकार 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' जैसे नारों के साथ देश में महिलाओं और बच्चियों को आगे बढ़ाने की कोशिश रही हो, लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग हैं, जिनके लिए बेटियां पैदा होना एक चिंता का विषय होता है. अगर बेटी जन्म से ही दिव्यांग हो तो यह चिंता चार गुणा ज्यादा बढ़ जाती है, लेकिन जिले के मऊपुर गांव का रहनेवाला सेन परिवार अपनी दिव्यांग बच्ची को हर खुशियां और हर हक देना चाहता है. माता-पिता उसे पढ़ा-लिखाकर एक बड़ा ऑफिसर बनाना चाहते हैं. बता दें कि जन्म के समय से ही नवजात बच्ची के दोनों हाथ नहीं हैं.

गांव के लोग बच्ची की मां और उसके परिवार पर छींटाकशी कर परिवार का मनोबल गिराने की कोशिश करते हैं, लेकिन मऊपुर गांव में रहने वाले सेन परिवार ने इन सब पर ध्यान नहीं देते हुए एक मिसाल पेश की है. दरअसल इस परिवार में कुछ दिनों पहले एक बच्ची ने जन्म लिया था, बच्ची के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं थे. जन्म के समय बच्ची के माता-पिता को दुख हुआ, लेकिन बाद में उन्होंने बेटी होने की खुशी भी मनाई, साथ ही उसे पढ़ा-लिखाकर अफसर बनाने की भी ठान ली.

दिव्यांग बच्ची को पढ़ा-लिखाकर अफसर बनाना चाहते हैं माता-पिता

बच्ची चांदनी की मां का कहना है कि गांव के लोग चाहते थे कि यह बच्ची मर जाए, लेकिन जब लोग ऐसा बोलते थे तो मुझे बहुत बुरा लगता था. मैं चाहती हूं कि मेरी बच्ची पढ़-लिखकर आगे बढ़े. वहीं भारती सेन की सास भी अपनी पोती को पाकर बहुत खुश हैं. चांदनी के पिता का कहना है कि उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि उनके घर में बच्ची ने जन्म लिया है.

एक ओर जहां बुंदेलखंड में आज भी बेटियों का जन्म लेना लोगों के लिए चिंता का विषय होता है. ऐसे में यह सेन परिवार अपनी दिव्यांग बेटी के जन्म लेने पर खुशियां मना रहा है और साथ ही साथ लोगों के लिए एक मिसाल बनकर भी उभरा है. सेन परिवार का कहना है कि हर परिस्थिति में वह अपनी बेटी के साथ ताउम्र खड़े रहेंगे.

छतरपुर। सरकार 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' जैसे नारों के साथ देश में महिलाओं और बच्चियों को आगे बढ़ाने की कोशिश रही हो, लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग हैं, जिनके लिए बेटियां पैदा होना एक चिंता का विषय होता है. अगर बेटी जन्म से ही दिव्यांग हो तो यह चिंता चार गुणा ज्यादा बढ़ जाती है, लेकिन जिले के मऊपुर गांव का रहनेवाला सेन परिवार अपनी दिव्यांग बच्ची को हर खुशियां और हर हक देना चाहता है. माता-पिता उसे पढ़ा-लिखाकर एक बड़ा ऑफिसर बनाना चाहते हैं. बता दें कि जन्म के समय से ही नवजात बच्ची के दोनों हाथ नहीं हैं.

गांव के लोग बच्ची की मां और उसके परिवार पर छींटाकशी कर परिवार का मनोबल गिराने की कोशिश करते हैं, लेकिन मऊपुर गांव में रहने वाले सेन परिवार ने इन सब पर ध्यान नहीं देते हुए एक मिसाल पेश की है. दरअसल इस परिवार में कुछ दिनों पहले एक बच्ची ने जन्म लिया था, बच्ची के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं थे. जन्म के समय बच्ची के माता-पिता को दुख हुआ, लेकिन बाद में उन्होंने बेटी होने की खुशी भी मनाई, साथ ही उसे पढ़ा-लिखाकर अफसर बनाने की भी ठान ली.

दिव्यांग बच्ची को पढ़ा-लिखाकर अफसर बनाना चाहते हैं माता-पिता

बच्ची चांदनी की मां का कहना है कि गांव के लोग चाहते थे कि यह बच्ची मर जाए, लेकिन जब लोग ऐसा बोलते थे तो मुझे बहुत बुरा लगता था. मैं चाहती हूं कि मेरी बच्ची पढ़-लिखकर आगे बढ़े. वहीं भारती सेन की सास भी अपनी पोती को पाकर बहुत खुश हैं. चांदनी के पिता का कहना है कि उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि उनके घर में बच्ची ने जन्म लिया है.

एक ओर जहां बुंदेलखंड में आज भी बेटियों का जन्म लेना लोगों के लिए चिंता का विषय होता है. ऐसे में यह सेन परिवार अपनी दिव्यांग बेटी के जन्म लेने पर खुशियां मना रहा है और साथ ही साथ लोगों के लिए एक मिसाल बनकर भी उभरा है. सेन परिवार का कहना है कि हर परिस्थिति में वह अपनी बेटी के साथ ताउम्र खड़े रहेंगे.

Intro:छतरपुर जिले के छोटे से गांव मऊ पुर में जन्मे एक बच्ची इन दिनों चर्चा में है दरअसल जन्म के समय से ही इस नवजात बच्ची के दोनों हाथ नहीं हैं जिसके बाद गांव के लोग लगातार इस बच्ची की मां एवं उसके परिवार पर छींटाकशी करते हुए परिवार के लोगों का मनोबल गिरा रहे थे लेकिन परिवार के लोग अपनी नवजात बेटी को पढ़ा लिखा कर ना सिर्फ आगे बढ़ता देखना चाहते हैं बल्कि आने वाले समय में उसे एक ऑफिसर बनाना चाहते हैं!


Body: सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे नारों के साथ देश में महिलाओं एवं बच्चियों को देश में आगे बना रही हो लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग जिनके लिए बेटियां पैदा होना एक चिंता का विषय होती हैं और अगर बेटी जन्म से ही दिव्यांग हो तो यह चिंता चार गुनी हो जाती है!

लेकिन छतरपुर जिले के छोटे से गांव मऊ पुर में रहने वाला एक सेन परिवार ने बुंदेलखंड की उन तमाम कुरूतियों को तोड़ते हुए एक अलग मिसाल पेश की है दरअसल इस परिवार में कुछ दिनों पहले एक नवजात बच्ची ने जन्म लिया था बच्ची बेहद सुंदर और स्वस्थ थी लेकिन जन्म के समय ही भगवान ने उसके साथ वह मजाकिया जिसकी शायद ही किसी को उम्मीद हो जन्म से ही उस नवजात बच्ची के हाथ नहीं थे जन्म के समय बच्ची के माता-पिता को थोड़ा बुरा लगा लेकिन बाद में उन्होंने बेटी होने की नासिक खुशी मनाई बल्कि उसे पढ़ा लिखा कर आगे शंकर अफसर बनाने की भी ठान ली

बच्ची को जन्म देने वाली महिला का कहना है कि गांव के लोग चाहती थी कि यह बच्ची मर जाए लेकिन जब लोग ऐसा बोलते थे तो मुझे बहुत बुरा लगता था मैं चाहती हूं कि मेरी बच्ची पढ़ लिख कर आगे बढ़े!


बाइट_भारती सेन _ माँ

वहीं भारतीय सेन की सास भी अपनी पोती को पाकर बहुत खुश है हालांकि उन्हें इस बात का गम भी है कि उसके दोनों हाथ नहीं है लेकिन उनका कहना है कि उनके परिवार में कोई लड़की नहीं थी उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि उनके यहां एक लड़की ने जन्म लिया है!

बाइट_ सरस्वती सेन भारतीय सेन की सास

वही भारतीय सेन के पति एवं चांदनी के पिता का कहना है कि उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि उनके घर में बच्ची ने जन्म लिया है भले ही उसके दोनों हाथ ना हो लेकिन हमारा परिवार उसकी जिंदगी भर सेवा कर कर उसे पढ़ा लिखा कर आगे बढ़ता हुआ देखना चाहता है!


बाइट दशरथ सेन पिता


Conclusion:एक ओर जहां बुंदेलखंड में आज भी बेटियों का जन्म लेना लोगों के लिए चिंता का विषय होता है ऐसे में यह सेन परिवार अपनी दिव्यांग बेटी के जन्म लेने पर नासिक खुशियां मना रहा है बल्कि लोगों के लिए एक मिसाल बनकर भी उभरा है सेन परिवार का कहना है कि हर परिस्थिति में वह अपनी बेटी के साथ खड़े हुए हैं!
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