छतरपुर। सरकार 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' जैसे नारों के साथ देश में महिलाओं और बच्चियों को आगे बढ़ाने की कोशिश रही हो, लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग हैं, जिनके लिए बेटियां पैदा होना एक चिंता का विषय होता है. अगर बेटी जन्म से ही दिव्यांग हो तो यह चिंता चार गुणा ज्यादा बढ़ जाती है, लेकिन जिले के मऊपुर गांव का रहनेवाला सेन परिवार अपनी दिव्यांग बच्ची को हर खुशियां और हर हक देना चाहता है. माता-पिता उसे पढ़ा-लिखाकर एक बड़ा ऑफिसर बनाना चाहते हैं. बता दें कि जन्म के समय से ही नवजात बच्ची के दोनों हाथ नहीं हैं.
गांव के लोग बच्ची की मां और उसके परिवार पर छींटाकशी कर परिवार का मनोबल गिराने की कोशिश करते हैं, लेकिन मऊपुर गांव में रहने वाले सेन परिवार ने इन सब पर ध्यान नहीं देते हुए एक मिसाल पेश की है. दरअसल इस परिवार में कुछ दिनों पहले एक बच्ची ने जन्म लिया था, बच्ची के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं थे. जन्म के समय बच्ची के माता-पिता को दुख हुआ, लेकिन बाद में उन्होंने बेटी होने की खुशी भी मनाई, साथ ही उसे पढ़ा-लिखाकर अफसर बनाने की भी ठान ली.
बच्ची चांदनी की मां का कहना है कि गांव के लोग चाहते थे कि यह बच्ची मर जाए, लेकिन जब लोग ऐसा बोलते थे तो मुझे बहुत बुरा लगता था. मैं चाहती हूं कि मेरी बच्ची पढ़-लिखकर आगे बढ़े. वहीं भारती सेन की सास भी अपनी पोती को पाकर बहुत खुश हैं. चांदनी के पिता का कहना है कि उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि उनके घर में बच्ची ने जन्म लिया है.
एक ओर जहां बुंदेलखंड में आज भी बेटियों का जन्म लेना लोगों के लिए चिंता का विषय होता है. ऐसे में यह सेन परिवार अपनी दिव्यांग बेटी के जन्म लेने पर खुशियां मना रहा है और साथ ही साथ लोगों के लिए एक मिसाल बनकर भी उभरा है. सेन परिवार का कहना है कि हर परिस्थिति में वह अपनी बेटी के साथ ताउम्र खड़े रहेंगे.