छतरपुर। बुंदेलखंड में किसानों के लिए खेती करना दिन प्रतिदिन जोखिम भरा होता जा रहा है. अतिवृष्टि के चलते उड़द, तिल एवं फली जैसी फसलों को 95 फीसदी तक का नुकसान हुआ है, जिससे बुंदेलखंड के किसान खासे परेशान हो गए हैं. वहीं जिन किसानों ने लोन लिया है, उनकी परेशानियां कुछ ज्यादा ही बढ़ती नजर आ रही हैं.
छतरपुर: अतिवृष्टि से बर्बाद हुई फसल, परेशान किसानों ने की मुआवजे की मांग - तहसीलदार संजय जैन
अतिवृष्टि से 95 फिसदी फसल बर्बाद हो चुकी है, उड़द, तिल और फली की फसलों ने छतरपुर के अन्नदाता के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं.
अतिवृष्टि से बरबाद हुई फसल
छतरपुर। बुंदेलखंड में किसानों के लिए खेती करना दिन प्रतिदिन जोखिम भरा होता जा रहा है. अतिवृष्टि के चलते उड़द, तिल एवं फली जैसी फसलों को 95 फीसदी तक का नुकसान हुआ है, जिससे बुंदेलखंड के किसान खासे परेशान हो गए हैं. वहीं जिन किसानों ने लोन लिया है, उनकी परेशानियां कुछ ज्यादा ही बढ़ती नजर आ रही हैं.
Intro:बुंदेलखंड में किसानों के हालात किसी से छिपे नहीं है पानी किसा,नों के लिए हमेशा ही मुसीबत रहा है कुछ साल पहले बुंदेलखंड के किसान सूखे के वजह से परेशान थे लेकिन इस वर्ष अति वर्षा के चलते बुंदेलखंड के किसानों को परेशानी झेलनी पड़ रही है!
Body: बुंदेलखंड में किसानों के लिए खेती करना दिन प्रतिदिन जोखिम भरा होता जा रहा है उड़द तीली एवं फली जैसी फसलों को अतिवृष्टि ने बर्बाद कर दिया है बताया जा रहा है कि उड़द की फसल को अति वर्षा के चलते 95% तक का नुकसान हुआ है जिससे बुंदेलखंड के किसान खासे परेशान हैं!
आपको बता दें कि बुंदेलखंड के किसान फसलों को उगाने के लिए एवं खेती किसानी के लिए ज्यादातर दूसरों पर निर्भर होते हैं या तो किसान सरकारी कर्ज लेता है या गांव के सीट साहूकारों से भी कर्ज लेकर खेती किसानी करता है बुंदेलखंड में आज भी बहुत से किसान ऐसे हैं जो साहूकारों से पैसा ब्याज पर लेकर खेती करते हैं जिन किसानों ने साहूकारों से ब्याज पर पैसा लेकर खेती की उनके लिए यह समय बेहद मुश्किल भरा है!
नाथपुर में रहने वाले हरीश चंद्र कुशवाहा एक ऐसे ही किसान हैं जिन्होंने अपनी 10 एकड़ की जमीन पर उड़द की फसल हुई थी उन्हें उम्मीद थी इस बार अच्छी फसल होगी दाना भी ठीक-ठाक था अचानक हुई अतिवृष्टि ने सब कुछ बर्बाद कर दिया हरिश्चंद्र बताते हैं कि उन्हें उम्मीद थी कि 10 एकड़ की फसल में उन्हें लगभग डेढ़ से ₹200000 का फायदा हो जाएगा और कई क्विंटल उड़द की फसल प्राप्त होगी जिसे बेचकर वह मुनाफा कमा सकेंगे लेकिन अतिवृष्टि ने सब कुछ बर्बाद कर दिया 1 किलो भी उड़द नहीं मिला!
हरिश्चंद्र बताते हैं कि उन्होंने इस सीजन में खेती करने के लिए साहूकारों से ₹25000 का कर्ज लिया था लेकिन अब फसल बर्बाद हो चुकी है और कर्ज के पैसे उन पर चढ़ गए हैं अब उन्हें हर महीने इन पैसों के बदले में साहूकार को ब्याज भी देना होगा हरिचंद बताते हैं कि उनके एक बेटे की इसी साल शादी भी होनी थी फसल को लेकर उन्हें बहुत उम्मीदें लगा रखी थी लेकिन अब सब कुछ बिखर गया है आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है इसलिए वह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद प्रशासन इस और ध्यान देगा और उन्हें कोई मुआवजा मिलेगा लेकिन अभी तक अधिकृत रूप से मध्यप्रदेश शासन ने अतिवृष्टि में खराब हुई फसलों को लेकर किसी भी प्रकार के मुआवजे की घोषणा नहीं की है!
ऐसे में हरिश्चंद्र जैसे तमाम बुंदेलखंड के किसान ना से परेशान हैं बल्कि उन्हें सेठ साहूकारों से लिए पैसे का डर भी सताने लगा है अब किसानों को एकमात्र आज स्थानीय अधिकारियों एवं प्रशासन से है शायद उनकी फसल का उन्हें कोई मुआवजा मिल जाए जिससे हालात भले ही ठीक ना हो लेकिन कर्ज का बोझ कुछ कम हो सके!
हरिश्चंद्र एवं उनकी पत्नी अपने खेतों से खराब उड़द की फसल को निकाल रहे हैं हरिश्चंद्र का कहना है कि उन्हें इस बात का बेहद दुख है की फसल उन्हें कुछ भी नहीं दे पाई बड़ी उम्मीद के साथ उन्होंने इस वर्ष उड़द की खेती की थी लेकिन 10 एकड़ में बोई गई फसल भी कुछ नहीं दे पाई उदास मन से अपनी पत्नी के साथ वह अपने खेतों से खराब फसल को हटाकर जमीन को एक बार फिर बोने के लिए तैयार कर रहे हैं!
मामले में जब हमने महाराजपुर क्षेत्र के तहसीलदार संजय जैन से बात की उनका कहना है कि हमारे पटवारी अतिवृष्टि में खराब हुई फसलों को लेकर मायना कर रहे हैं जल्द ही एक रिपोर्ट बनाकर वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दी जाएगी और जैसे आदेश ऊपर से किए जाएंगे उसी हिसाब से मौजे की राशि की घोषणा कर मुआवजा भी दिया जाएगा हालांकि अभी तक अधिकृत रूप से ऐसा कोई भी आदेश नहीं आया है!
बाइट_संजय जैन तहसीलदार महाराजपुर
बाइट_
Conclusion:बुंदेलखंड के किसान एक बार फिर अतिवृष्टि के चलते बेहद परेशान हैं फसलें लगभग खराब हो चुकी हैं किसानों ने अब स्थानीय प्रशासन एवं शासन से उम्मीद लगाई है शायद उनकी इस मुश्किल घड़ी में शासन प्रशासन उनको कुछ आर्थिक मदद दिला सके!
Body: बुंदेलखंड में किसानों के लिए खेती करना दिन प्रतिदिन जोखिम भरा होता जा रहा है उड़द तीली एवं फली जैसी फसलों को अतिवृष्टि ने बर्बाद कर दिया है बताया जा रहा है कि उड़द की फसल को अति वर्षा के चलते 95% तक का नुकसान हुआ है जिससे बुंदेलखंड के किसान खासे परेशान हैं!
आपको बता दें कि बुंदेलखंड के किसान फसलों को उगाने के लिए एवं खेती किसानी के लिए ज्यादातर दूसरों पर निर्भर होते हैं या तो किसान सरकारी कर्ज लेता है या गांव के सीट साहूकारों से भी कर्ज लेकर खेती किसानी करता है बुंदेलखंड में आज भी बहुत से किसान ऐसे हैं जो साहूकारों से पैसा ब्याज पर लेकर खेती करते हैं जिन किसानों ने साहूकारों से ब्याज पर पैसा लेकर खेती की उनके लिए यह समय बेहद मुश्किल भरा है!
नाथपुर में रहने वाले हरीश चंद्र कुशवाहा एक ऐसे ही किसान हैं जिन्होंने अपनी 10 एकड़ की जमीन पर उड़द की फसल हुई थी उन्हें उम्मीद थी इस बार अच्छी फसल होगी दाना भी ठीक-ठाक था अचानक हुई अतिवृष्टि ने सब कुछ बर्बाद कर दिया हरिश्चंद्र बताते हैं कि उन्हें उम्मीद थी कि 10 एकड़ की फसल में उन्हें लगभग डेढ़ से ₹200000 का फायदा हो जाएगा और कई क्विंटल उड़द की फसल प्राप्त होगी जिसे बेचकर वह मुनाफा कमा सकेंगे लेकिन अतिवृष्टि ने सब कुछ बर्बाद कर दिया 1 किलो भी उड़द नहीं मिला!
हरिश्चंद्र बताते हैं कि उन्होंने इस सीजन में खेती करने के लिए साहूकारों से ₹25000 का कर्ज लिया था लेकिन अब फसल बर्बाद हो चुकी है और कर्ज के पैसे उन पर चढ़ गए हैं अब उन्हें हर महीने इन पैसों के बदले में साहूकार को ब्याज भी देना होगा हरिचंद बताते हैं कि उनके एक बेटे की इसी साल शादी भी होनी थी फसल को लेकर उन्हें बहुत उम्मीदें लगा रखी थी लेकिन अब सब कुछ बिखर गया है आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है इसलिए वह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि शायद प्रशासन इस और ध्यान देगा और उन्हें कोई मुआवजा मिलेगा लेकिन अभी तक अधिकृत रूप से मध्यप्रदेश शासन ने अतिवृष्टि में खराब हुई फसलों को लेकर किसी भी प्रकार के मुआवजे की घोषणा नहीं की है!
ऐसे में हरिश्चंद्र जैसे तमाम बुंदेलखंड के किसान ना से परेशान हैं बल्कि उन्हें सेठ साहूकारों से लिए पैसे का डर भी सताने लगा है अब किसानों को एकमात्र आज स्थानीय अधिकारियों एवं प्रशासन से है शायद उनकी फसल का उन्हें कोई मुआवजा मिल जाए जिससे हालात भले ही ठीक ना हो लेकिन कर्ज का बोझ कुछ कम हो सके!
हरिश्चंद्र एवं उनकी पत्नी अपने खेतों से खराब उड़द की फसल को निकाल रहे हैं हरिश्चंद्र का कहना है कि उन्हें इस बात का बेहद दुख है की फसल उन्हें कुछ भी नहीं दे पाई बड़ी उम्मीद के साथ उन्होंने इस वर्ष उड़द की खेती की थी लेकिन 10 एकड़ में बोई गई फसल भी कुछ नहीं दे पाई उदास मन से अपनी पत्नी के साथ वह अपने खेतों से खराब फसल को हटाकर जमीन को एक बार फिर बोने के लिए तैयार कर रहे हैं!
मामले में जब हमने महाराजपुर क्षेत्र के तहसीलदार संजय जैन से बात की उनका कहना है कि हमारे पटवारी अतिवृष्टि में खराब हुई फसलों को लेकर मायना कर रहे हैं जल्द ही एक रिपोर्ट बनाकर वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दी जाएगी और जैसे आदेश ऊपर से किए जाएंगे उसी हिसाब से मौजे की राशि की घोषणा कर मुआवजा भी दिया जाएगा हालांकि अभी तक अधिकृत रूप से ऐसा कोई भी आदेश नहीं आया है!
बाइट_संजय जैन तहसीलदार महाराजपुर
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Conclusion:बुंदेलखंड के किसान एक बार फिर अतिवृष्टि के चलते बेहद परेशान हैं फसलें लगभग खराब हो चुकी हैं किसानों ने अब स्थानीय प्रशासन एवं शासन से उम्मीद लगाई है शायद उनकी इस मुश्किल घड़ी में शासन प्रशासन उनको कुछ आर्थिक मदद दिला सके!
Last Updated : Oct 22, 2019, 10:17 AM IST