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बेटी को गोद में उठाए इलाज के लिए घंटों परेशान होता रहा पिता, नहीं मिला स्ट्रेचर

जिला अस्पताल में एक पिता अपनी बेटी को गोद में उठाए घंटों परेशान होता रहा, लेकिन अस्पताल प्रबंधन उसे स्ट्रेचर उपलब्ध नहीं करा सका.

बेटी को गोद में उठाए इलाज के लिए घंटों परेशान होता रहा पिता
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Published : Jul 17, 2019, 8:00 PM IST

छतरपुर| जिले के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाली के दौर से गुजर रही हैं. जिला अस्पताल में एक पिता अपनी बेटी को गोद में उठाए घंटों स्ट्रेचर के लिए परेशान होता रहा, लेकिन अस्पताल प्रबंधन उसे एक स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं करा सका.

बेटी को गोद में उठाए इलाज के लिए घंटों परेशान होता रहा पिता

जिला अस्पताल में स्ट्रेचर मिलता नहीं है और अगर मिल भी जाए तो अस्पताल के कर्मचारियों और वार्ड ब्वॉय की लापरवाही इस हद तक है, कि दुर्घटना में घायल मरीजों के परिजनों को ही स्ट्रेचर पर ढोना पड़ता है. एक दुर्घटना में घायल अपने बेटे के इलाज के लिए आए एक बुजुर्ग का कहना है कि जिला अस्पताल में गरीबों की कोई नहीं सुनता है, स्ट्रेचर मिलना तो दूर वार्ड ब्वॉय मदद तक नहीं करते हैं.

वहीं इस पूरे मामले में सिविल सर्जन आरपी पांडे का कहना है कि अस्पताल में स्ट्रेचर भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं और वार्ड ब्वॉय भी लोगों की मदद करते हैं. फिर भी अगर इस प्रकार का कोई मामला सामने आता है तो हम कार्रवाई करेंगे.

छतरपुर| जिले के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाली के दौर से गुजर रही हैं. जिला अस्पताल में एक पिता अपनी बेटी को गोद में उठाए घंटों स्ट्रेचर के लिए परेशान होता रहा, लेकिन अस्पताल प्रबंधन उसे एक स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं करा सका.

बेटी को गोद में उठाए इलाज के लिए घंटों परेशान होता रहा पिता

जिला अस्पताल में स्ट्रेचर मिलता नहीं है और अगर मिल भी जाए तो अस्पताल के कर्मचारियों और वार्ड ब्वॉय की लापरवाही इस हद तक है, कि दुर्घटना में घायल मरीजों के परिजनों को ही स्ट्रेचर पर ढोना पड़ता है. एक दुर्घटना में घायल अपने बेटे के इलाज के लिए आए एक बुजुर्ग का कहना है कि जिला अस्पताल में गरीबों की कोई नहीं सुनता है, स्ट्रेचर मिलना तो दूर वार्ड ब्वॉय मदद तक नहीं करते हैं.

वहीं इस पूरे मामले में सिविल सर्जन आरपी पांडे का कहना है कि अस्पताल में स्ट्रेचर भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं और वार्ड ब्वॉय भी लोगों की मदद करते हैं. फिर भी अगर इस प्रकार का कोई मामला सामने आता है तो हम कार्रवाई करेंगे.

Intro:छतरपुर जिले के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाली के दौर से गुजर रही हैं जिला अस्पताल में एक पिता अपनी बेटी को गोद में उठाए घंटों स्ट्रेचर के लिए परेशान होता रहा लेकिन अस्पताल प्रबंधन उसे एक स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं करा सका!


Body:जिला अस्पताल में एक बार फिर न सिर्फ बदहाली का आलम है बल्कि लापरवाही भी !इलाज के लिए आने वाले मरीजों को खासा परेशान कर रही है! अपनी बेटी के इलाज के लिए आया एक पिता घंटे उसे गोद में उठा एक अस्पताल परिसर में में घूमता रहा लेकिन अस्पताल प्रबंधन उसके लिए एक स्ट्रक्चर तक मुहैया नहीं करा सका!

वैसे तो जिला अस्पताल में स्ट्रेचर मिलता नही है और अगर मिल भी जाये तो अस्पताल के कर्मचारियों एवं बार्ड वायों की लापरवाही इस हद तक है कि दुर्घटना में घायल मरीजों के परिजनों को ही अपने मरीजों को स्ट्रेचर पर ढोना पड़ता है!

जिला अस्पताल में एक दुर्घटना में घायल अपने बेटे के इलाज के लिए आए एक बुजुर्ग का कहना है कि जिला अस्पताल में गरीबों की कोई नहीं सुनता है स्ट्रेचर मिलना तो दूर वार्ड बॉय मदद तक नहीं करते हैं खुद ही अपने मरीजों को स्ट्रेचर पर ले जाना पड़ता है!

वहीं इस पूरे मामले में सिविल सर्जन आरपी पांडे का कहना है कि हमारे यहां ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है स्ट्रक्चर भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं और वार्ड बाय भी लोगों की मदद करते हैं फिर भी अगर इस प्रकार का कोई मामला निकल कर सामने आता है तो हम दिखाते हुए कार्यवाही करेंगे!

बाइट_आरपी पांडेय सिविल सर्जन




Conclusion:जिला अस्पताल में लापरवाही की तस्वीरें इससे पहले भी आती रही हैं लेकिन इस बार की तस्वीरें निकल कर आई है वह मूलभूत सुविधाओं को लेकर है सिविल सर्जन एवं जिला अस्पताल प्रबंधन को इस ओर न सिर्फ ध्यान देना होगा बल्कि उन्हें दुरुस्त भी करना होगा ताकि आने वाले मरीज जल्द से जल्द इलाज पा सकें!
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