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गर्मी में दूध की बढ़ी मांग, मिलावट का कारोबार जोरों पर, नहीं हो रही फिर भी कार्रवाई

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Published : May 5, 2023, 2:38 PM IST

छतरपुर में दूध के मिलावट का कार्य शुरू हो गया है. डेयरियों के जरिए 50 हजार लीटर दूध बाहर जा रहा है, वहीं 20 से 25 हजार लीटर की शहर में खपत हो रही है.

chhatarpur demand for milk in summer increase
छतरपुर में गर्मी में बढ़ी दूध की मांग

छतरपुर। जिले के नौगांव में गर्मी का मौसम होने के कारण इलाके में दूध की मांग बढ़ गई है. आमजन और व्यापारियों द्वारा दही, लस्सी, कुल्फी, बर्फ में दूध का प्रयोग अधिक किया जा रहा है, जिसके चलते दूध की डिमांड बढ़ी है. वहीं दूसरी तरफ गर्मी के चलते दूध का उत्पादन कम हो गया है, जिसका फायदा बड़े-बड़े दूध कारोबारी उठा रहे हैं. नतीजा नगर और आसपास क्षेत्र में रहने वाले लोगों को दूध के नाम पर मीठा जहर बेचा जा रहा है.

दूध में मिलावट: हलवाई जहां मिलावटी मावा का इस्तेमाल कर रहे हैं तो दूध देने वाले घर-घर में पाउडर और रिफाइंड से तैयार दूध सप्लाई कर रहे हैं. मिलावट के इस कारोबार से आमजन की सेहत को खतरा है. अगर स्थानीय प्रशासन ने जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. बताया गया है कि नगर में प्रतिदिन 20 से 25 हजार लीटर दूध सप्लाई किया जा रहा है. इसके अलावा 50 हजार लीटर दूध की सप्लाई ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, पिनाहट, आगर जैसे शहरों में की जा रही है. बावजूद इसके खाद्य अधिकारी इस ओर ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.

chhatarpur demand for milk in summer increase
छतरपुर में गर्मी में बढ़ी दूध की मांग

भीषण गर्मी ने घटाई दूध उत्पादन की क्षमता: इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी का असर इंसानों पर ही नहीं, बल्कि पशुओं पर भी पड़ रहा है. गर्मी के कारण पशुओं खासकर गाय-भैंसों की दूध उत्पादन की क्षमता घट गई है. इससे पशुपालकों को तो घाटा हो ही रहा है, साथ ही लोगों को दूध मिलने में भी दिक्कत आ रही है. पशुओं की दूध उत्पाद क्षमता पर 25 से 50 फीसदी तक असर पड़ा है. दुधारू पशुओं में भैंसों और गायों का दूध कम हो गया है. डेयरी संचालक राम प्रकाश अवस्थी ने बताया कि उनकी डेयरी में ज्यादातर भैंसों का यही आलम है जो भैंस एक समय में 7 किलोग्राम दूध देती थी, अब गर्मी की वजह से वह घटकर 4 से 5 किलो तक आ गई है. इसके अलावा दूध की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है.

ऐसे बनता है सिंथेटिक दूध: आधा लीटर शुद्ध दूध और सोयाबीन रिफाइंड का आधा लीटर तेल मिक्सर से मिलाते हैं. तब फैट बनकर तैयार हो जाता है. इसके अलावा थोड़ा नमक, चीनी, यूरिया खाद और ग्लूकोज को पानी में मिलाते हैं. अगर फेट कम रह जाती है तो उसके एक अलग किस्म का केमिकल मिलाते हैं. दूध में झाग लाने के लिए यूरिया खाद और इजी शैंपू का प्रयोग किया जाता है.

मिलावटी खोवा व पनीर की सप्लाई: नकली दूध बनाने वाले लोग मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में आमजन की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं. अगर जल्दी ही स्थानीय प्रशासन ने इसे रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं, क्योंकि इन दिनों बड़े पैमाने पर खोवा, पनीर, घी, नकली दूध से तैयार किया जा रहा है. इसके अलावा नकली दूध से मिठाइयां भी बनाई जा रही हैं. मिलावटी दूध से बनाई जा रही यह सामग्री शहर सहित ग्रामीण इलाके में भी सप्लाई की जा रही है. नगर में भी इनका प्रयोग खूब हो रहा है, मिलावटी लोग इस जहर को बेचने से बाज नहीं आ रहे हैं. जिससे कि लोगों की सेहत पर खतरनाक असर पड़ता है.

कुछ खबरें यहां पढ़ें

कई जगह बिक रहा है दूध बनाने का सामान: नगर की कई बड़ी दुकानों पर नकली दूध बनाने का सामान खुलेआम बिक रहा है. माल्टा (सफेद पेस्ट) और बोरियों में ग्लूकोज की बिक्री हो रही है. सफेद पेस्ट से नकली दूध तैयार हो रहा है जिसमें एक लीटर डालने से एक टैंकर नकली दूध तैयार हो जाता है. इसे अधिक चिकना और वास्तविक जैसा बनाने के लिए रिफाइंड, हल्की मिठास के लिए ग्लूकोज, झाग के लिए इजी और अन्य डिटर्जेंट, कलर के लिए केमिकल आदि का प्रयोग किया जा रहा है. यह सारा सामान खुलेआम शहर की कई बड़ी दुकानों पर बिक रहा है. अफसरों को भी जानकारी है कि क्षेत्र में कौन नकली दूध का कारोबार कर रहा है, बावजूद इसके कभी कोई चेकिंग नहीं होती है.

समय-समय पर होती रहती है जांच: क्षेत्र में मिलावटी और नकली खाद्य पदार्थ बनाने और बेचने वालों के विरुद्ध समय समय पर विभाग कार्रवाई करता रहता है. खाद्य निरीक्षक वंदना जैन का कहना है कि जल्दी ही खाद्य विभाग, राजस्व एवं स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम गठित करके जांच करवाकर मिलावटी सामग्री बेचने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई होगी.

छतरपुर। जिले के नौगांव में गर्मी का मौसम होने के कारण इलाके में दूध की मांग बढ़ गई है. आमजन और व्यापारियों द्वारा दही, लस्सी, कुल्फी, बर्फ में दूध का प्रयोग अधिक किया जा रहा है, जिसके चलते दूध की डिमांड बढ़ी है. वहीं दूसरी तरफ गर्मी के चलते दूध का उत्पादन कम हो गया है, जिसका फायदा बड़े-बड़े दूध कारोबारी उठा रहे हैं. नतीजा नगर और आसपास क्षेत्र में रहने वाले लोगों को दूध के नाम पर मीठा जहर बेचा जा रहा है.

दूध में मिलावट: हलवाई जहां मिलावटी मावा का इस्तेमाल कर रहे हैं तो दूध देने वाले घर-घर में पाउडर और रिफाइंड से तैयार दूध सप्लाई कर रहे हैं. मिलावट के इस कारोबार से आमजन की सेहत को खतरा है. अगर स्थानीय प्रशासन ने जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. बताया गया है कि नगर में प्रतिदिन 20 से 25 हजार लीटर दूध सप्लाई किया जा रहा है. इसके अलावा 50 हजार लीटर दूध की सप्लाई ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, पिनाहट, आगर जैसे शहरों में की जा रही है. बावजूद इसके खाद्य अधिकारी इस ओर ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.

chhatarpur demand for milk in summer increase
छतरपुर में गर्मी में बढ़ी दूध की मांग

भीषण गर्मी ने घटाई दूध उत्पादन की क्षमता: इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी का असर इंसानों पर ही नहीं, बल्कि पशुओं पर भी पड़ रहा है. गर्मी के कारण पशुओं खासकर गाय-भैंसों की दूध उत्पादन की क्षमता घट गई है. इससे पशुपालकों को तो घाटा हो ही रहा है, साथ ही लोगों को दूध मिलने में भी दिक्कत आ रही है. पशुओं की दूध उत्पाद क्षमता पर 25 से 50 फीसदी तक असर पड़ा है. दुधारू पशुओं में भैंसों और गायों का दूध कम हो गया है. डेयरी संचालक राम प्रकाश अवस्थी ने बताया कि उनकी डेयरी में ज्यादातर भैंसों का यही आलम है जो भैंस एक समय में 7 किलोग्राम दूध देती थी, अब गर्मी की वजह से वह घटकर 4 से 5 किलो तक आ गई है. इसके अलावा दूध की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा है.

ऐसे बनता है सिंथेटिक दूध: आधा लीटर शुद्ध दूध और सोयाबीन रिफाइंड का आधा लीटर तेल मिक्सर से मिलाते हैं. तब फैट बनकर तैयार हो जाता है. इसके अलावा थोड़ा नमक, चीनी, यूरिया खाद और ग्लूकोज को पानी में मिलाते हैं. अगर फेट कम रह जाती है तो उसके एक अलग किस्म का केमिकल मिलाते हैं. दूध में झाग लाने के लिए यूरिया खाद और इजी शैंपू का प्रयोग किया जाता है.

मिलावटी खोवा व पनीर की सप्लाई: नकली दूध बनाने वाले लोग मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में आमजन की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं. अगर जल्दी ही स्थानीय प्रशासन ने इसे रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं, क्योंकि इन दिनों बड़े पैमाने पर खोवा, पनीर, घी, नकली दूध से तैयार किया जा रहा है. इसके अलावा नकली दूध से मिठाइयां भी बनाई जा रही हैं. मिलावटी दूध से बनाई जा रही यह सामग्री शहर सहित ग्रामीण इलाके में भी सप्लाई की जा रही है. नगर में भी इनका प्रयोग खूब हो रहा है, मिलावटी लोग इस जहर को बेचने से बाज नहीं आ रहे हैं. जिससे कि लोगों की सेहत पर खतरनाक असर पड़ता है.

कुछ खबरें यहां पढ़ें

कई जगह बिक रहा है दूध बनाने का सामान: नगर की कई बड़ी दुकानों पर नकली दूध बनाने का सामान खुलेआम बिक रहा है. माल्टा (सफेद पेस्ट) और बोरियों में ग्लूकोज की बिक्री हो रही है. सफेद पेस्ट से नकली दूध तैयार हो रहा है जिसमें एक लीटर डालने से एक टैंकर नकली दूध तैयार हो जाता है. इसे अधिक चिकना और वास्तविक जैसा बनाने के लिए रिफाइंड, हल्की मिठास के लिए ग्लूकोज, झाग के लिए इजी और अन्य डिटर्जेंट, कलर के लिए केमिकल आदि का प्रयोग किया जा रहा है. यह सारा सामान खुलेआम शहर की कई बड़ी दुकानों पर बिक रहा है. अफसरों को भी जानकारी है कि क्षेत्र में कौन नकली दूध का कारोबार कर रहा है, बावजूद इसके कभी कोई चेकिंग नहीं होती है.

समय-समय पर होती रहती है जांच: क्षेत्र में मिलावटी और नकली खाद्य पदार्थ बनाने और बेचने वालों के विरुद्ध समय समय पर विभाग कार्रवाई करता रहता है. खाद्य निरीक्षक वंदना जैन का कहना है कि जल्दी ही खाद्य विभाग, राजस्व एवं स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम गठित करके जांच करवाकर मिलावटी सामग्री बेचने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई होगी.

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