छतरपुर। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आपदा में अवसर ढूंढे, लेकिन कालाबाजारी करने वाले लोगों ने इस आपदा में कुछ अलग ही अवसर ढूंढ लिए हैं.
कोरोना काल में किस तरह से कालाबाजारी करने वाले लोग मरीजों के मौत के बाद भी उन्हें नहीं छोड़ रहे हैं.
कोरोना वायरस के चलते इन दिनों पूरे मध्य प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू लगा हुआ हैं. जिले में भी पिछले कई दिनों से कर्फ्यू चल रहा है, लेकिन इन सब के बीच कालाबाजारी करने वाले लोगों ने सारी हदें पार कर दी हैं. जिंदा इंसान तो दूर मुर्दों को भी नहीं छोड़ा है.
इन दिनों शवों के अंतिम संस्कार में उपयोग होने वाली सामग्री की कालाबाजारी की जी रही हैं. मसलन अंतिम संस्कार में उपयोग होने वाली लकड़ी के दाम 6 सौ से 12 सौ रुपये हो गए हैं, तो वहीं कफन के दाम भी बढ़ गए हैं. अंतिम संस्कार में उपयोग होने वाली कांस की कीमत कभी 40 रुपए हुआ करती थी, जो अब सौ रुपए से लेकर 4 सौ रुपये हो गई हैं.
आचार्य रामजी पौराणिक बताते हैं कि हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार की वस्तुओं में मुनाफा तक कमाना गलत माना जाता हैं, लेकिन इस समय कुछ लोग दोगुने से लेकर तीन गुने दामों पर सामग्री बेच रहे हैं.
सदर विधायक आलोक चतुर्वेदी का कहना है कि मामला बेहद शर्मनाक हैं. अंतिम संस्कार की सामग्री में कालाबाजारी किसी भी तरीके से स्वीकार नहीं की जायेगी. संबंधित मामले की जानकारी अधिकारियों को दी जाएगी. इस कालाबाजारी में जो भी शामिल होंगे, उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.