छतरपुर। जिले के गौरिहार जनपद में सरकार भले ही इस प्रयास में हो कि कोरोना काल के चलते गांव में ही मजदूरों को भरपूर सरकारी काम मिल सके. लेकिन गौरिहार जनपद के सेक्टर 6 और 7 में जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
इन सेक्टरों के अंतर्गत आने वाली ज्यादातर ग्राम पंचायतों में चल रहे मनरेगा के कार्यो में लगने वाले लेबर मौके पर नाम मात्र के लगाए जा रहे हैं, जबकि ग्राम पंचायत के रिकॉर्ड में प्रतिदिन 50 या इससे अधिक लेबर को काम देना बताया जा रहा है.
गौरिहार जनपद क्षेत्र के सेक्टर 6 और 7 में आने वाली ग्राम पंचायतें चुरयारी, श्रृंगारपुर, कंदेला, बसराही, हाजीपुर, टेढीकबरी, महोईखुर्द, नेहरा, खडेहा, मालपुर, नदौता, किशनपुर में मनरेगा योजना के अंतर्गत खेत तालाब योजना के कार्य चलाए जा रहे हैं.
एक खेत तालाब योजना की लागत करीब 3 लाख 10 हजार रुपये है. इलाके में प्रशासनिक अधिकारियों के दबाव के चलते मनरेगा के काम तो शुरू हुए, लेकिन ग्रामीणों को मजदूरी देने का काम महज औपचारिकता दिखाई दे रही है.
ज्यादातर ग्राम पंचायतों में चार से पांच मजदूरों से काम कराया जा रहा है, जबकि सरपंच सचिव और सहायक सचिव द्वारा कागजों में 50 से अधिक लेबर को काम देना बताया जा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि मनरेगा योजना में भारी पैमाने पर अनियमितताएं बरती जा रही हैं.
बाहर से आए मजदूरों को नहीं दे रहे काम
कोरोना काल में बाहर से आए मजदूरों को काम मांगने के बाद भी नहीं दिया जा रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि, ग्राम पंचायत के जिम्मेदार रातोंरात जेसीबी चलवाकर खेत तालाब के काम पूरे कराने की फिराक में हैं.
मौके पर काम देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है, कि कुल कितनी लेबर काम कर रहे हैं. इलाके में नीबीखेड़ा ग्राम पंचायत ऐसी है, जहां पर्याप्त मजदूरों को काम मिल रहा है. मनरेगा के तहत एक मजदूर को 190 रुपए प्रतिदिन मजदूरी तय की गई है.
क्या कहते हैं जिम्मेदार
जनपद सीईओ गौरिहार केपी द्विवेदी का कहना है कि, ग्राम पंचायतों में चल रहे निर्माण कार्यो में मजदूरों से मजदूरी कराए जाने के निर्देश हैं. इसके बाद भी यदि इन ग्राम पंचायतों में मजदूरों की संख्या कम है, तो मेरे द्वारा ग्राम पंचायतों का औचक निरीक्षण कर मौके पर कार्यो देखा जाएगा. लापरवाही बरतने वालो पर कार्रवाई की जाएगी.