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हौसलों के दम पर हालातों से संघर्ष, आइए जानते हैं ऐसे ही कलाकार की कहानी

छतरपुर जिले की रहने वाली अनुश्री गुप्ता बेहद खूबसूरत पेंटिंग बनाती है. वह कई प्रतियोगिताओं में अपनी कला प्रदर्शित कर चुकी है, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के चलते उसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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पेंटिंग
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Published : Jun 18, 2021, 9:23 AM IST

Updated : Jun 18, 2021, 12:03 PM IST

छतरपुर। कहते हैं इंसान में कुछ कर गुजरने का जज्बा हों, तो परिस्थितियां कैसी भी हों, व्यक्ति अपनी पहचान बना लेता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है छतरपुर जिले में रहने वाली 25 साल की अनुश्री गुप्ता ने.

अनुश्री गुप्ता बिजावर नगर की रहने वाली हैं. उनके द्वारा बनाई गई स्केच पेंटिंग इन दिनों न केवल भारत में बल्कि कई अन्य देशों में भी चर्चा का विषय बनी हुई है. आर्थिक हालातों से जूझ रही अनुश्री को इस बात की उम्मीद है कि एक दिन उनकी मेहनत रंग लाएगी. सब कुछ ठीक हो जाएगा. वह न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया में पेंटिंग के जरिए अपना नाम रोशन करना चाहती हैं.

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पेंटिंग
पिछले तीन सालों में देश विदेश में कमाया नाम

अनुश्री गुप्ता ने 2020 में प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में 17वां स्थान प्राप्त किया था. इसके अलावा यूनाइटेड किंगडम में होने वाली अंतरराष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता 2020 में भी अपना कारनामा प्रदर्शित किया था. वहीं अनुश्री कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार भी जीत चुकी हैं.

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पेंटिंग


आर्थिक हालात ठीक नहीं

अनुश्री गुप्ता के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. उनकी मां रागिनी गुप्ता सरस्वती स्कूल में शिक्षिका हैं. उन्हें मात्र तीन हजार रुपए प्रति माह वेतन मिलता है, जबकि पिता दिनेश गुप्ता एक छोटी सी किराना दुकान चलाते हैं.

अनुश्री की मां रागिनी बताती हैं कि परिवार की हालत ठीक नहीं है. इसलिए हम अपनी बेटी के लिए वो सारे संसाधन नहीं जुटा पा रहे हैं, जिसकी उसे जरूरत है. स्थिति यह है कि कैनवास स्टैंड न होने के कारण बेटी जमीन पर बैठकर कलाकृतियां बनाती है.


अनुश्री मानती हैं कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. यही कारण है कि उन्हें अपनी पेंटिंग और स्क्रैचिंग के लिए आवश्यक टूल किट मिलती है. आर्थिक संकट इतना अधिक है कि कभी-कभी ब्रश और कैनवास स्टैंड को पेंट करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता हैं.

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पेंटिंग



बिना कोई ट्रेनिंग लिए कर ली महारत हासिल

अनुश्री बताती हैं कि उसकी मां बहुत पहले कुछ स्केच पेंटिंग बनाती थीं. उन्हें देखकर उसने स्केच बनाना शुरू कर दिया. अनुश्री द्वारा बनाई गई कई पेंटिंग 4 हजार से 10 हजार तक बिक चुकी हैं, लेकिन वह चाहती हैं कि उसे अधिक से अधिक प्रतियोगिताओं में भाग लेने की इच्छा है, ताकि उसकी कला और निखर सकें. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो वह भविष्य में एक स्टूडियो स्थापित करना चाहती हैं.

हौसलों के दम पर हालातों से संघर्ष

MP: जबलपुर के फैन को सोनू का इंतजार, 8 दिन मेहनत कर बनाई थी 10 फीट की पेंटिंग



अनुश्री को उम्मीद, एक दिन बदलेंगे हालात

अनुश्री को इस बात की उम्मीद है कि एक न एक दिन उनके हालात बदलेंगे. सब कुछ ठीक हों और वह अपनी कला से देश ही नहीं बल्कि दुनिया का भी नाम रोशन करें.


उसके परिवार में माता-पिता के अलावा एक छोटी बहन और एक भाई भी हैं. घरवाले चाहते हैं कि किसी तरह अनुश्री को एक अच्छा मंच मिले, ताकि उसकी कला को पहचाना जा सकें.



बीजेपी ने दिया मदद का आश्वासन

बीजेपी जिला अध्यक्ष मलखान सिंह ने अनुश्री की पेंटिंग और कलाकृतियों को देखते हुए उसे हर संभव मदद देने की बात कही हैं. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस बच्ची को लेकर जिला प्रशासन और अधिकारियों से बात की जाएगी.

छतरपुर। कहते हैं इंसान में कुछ कर गुजरने का जज्बा हों, तो परिस्थितियां कैसी भी हों, व्यक्ति अपनी पहचान बना लेता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है छतरपुर जिले में रहने वाली 25 साल की अनुश्री गुप्ता ने.

अनुश्री गुप्ता बिजावर नगर की रहने वाली हैं. उनके द्वारा बनाई गई स्केच पेंटिंग इन दिनों न केवल भारत में बल्कि कई अन्य देशों में भी चर्चा का विषय बनी हुई है. आर्थिक हालातों से जूझ रही अनुश्री को इस बात की उम्मीद है कि एक दिन उनकी मेहनत रंग लाएगी. सब कुछ ठीक हो जाएगा. वह न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया में पेंटिंग के जरिए अपना नाम रोशन करना चाहती हैं.

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पिछले तीन सालों में देश विदेश में कमाया नाम

अनुश्री गुप्ता ने 2020 में प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में 17वां स्थान प्राप्त किया था. इसके अलावा यूनाइटेड किंगडम में होने वाली अंतरराष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता 2020 में भी अपना कारनामा प्रदर्शित किया था. वहीं अनुश्री कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार भी जीत चुकी हैं.

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आर्थिक हालात ठीक नहीं

अनुश्री गुप्ता के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. उनकी मां रागिनी गुप्ता सरस्वती स्कूल में शिक्षिका हैं. उन्हें मात्र तीन हजार रुपए प्रति माह वेतन मिलता है, जबकि पिता दिनेश गुप्ता एक छोटी सी किराना दुकान चलाते हैं.

अनुश्री की मां रागिनी बताती हैं कि परिवार की हालत ठीक नहीं है. इसलिए हम अपनी बेटी के लिए वो सारे संसाधन नहीं जुटा पा रहे हैं, जिसकी उसे जरूरत है. स्थिति यह है कि कैनवास स्टैंड न होने के कारण बेटी जमीन पर बैठकर कलाकृतियां बनाती है.


अनुश्री मानती हैं कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. यही कारण है कि उन्हें अपनी पेंटिंग और स्क्रैचिंग के लिए आवश्यक टूल किट मिलती है. आर्थिक संकट इतना अधिक है कि कभी-कभी ब्रश और कैनवास स्टैंड को पेंट करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता हैं.

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बिना कोई ट्रेनिंग लिए कर ली महारत हासिल

अनुश्री बताती हैं कि उसकी मां बहुत पहले कुछ स्केच पेंटिंग बनाती थीं. उन्हें देखकर उसने स्केच बनाना शुरू कर दिया. अनुश्री द्वारा बनाई गई कई पेंटिंग 4 हजार से 10 हजार तक बिक चुकी हैं, लेकिन वह चाहती हैं कि उसे अधिक से अधिक प्रतियोगिताओं में भाग लेने की इच्छा है, ताकि उसकी कला और निखर सकें. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो वह भविष्य में एक स्टूडियो स्थापित करना चाहती हैं.

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अनुश्री को उम्मीद, एक दिन बदलेंगे हालात

अनुश्री को इस बात की उम्मीद है कि एक न एक दिन उनके हालात बदलेंगे. सब कुछ ठीक हों और वह अपनी कला से देश ही नहीं बल्कि दुनिया का भी नाम रोशन करें.


उसके परिवार में माता-पिता के अलावा एक छोटी बहन और एक भाई भी हैं. घरवाले चाहते हैं कि किसी तरह अनुश्री को एक अच्छा मंच मिले, ताकि उसकी कला को पहचाना जा सकें.



बीजेपी ने दिया मदद का आश्वासन

बीजेपी जिला अध्यक्ष मलखान सिंह ने अनुश्री की पेंटिंग और कलाकृतियों को देखते हुए उसे हर संभव मदद देने की बात कही हैं. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस बच्ची को लेकर जिला प्रशासन और अधिकारियों से बात की जाएगी.

Last Updated : Jun 18, 2021, 12:03 PM IST
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