छतरपुर। मऊसहानियां गांव में शनिवार की दोपहर एक 22 वर्षीय युवती ने कमरे में पंखे से लटककर फांसी लगा ली. सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को फांसी के फंदे से उतारकर पंचनामा बनाते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और मामले की जांच की तो पुलिस को कमरे से एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें युवती ने प्रेम प्रसंग में असफल रहने पर फांसी लगाने की बात लिखी थी. साथ ही आत्महत्या करने पर परिवार के लोगों से माफी भी मांगी थी.
मृतका ने लिखा सुसाइड नोट
बड़े भैया, भाभी, मम्मी, पापा और पूरे परिवार से मैं हाथ जोड़कर माफी मांगती हूं, जो गलती मैंने की है उसे माफ कर देना. न तो मैं अपनी गलती को भूल पा रही हूं और न अपने प्यार को. और जो मैं अब करने जा रही हूं, मेरी गलती की एकदम यही सजा है. हो सके तो मेरे मरने के बाद मुझे सफेद कफन में नहीं लाल कफन में ले जाना, जीते जी तो मैं उसकी न हो सकी, पर मरने के बाद उसकी जरूर हो जाऊंगी. कहते हैं एक सुहागन को उसका पति ही चिता को मुखाग्नि देता है. बस एक बार मरने के बाद मुझे उसके घर ले जाके उसे दिखा देना, कम से कम मेरी आत्मा उसे देखने के बाद भटकेगी तो नहीं. बस हाथ जोड़कर यही गुजारिश है. आप सभी छोटे भाई अगर मौका मिला तो मैं फिर से लौट के आऊंगी. बस मरने वाले की इतनी सी इच्छा पूरी कर देना, ताकि मेरी आत्मा को शांति मिल सके.
प्रेम में असफल युवती ने लगाई फांसी, लिखा- मेरी गलती की यही सजा
छतरपुर के मऊसहानियां गांव में प्रेम प्रसंग में असफल युवती ने मरने से पहले सुसाइड नोट में लिखा था, मेरी गलती की यही सजा है.
छतरपुर। मऊसहानियां गांव में शनिवार की दोपहर एक 22 वर्षीय युवती ने कमरे में पंखे से लटककर फांसी लगा ली. सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को फांसी के फंदे से उतारकर पंचनामा बनाते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और मामले की जांच की तो पुलिस को कमरे से एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें युवती ने प्रेम प्रसंग में असफल रहने पर फांसी लगाने की बात लिखी थी. साथ ही आत्महत्या करने पर परिवार के लोगों से माफी भी मांगी थी.
मृतका ने लिखा सुसाइड नोट
बड़े भैया, भाभी, मम्मी, पापा और पूरे परिवार से मैं हाथ जोड़कर माफी मांगती हूं, जो गलती मैंने की है उसे माफ कर देना. न तो मैं अपनी गलती को भूल पा रही हूं और न अपने प्यार को. और जो मैं अब करने जा रही हूं, मेरी गलती की एकदम यही सजा है. हो सके तो मेरे मरने के बाद मुझे सफेद कफन में नहीं लाल कफन में ले जाना, जीते जी तो मैं उसकी न हो सकी, पर मरने के बाद उसकी जरूर हो जाऊंगी. कहते हैं एक सुहागन को उसका पति ही चिता को मुखाग्नि देता है. बस एक बार मरने के बाद मुझे उसके घर ले जाके उसे दिखा देना, कम से कम मेरी आत्मा उसे देखने के बाद भटकेगी तो नहीं. बस हाथ जोड़कर यही गुजारिश है. आप सभी छोटे भाई अगर मौका मिला तो मैं फिर से लौट के आऊंगी. बस मरने वाले की इतनी सी इच्छा पूरी कर देना, ताकि मेरी आत्मा को शांति मिल सके.