छतरपुर। खजुराहो में दो सौ साल पुराना एक ऐसा शिव मंदिर है, जिसकी बनावट में सभी धर्मों के चिन्ह दिखाई देते हैं. दूर से देखने पर मंदिर में मुस्लिम, बौद्ध, हिंदू, सिख और इसाई धार्मिक स्थलों की बनावट एक ही साथ दिखाई देती है.
मंदिर के सबसे आगे ऊपरी हिस्से में इस्लाम धर्म के हिसाब से गुंबद बनी हुई है, जो मस्जिदों में होती है. उसके बाद दूसरा हिस्सा बौद्ध धर्म के हिसाब से बना हुआ है. यहां बौद्ध धर्म के पगोडा जैसा निर्माण दिखता है. वहीं मंदिर में हिंदू, सिख, ईसाई और जैन धर्मों के पूजा स्थल जैसी बनावट भी दिखाई देती है.
मंदिर का निर्माण 200 साल पहले राजा प्रतापेश्वर ने कराया था. मंदिर के निर्माण कराने के पीछे की वजह बताई जाती है कि राजा इसके माध्यम से सभी धर्मों को यह संदेश देना चाहते थे कि सभी धर्म एक-दूसरे से मिलजुल कर रहना सिखाते हैं. आज के वक्त में जब धर्म को लेकर मतभेद और तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है, तब 200 साल पुराना यह मंदिर लोगों के लिए धार्मिक सद्भाव का प्रतीक बना हुआ है. इस मंदिर के गर्भ गृह में भगवान शिव का एक शिवलिंग और नंदी मौजूद है.
दो सौ वर्ष पुराना यह मंदिर दुनिया के तमाम धर्मों के लिए आज भी एक मिसाल बना हुआ है. इस मंदिर में सभी धर्मों के पूजा स्थल, गिरजाघर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे और जैन धर्म के बनावट के हिसाब से बनाया गया है. ये दूर से देखने पर साफ-साफ दिखाई देते हैं. खजुराहो में अधिकृत गाइड श्याम लाल रजक बताते हैं कि यह मंदिर धार्मिक सद्भाव का प्रतीक है. धर्म के नाम पर जो लोग सामाजिक भावनाओं को भड़का रहे थे, उन्हें उस वक्त जवाब देने के लिए इस मंदिर को बनाया गया था.