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200 साल पुराना एक ऐसा शिव मंदिर, जो देता है सर्वधर्म सद्भाव का संदेश

खजुराहो में स्थित 200 साल पुराना शिव मंदिर सर्वधर्म सद्भाव की अनोखी मिसाल पेश करता है. इसे दूर से देखने पर हिंदू-मुस्लिम, सिख-ईसाई सभी धर्मों के चिन्ह दिखाई देते हैं.

सर्वधर्म सद्भाव का संदेश देता है ये शिव मंदिर
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Published : Sep 2, 2019, 11:29 AM IST

छतरपुर। खजुराहो में दो सौ साल पुराना एक ऐसा शिव मंदिर है, जिसकी बनावट में सभी धर्मों के चिन्ह दिखाई देते हैं. दूर से देखने पर मंदिर में मुस्लिम, बौद्ध, हिंदू, सिख और इसाई धार्मिक स्थलों की बनावट एक ही साथ दिखाई देती है.

मंदिर के सबसे आगे ऊपरी हिस्से में इस्लाम धर्म के हिसाब से गुंबद बनी हुई है, जो मस्जिदों में होती है. उसके बाद दूसरा हिस्सा बौद्ध धर्म के हिसाब से बना हुआ है. यहां बौद्ध धर्म के पगोडा जैसा निर्माण दिखता है. वहीं मंदिर में हिंदू, सिख, ईसाई और जैन धर्मों के पूजा स्थल जैसी बनावट भी दिखाई देती है.

मंदिर का निर्माण 200 साल पहले राजा प्रतापेश्वर ने कराया था. मंदिर के निर्माण कराने के पीछे की वजह बताई जाती है कि राजा इसके माध्यम से सभी धर्मों को यह संदेश देना चाहते थे कि सभी धर्म एक-दूसरे से मिलजुल कर रहना सिखाते हैं. आज के वक्त में जब धर्म को लेकर मतभेद और तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है, तब 200 साल पुराना यह मंदिर लोगों के लिए धार्मिक सद्भाव का प्रतीक बना हुआ है. इस मंदिर के गर्भ गृह में भगवान शिव का एक शिवलिंग और नंदी मौजूद है.

सर्वधर्म सद्भाव का संदेश देता है ये शिव मंदिर

दो सौ वर्ष पुराना यह मंदिर दुनिया के तमाम धर्मों के लिए आज भी एक मिसाल बना हुआ है. इस मंदिर में सभी धर्मों के पूजा स्थल, गिरजाघर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे और जैन धर्म के बनावट के हिसाब से बनाया गया है. ये दूर से देखने पर साफ-साफ दिखाई देते हैं. खजुराहो में अधिकृत गाइड श्याम लाल रजक बताते हैं कि यह मंदिर धार्मिक सद्भाव का प्रतीक है. धर्म के नाम पर जो लोग सामाजिक भावनाओं को भड़का रहे थे, उन्हें उस वक्त जवाब देने के लिए इस मंदिर को बनाया गया था.

छतरपुर। खजुराहो में दो सौ साल पुराना एक ऐसा शिव मंदिर है, जिसकी बनावट में सभी धर्मों के चिन्ह दिखाई देते हैं. दूर से देखने पर मंदिर में मुस्लिम, बौद्ध, हिंदू, सिख और इसाई धार्मिक स्थलों की बनावट एक ही साथ दिखाई देती है.

मंदिर के सबसे आगे ऊपरी हिस्से में इस्लाम धर्म के हिसाब से गुंबद बनी हुई है, जो मस्जिदों में होती है. उसके बाद दूसरा हिस्सा बौद्ध धर्म के हिसाब से बना हुआ है. यहां बौद्ध धर्म के पगोडा जैसा निर्माण दिखता है. वहीं मंदिर में हिंदू, सिख, ईसाई और जैन धर्मों के पूजा स्थल जैसी बनावट भी दिखाई देती है.

मंदिर का निर्माण 200 साल पहले राजा प्रतापेश्वर ने कराया था. मंदिर के निर्माण कराने के पीछे की वजह बताई जाती है कि राजा इसके माध्यम से सभी धर्मों को यह संदेश देना चाहते थे कि सभी धर्म एक-दूसरे से मिलजुल कर रहना सिखाते हैं. आज के वक्त में जब धर्म को लेकर मतभेद और तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है, तब 200 साल पुराना यह मंदिर लोगों के लिए धार्मिक सद्भाव का प्रतीक बना हुआ है. इस मंदिर के गर्भ गृह में भगवान शिव का एक शिवलिंग और नंदी मौजूद है.

सर्वधर्म सद्भाव का संदेश देता है ये शिव मंदिर

दो सौ वर्ष पुराना यह मंदिर दुनिया के तमाम धर्मों के लिए आज भी एक मिसाल बना हुआ है. इस मंदिर में सभी धर्मों के पूजा स्थल, गिरजाघर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे और जैन धर्म के बनावट के हिसाब से बनाया गया है. ये दूर से देखने पर साफ-साफ दिखाई देते हैं. खजुराहो में अधिकृत गाइड श्याम लाल रजक बताते हैं कि यह मंदिर धार्मिक सद्भाव का प्रतीक है. धर्म के नाम पर जो लोग सामाजिक भावनाओं को भड़का रहे थे, उन्हें उस वक्त जवाब देने के लिए इस मंदिर को बनाया गया था.

Intro:[SPECIAL STORY]

[ यह स्टोरी मंदिर के अंदर बनाई गई है जहां पर माइक आईडी और कैमरा ले जाना मना था]

भारत एक ऐसा देश है जहां पर अनेकता में एकता एवं सर्वधर्म सद्भाव को लेकर चलने वाले लोग रहते हैं वर्तमान में भले ही इसमें धर्मों को लेकर बहस हुई छिड़ी हुई हो लेकिन दो सौ साल पुराना यहां शिव मंदिर हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई जैसे तमाम धर्मों को न सिर्फ सम्मान देना सिखा रहा है बल्कि दो सौ साल बीत जाने के बाद भी सर्वधर्म सद्भाव की अनोखी मिसाल पेश कर रहा है!


Body: खजुराहो में 2 सौ वर्ष पुराना एक एहसास शिव मंदिर है जिस की बनावट सभी धर्मों के चिन्हों को प्रदर्शित करती है दूर से देखने पर इस मंदिर में मुस्लिम बुद्ध हिंदू शिवम इसाई जैसे धार्मिक स्थलों की बनावट एक ही मंदिर में दिखाई देती है!

इस मंदिर के सबसे आगे ऊपरी हिस्से पर इस्लाम धर्म के हिसाब से गुंबद बनी हुई है जो की मस्जिदों में होती है उसके बाद दूसरा जो हिसाब बना हुआ है वह बौद्ध धर्म के बागोड़ा एवं उसके अंत में हिंदू सिख ईसाई एवं जैन धर्मों के पूजा स्थल के जैसे बनाए गए हैं!

इस मंदिर का निर्माण 2 सौ वर्ष पहले राजा प्रतापेश्वर ने कराया था इस मंदिर के निर्माण कराने के पीछे की वजह बताई जाती है कि राजा इस मंदिर के माध्यम से सभी धर्मों को यह संदेश देना चाहते थे कि सभी धर्म एक दूसरे से मिल जुल कर रहना सिखाते हैं जिस प्रकार से धर्म को लेकर आज मतभेद एवं तनाव की स्थिति पैदा हो जाती हैं वह 200 साल पुराना यह मंदिर लोगों के लिए आज भी धार्मिक सद्भाव का प्रतीक बना हुआ है इस मंदिर के गर्भ गृह में भगवान शिव का एक शिवलिंग एवं नंदी मौजूद है!

दो सौ वर्ष पुराना यह मंदिर दुनिया के उन तमाम धर्मों के लिए आज भी एक मिसाल बना हुआ है इस मंदिर में सभी धर्मों के पूजा स्थल गिरजाघर मस्जिद चर्च गुरुद्वारे एवं जैन धर्म के बनावट के हिसाब से बनाया गया है जो दूर से देखने पर साफ तौर से दिखाई देता है!

खजुराहो में अधिकृत गाइड श्याम लाल रजक बताते हैं कि यह मंदिर धार्मिक सद्भाव का प्रतीक है 200 वर्ष पहले राजा द्वारा बनाया गया मंदिर आज भी लोगों के लिए एक मिसाल बना हुआ है मंदिर के माध्यम से राजा यह संदेश देना चाहते थे कि सभी धर्म एक दूसरे से मिल कर रहना सिखाते हैं धर्म के नाम पर जो लोग सामाजिक भावनाओं को भड़का थे थे उनके लिए कि इस मंदिर को बनाया गया था!

बाइट_श्याम रजक गाइड




Conclusion:भले ही आज देश में सामाजिक एवं धार्मिक मतभेद पैदा हो रहे हो लेकिन 200 वर्ष पुराना यह मंदिर आज भी लोगों के लिए एक मिसाल बना हुआ है जिसे देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते रहते हैं!
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