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विकास के वादे और अधूरा काम, कितना आदर्श हुआ भोपाल सांसद का आदर्श ग्राम

भोपाल सांसद आलोक संजर द्वारा गोद लिए गांव तारासेवनियां में विकास के जितने दावे किए गए थे. उनमें से कुछ पूरे हुए हैं, तो कुछ अधूरे पड़े हैं. गांव में अब भी कई परेशानियां है.

तारा सेवनियां गांव
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Published : Apr 2, 2019, 9:53 PM IST

Updated : Apr 3, 2019, 12:03 AM IST

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब हर सांसद को उसके संसदीय क्षेत्र का एक गांव गोद लेकर उसे आर्दश गांव बनाने का जिम्मा सौंपा था, तब ये योजना बहुत आदर्श लगी थी, लेकिन गांवों को आदर्श बनाने में सांसदों ने जैसा आदर्शवाद दिखाया उससे इनकी जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग नज़र आने लगी. अगर भोपाल सांसद आलोक संजर के गोद लिए गांव तारासेवनियां का हाल देखें तो नतीजे मिले-जुले नजर आते हैं.

आर्दश गांव तारासेवनियां में पीने के पानी की कमी यहां के बाशिंदों की सबसे बड़ी समस्या है. ग्रामीणों के मुताबिक नल-जल योजना के तहत लगी पानी की मोटर एक अरसे से खराब है और पीने का पानी लेने के लिए ग्रामीणों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है.

भोपाल सांसद के आर्दश गांव की रिपोर्ट।

ग्रामीणों की पानी की समस्या का निदान न तो प्रदेश सरकार की योजना से हुआ और न ही सांसद से, लेकिन ऐसा नहीं है कि अपने आदर्श गांव के लिए सांसद महोदय ने कुछ किया ही नहीं. आलोक संजर ने यहां स्वास्थ्य केंद्र भी बनवाया और पशु चिकित्सा केंद्र भी, वो अलग बात है कि इन्हें बनवाकर वे डॉक्टरों का इंतजाम करना भूल गए सो ग्रामीणों को अपनी और पशुओं की चिकित्सा के लिए शहर का रास्ता ताकना पड़ता है.

गांव में इतना कुछ कराने के बाद भी युवाओं को सांसद से शिकायत है कि न तो उनके गांव की सूरत बदली और न ही उनके रोजगार का कोई इंतजाम हुआ.गांव के लोग सांसद आदर्श ग्राम से भले ही खुश न हों, लेकिन चार हजार की आबादी वाले गांव के ODF हो जाने और पीएम आवास योजना के तहत गांव में बने आवासों पर ग्रामीण खुशी जाहिर करते हैं.

गांव गोद लेने के बाद सांसद ने यहां काम तो बहुत कराये, लेकिन ऐसे विकास कार्यों को चिराग लेकर ढूंढना पड़ेगा, जो अपने मुकाम तक पहुंचे हों. बहरहाल ग्रामीणों को सांसद के ये आधे-अधूरे काम कितने रास आते हैं इसका जवाब उसे खुद ही देना है.

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब हर सांसद को उसके संसदीय क्षेत्र का एक गांव गोद लेकर उसे आर्दश गांव बनाने का जिम्मा सौंपा था, तब ये योजना बहुत आदर्श लगी थी, लेकिन गांवों को आदर्श बनाने में सांसदों ने जैसा आदर्शवाद दिखाया उससे इनकी जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग नज़र आने लगी. अगर भोपाल सांसद आलोक संजर के गोद लिए गांव तारासेवनियां का हाल देखें तो नतीजे मिले-जुले नजर आते हैं.

आर्दश गांव तारासेवनियां में पीने के पानी की कमी यहां के बाशिंदों की सबसे बड़ी समस्या है. ग्रामीणों के मुताबिक नल-जल योजना के तहत लगी पानी की मोटर एक अरसे से खराब है और पीने का पानी लेने के लिए ग्रामीणों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है.

भोपाल सांसद के आर्दश गांव की रिपोर्ट।

ग्रामीणों की पानी की समस्या का निदान न तो प्रदेश सरकार की योजना से हुआ और न ही सांसद से, लेकिन ऐसा नहीं है कि अपने आदर्श गांव के लिए सांसद महोदय ने कुछ किया ही नहीं. आलोक संजर ने यहां स्वास्थ्य केंद्र भी बनवाया और पशु चिकित्सा केंद्र भी, वो अलग बात है कि इन्हें बनवाकर वे डॉक्टरों का इंतजाम करना भूल गए सो ग्रामीणों को अपनी और पशुओं की चिकित्सा के लिए शहर का रास्ता ताकना पड़ता है.

गांव में इतना कुछ कराने के बाद भी युवाओं को सांसद से शिकायत है कि न तो उनके गांव की सूरत बदली और न ही उनके रोजगार का कोई इंतजाम हुआ.गांव के लोग सांसद आदर्श ग्राम से भले ही खुश न हों, लेकिन चार हजार की आबादी वाले गांव के ODF हो जाने और पीएम आवास योजना के तहत गांव में बने आवासों पर ग्रामीण खुशी जाहिर करते हैं.

गांव गोद लेने के बाद सांसद ने यहां काम तो बहुत कराये, लेकिन ऐसे विकास कार्यों को चिराग लेकर ढूंढना पड़ेगा, जो अपने मुकाम तक पहुंचे हों. बहरहाल ग्रामीणों को सांसद के ये आधे-अधूरे काम कितने रास आते हैं इसका जवाब उसे खुद ही देना है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट आदर्श ग्राम योजना जिसके जरिए देश के तमाम सांसदों को अपने लोकसभा के एक गांव को गोद लेकर उसे आदर्श गांव मे तबदील करना था....लेकिन शायद ये योजना सिर्फ कागजों मे सिमटी नजर आ रही है... etv भारत की टीम भोपाल सांसद आलोक संजर के गोद लिए गांव तारा सेवनिया पहुँची...


Body:गांव मे घुसते ही सडकें चमकदार नजर आई सड़कों का जाल गांव के कौन -कौन तक फैला हुआ है और जहाँ सड़क नहीं है वहाँ पर काम चल रहा है....4 हजार आबादी वाले गांव odf घोषित किया जा चुका है जो जमीन पर भी नजर आता है... प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बड़ी संख्या मे घर बनवाए गए है जिससे गरीब ग्रामीण पीएम मोदी से काफी खुश है ....

गांव मे सबसे ज्यादा समस्या पानी की है तीन दिन मे एक बार पानी आता है सरपंच हिरदेश मीणा की माने तो ये पानी भी आधे गांव को मिलता है बाकी गाँव भगवान भरोसे है....पीने के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है तो आप खुद ही अंदाजा लगा सकते है कि खेत को कितना पानी मिलता होगा सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाने से किसान भी परेशान...इसके अलावा गांव में सामुदायिक सामुदायिक भवन बना है, स्वास्थ्य केंद्र, पशु चिकित्सक केंद्र भी है लेकिन डॉक्टर यह नहीं आते हैं जिसे इलाज के लिए ग्रामीणों को शहर की ओर जाना पड़ता है.... गांव मे रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं है गांव के युवा इधर-उधर बैठे दिखाई दे जाते है... कई महीनों से मनरेगा के तहत काम नहीं मिला है जिससे भी मजदूर वर्ग परेशान है...

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Conclusion:एक आदर्श ग्राम योजना के तहत गांव मे खेती,पशुपालन, कुटीर उद्योग, रोजगार जैसी चीजों पर जोर दिया जाना था...लेकिन भोपाल सांसद आलोक संजर के गोद लिए गांव मे सड़क , शौचालय के अलावा बाकी तमाम सुविधा सिर्फ कागजों मे सिमटी दिखाई देती है जो कई सवाल खड़े करते है....

बाइट, हिरदेश मीणा सरपंच

बाइट, ग्रामीण
Last Updated : Apr 3, 2019, 12:03 AM IST
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