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फूंक-फूंक कर कदम रख रहे सीएम कमलनाथ, कैबिनेट विस्तार से बचाएंगे सरकार?

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी मंत्रियों को पांच-पांच विधायकों पर नजर रखने की जिम्मेदारी सौंपी है क्योंकि विपक्ष में बैठी बीजेपी सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है. यही वजह है कि मुख्यमंत्री नाराज विधायकों को खुश करने के लिए कैबिनेट विस्तार करने पर भी विचार कर रहे हैं. वहीं, बसपा विधायक रामबाई ने कहा है कि बीजेपी के ऑफर से परेशान होकर उन्होंने अपना फोन बंद कर दिया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी की ओर से मंत्री पद के अलावा 50 करोड़ रुपये की पेशकश भी की गयी है.

कमलनाथ, मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश
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Published : May 27, 2019, 7:45 PM IST

Updated : May 27, 2019, 7:51 PM IST

भोपाल। सियासी संकट के दौर से गुजर रही मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. लोकसभा चुनाव के बाद रविवार को हुई पहली कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक-एक मंत्री को पांच-पांच विधायकों पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी है और सभी को एकजुट रहकर विपक्ष की कोशिशों को नाकाम करने के लिए कहा है. साथ ही सरकार नाराज विधायकों को खुश करने के लिए कैबिनेट विस्तार पर भी विचार कर रही है.

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस को सरकार डगमगाने का डर सता रहा है. यही वजह है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी मंत्रियों को पांच-पांच विधायकों पर नजर रखने का जिम्मा सौंपे हैं, ताकि कोई भी विधायक किसी भाजपाई से न बातचीत कर पाये और न ही उससे संपर्क कर पाये. लोकसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी मध्यप्रदेश में सरकार गिरने की बात बार-बार दोहरा रही है. जिसके चलते कांग्रेस भी बेहद सतर्कता के साथ कदम बढ़ा रही है क्योंकि लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद कार्यकर्ताओं से लेकर पदाधिकारियों तक के मनोबल में गिरावट आयी है.

वहीं, हार के बाद से ही कांग्रेस में इस्तीफों का दौर चल रहा है, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 13 से अधिक बड़े पदाधिकारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे चुके हैं, जबकि खुद राहुल गांधी भी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन उनका इस्तीफा CWC को मंजूर नहीं है. हालांकि, मुख्यमंत्री कमलनाथ के भी प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की बात सामने आयी थी, उनके बदले प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपे जाने की खबरें सामने आयी थी, लेकिन प्रदेश प्रवक्ता शोभा ओझा ने इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए इस अफवाह करार दिया था.

प्रदेश सरकार में मंत्री नहीं बनाये जाने से नाराज बसपा विधायक रामबाई सरकार के खिलाफ बोलती रही हैं, लेकिन हाल ही में उनके पति और देवर के मर्डर केस में फंसने के बाद से ही वह खामोश हो गयी थीं, पर सरकार के अस्थिर होने पर उनके पास भी बीजेपी की तरफ से मंत्री पद के साथ ही 50 करोड़ रुपये दिये जाने का ऑफर मिल रहा है, उन्होंने कहा है कि इतने फोन आ रहे हैं कि वह परेशान होकर फोन बंद कर दी हैं.

भोपाल। सियासी संकट के दौर से गुजर रही मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. लोकसभा चुनाव के बाद रविवार को हुई पहली कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक-एक मंत्री को पांच-पांच विधायकों पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी है और सभी को एकजुट रहकर विपक्ष की कोशिशों को नाकाम करने के लिए कहा है. साथ ही सरकार नाराज विधायकों को खुश करने के लिए कैबिनेट विस्तार पर भी विचार कर रही है.

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस को सरकार डगमगाने का डर सता रहा है. यही वजह है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी मंत्रियों को पांच-पांच विधायकों पर नजर रखने का जिम्मा सौंपे हैं, ताकि कोई भी विधायक किसी भाजपाई से न बातचीत कर पाये और न ही उससे संपर्क कर पाये. लोकसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी मध्यप्रदेश में सरकार गिरने की बात बार-बार दोहरा रही है. जिसके चलते कांग्रेस भी बेहद सतर्कता के साथ कदम बढ़ा रही है क्योंकि लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद कार्यकर्ताओं से लेकर पदाधिकारियों तक के मनोबल में गिरावट आयी है.

वहीं, हार के बाद से ही कांग्रेस में इस्तीफों का दौर चल रहा है, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 13 से अधिक बड़े पदाधिकारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे चुके हैं, जबकि खुद राहुल गांधी भी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन उनका इस्तीफा CWC को मंजूर नहीं है. हालांकि, मुख्यमंत्री कमलनाथ के भी प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की बात सामने आयी थी, उनके बदले प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपे जाने की खबरें सामने आयी थी, लेकिन प्रदेश प्रवक्ता शोभा ओझा ने इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए इस अफवाह करार दिया था.

प्रदेश सरकार में मंत्री नहीं बनाये जाने से नाराज बसपा विधायक रामबाई सरकार के खिलाफ बोलती रही हैं, लेकिन हाल ही में उनके पति और देवर के मर्डर केस में फंसने के बाद से ही वह खामोश हो गयी थीं, पर सरकार के अस्थिर होने पर उनके पास भी बीजेपी की तरफ से मंत्री पद के साथ ही 50 करोड़ रुपये दिये जाने का ऑफर मिल रहा है, उन्होंने कहा है कि इतने फोन आ रहे हैं कि वह परेशान होकर फोन बंद कर दी हैं.

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भोपाल। सियासी संकट के दौर से गुजर रही मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. लोकसभा चुनाव के बाद रविवार को हुई पहली कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक-एक मंत्री को पांच-पांच विधायकों पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी है और सभी को एकजुट रहकर विपक्ष की कोशिशों को नाकाम करने के लिए कहा है. साथ ही सरकार नाराज विधायकों को खुश करने के लिए कैबिनेट विस्तार पर भी विचार कर रही है.



सूत्रों की मानें तो कांग्रेस को सरकार डगमगाने का डर सता रहा है. यही वजह है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी मंत्रियों को पांच-पांच विधायकों पर नजर रखने का जिम्मा सौंपे हैं, ताकि कोई भी विधायक किसी भाजपाई से न बातचीत कर पाये और न ही उससे संपर्क कर पाये. लोकसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी मध्यप्रदेश में सरकार गिरने की बात बार-बार दोहरा रही है. जिसके चलते कांग्रेस भी बेहद सतर्कता के साथ कदम बढ़ा रही है क्योंकि लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद कार्यकर्ताओं से लेकर पदाधिकारियों तक के मनोबल में गिरावट आयी है.



वहीं, हार के बाद से ही कांग्रेस में इस्तीफों का दौर चल रहा है, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 13 से अधिक बड़े पदाधिकारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे चुके हैं, जबकि खुद राहुल गांधी भी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन उनका इस्तीफा CWC को मंजूर नहीं है. हालांकि, मुख्यमंत्री कमलनाथ के भी प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की बात सामने आयी थी, उनके बदले प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपे जाने की खबरें सामने आयी थी, लेकिन प्रदेश प्रवक्ता शोभा ओझा ने इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए इस अफवाह करार दिया था.


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Last Updated : May 27, 2019, 7:51 PM IST
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