भोपाल। हार के बाद कांग्रेस में हाहाकार मची है, कोई इस्तीफा दे रहा है तो किसी से इस्तीफा मांगा जा रहा है. राहुल गांधी ने दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में अपने इस्तीफे की पेशकश की, लेकिन कमेटी ने खारिज कर दिया. इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस्तीफे की बात सामने आयी, जिसे कांग्रेस प्रवक्ता ने ट्वीट कर अफवाह बता दिया. हालांकि, कमलनाथ ने खुद स्वीकार किया कि मुख्यमंत्री पद से नहीं, बल्कि प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश उन्होंने ही की थी क्योंकि उनके पास काम का दबाव अधिक रहता है.
एक बात की सबसे अधिक चर्चा है कि बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि कमलनाथ, पी चिदंबरम और गहलोत ने अपने वारिसों को पार्टी से ऊपर रखा. जिसके बारे में मीडिया ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी सवाल किया, लेकिन उन्होंने सिरे से ये कहते हुए खारिज कर दिया कि राहुल गांधी ऐसा नहीं कह सकते और जल्द ही कांग्रेस पार्टी का बयान इस मुद्दे पर आ जायेगा.
प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री जीतू पटवारी मीडिया के इस सवाल पर तिलमिला गये कि कमलनाथ, चिदंबरम, गहलोत ने अपने वारिसों को पार्टी से ऊपर रखा, उन्होंने पूछा कि राहुल गांधी ने आपसे कहा था क्या?
इस्तीफा राहुल दें, या कमलनाथ, या कांग्रेस पूरी समिति भंग कर नये सिरे से गठित करे, लेकिन हार की समीक्षा जरूरी है, भले ही कांग्रेसी मीडिया को आंख दिखाकर निकल जायें, पर जनता की अदालत में क्या जवाब देंगे, यदि कांग्रेस को राजनीति का विकल्प बनना है तो अभी से जनता के बीच पैठ बनानी होगी और उनके मुद्दे को सड़क से संसद तक पहुंचाना होगा. नहीं तो उनका सियासी सूरज अस्त होने में समय नहीं लगेगा. इस पर कांग्रेस को गहन चिंतन-मंथन की जरूरत है.