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हाईप्रोफाइल भोपाल सीट पर हुई 'टफ फाइट', वोटिंग के बाद किसे मिला फायदा ?

प्रदेश के तीसरे चरण में भोपाल सीट पर 65.65 फीसदी मतदान हुआ है. भोपाल सीट पर हुये मतदान के बाद दोनों राजनीतिक दल का भरोसा जता रहे हैं.

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Published : May 14, 2019, 11:12 PM IST

बीजेपी-कांग्रेस के प्रवक्ता

भोपाल। भोपाल लोकसभा सीट पर सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की निगाहें टिकी हैं क्योंकि यहां पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और बीजेपी की साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बीच टफ फाइट मानी जा रही है. यहां बीजेपी ने हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे को हवा देते हुए प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारा था. 12 मई को हुये मतदान के बाद दोनों दल जीत के दावे कर रहे हैं.


प्रदेश के तीसरे चरण में भोपाल सीट पर 65.65 फीसदी मतदान हुआ है. खास बात ये है कि भोपाल शहर में मतदान कम हुआ है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान ज्यादा हुआ है. सीहोर, बैरसिया और हुजूर विधानभा सीटें ग्रामीण क्षेत्रों में आती हैं. इन तीनों सीटों पर ज्यादा मतदान से दोनों राजनीतिक दल अपनी-अपनी जीत का भरोसा जता रहे हैं.

वोटिंग के बाद किसे मिल रहा फायदा ?


भोपाल लोकसभा सीट पर हुए मतदान पर गौर करें तो कुल मतदान 65.65% हुआ है. जिसमें बैरसिया में 76.02 प्रतिशत, नरेला में 64.87, गोविंदपुरा में 59.44, भोपाल मध्य में 59.55, भोपाल उत्तर में 66.65, भोपाल दक्षिण-पश्चिम में 59.35, सीहोर में 76.83 और हुजूर में 67.5 मतदान हुआ है. बैरसिया, सीहोर और हुजूर एक तरह से ग्रामीण सीट मानी जाती है. मतदान को लेकर दोनों दलों के अपने-अपने दावे हैं.

नरेंद्र मोदी को दोबारा पीएम बनाने के लिये जनता बेताब
भाजपा को इस मतदान में अपनी जीत नजर आ रही है. बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि जनता नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाने के लिए बेताब है. जनता में मतदान के प्रति उत्साह है, वह केवल भोपाल सीट पर नहीं, बल्कि चारों तरफ दिखाई पड़ता है. इससे साध्वी प्रज्ञा जीत रही हैं.


'दिग्विजय सिंह को होगा फायदा'
कांग्रेस प्रवक्ता जेपी धनोपिया का कहना है कि बीजेपी के मानने से कुछ नहीं होता है. वास्तविकता ये है कि पिछले 35 साल से भोपाल के अंदर बीजेपी के सांसद स्थापित रहे हैं. ऐसा कोई काम नहीं हुआ है, जिसे उनकी उपलब्धि माना जाए. दिग्विजय सिंह प्रदेश के 10 साल तक मुख्यमंत्री रहे हैं. उन्होंने जो विजन डॉक्यूमेंट भोपाल के लिए जारी किया है. उसमें हर तबके, हर क्षेत्र और हर वर्ग को शामिल किया है. उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से जो वोट पड़ा है, वह सत्ता के खिलाफ जाता है. मतदान में सत्ता विरोधी लहर का बड़ा फैक्टर रहा है, जिससे कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह को फायदा होगा.

भोपाल। भोपाल लोकसभा सीट पर सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की निगाहें टिकी हैं क्योंकि यहां पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और बीजेपी की साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बीच टफ फाइट मानी जा रही है. यहां बीजेपी ने हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे को हवा देते हुए प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारा था. 12 मई को हुये मतदान के बाद दोनों दल जीत के दावे कर रहे हैं.


प्रदेश के तीसरे चरण में भोपाल सीट पर 65.65 फीसदी मतदान हुआ है. खास बात ये है कि भोपाल शहर में मतदान कम हुआ है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान ज्यादा हुआ है. सीहोर, बैरसिया और हुजूर विधानभा सीटें ग्रामीण क्षेत्रों में आती हैं. इन तीनों सीटों पर ज्यादा मतदान से दोनों राजनीतिक दल अपनी-अपनी जीत का भरोसा जता रहे हैं.

वोटिंग के बाद किसे मिल रहा फायदा ?


भोपाल लोकसभा सीट पर हुए मतदान पर गौर करें तो कुल मतदान 65.65% हुआ है. जिसमें बैरसिया में 76.02 प्रतिशत, नरेला में 64.87, गोविंदपुरा में 59.44, भोपाल मध्य में 59.55, भोपाल उत्तर में 66.65, भोपाल दक्षिण-पश्चिम में 59.35, सीहोर में 76.83 और हुजूर में 67.5 मतदान हुआ है. बैरसिया, सीहोर और हुजूर एक तरह से ग्रामीण सीट मानी जाती है. मतदान को लेकर दोनों दलों के अपने-अपने दावे हैं.

नरेंद्र मोदी को दोबारा पीएम बनाने के लिये जनता बेताब
भाजपा को इस मतदान में अपनी जीत नजर आ रही है. बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि जनता नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाने के लिए बेताब है. जनता में मतदान के प्रति उत्साह है, वह केवल भोपाल सीट पर नहीं, बल्कि चारों तरफ दिखाई पड़ता है. इससे साध्वी प्रज्ञा जीत रही हैं.


'दिग्विजय सिंह को होगा फायदा'
कांग्रेस प्रवक्ता जेपी धनोपिया का कहना है कि बीजेपी के मानने से कुछ नहीं होता है. वास्तविकता ये है कि पिछले 35 साल से भोपाल के अंदर बीजेपी के सांसद स्थापित रहे हैं. ऐसा कोई काम नहीं हुआ है, जिसे उनकी उपलब्धि माना जाए. दिग्विजय सिंह प्रदेश के 10 साल तक मुख्यमंत्री रहे हैं. उन्होंने जो विजन डॉक्यूमेंट भोपाल के लिए जारी किया है. उसमें हर तबके, हर क्षेत्र और हर वर्ग को शामिल किया है. उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से जो वोट पड़ा है, वह सत्ता के खिलाफ जाता है. मतदान में सत्ता विरोधी लहर का बड़ा फैक्टर रहा है, जिससे कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह को फायदा होगा.

Intro:भोपाल। भोपाल लोकसभा सीट पर सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की निगाहें लगी हुई है। क्योंकि यहां पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के सामने बीजेपी से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर उम्मीदवार हैं। मुस्लिम बाहुल्य सीट पर बीजेपी ने हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे को हवा देते हुए प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारा था। 12 मई को भोपाल सीट पर मतदान के बाद दोनों राजनीतिक दल अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। दरअसल भोपाल सीट पर 65.65 प्रतिशत मतदान हुआ है। खास बात यह है कि भोपाल शहरी क्षेत्र में मतदान कम हुआ है, जबकि ग्रामीण इलाकों में मतदान ज्यादा हुआ है। भोपाल लोकसभा की सीहोर, बैरसिया और हुजूर ग्रामीण इलाकों में आती है।इन तीनों सीटों पर ज्यादा मतदान को लेकर दोनों राजनीतिक दल अपनी अपनी जीत का भरोसा जता रहे हैं। बीजेपी का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में मोदी के नाम पर वोटिंग हुई है। कांग्रेस का कहना है कि केंद्र सरकार की सत्ता विरोधी लहर के खिलाफ मतदान हुआ है।


Body:जहां तक भोपाल लोकसभा सीट पर हुए मतदान पर गौर करें तो कुल मतदान 65.65% हुआ है। जिसमें बैरसिया में 76.02%, नरेला में 64.87%, गोविंदपुरा में 59.44%, भोपाल मध्य में 59.55%, भोपाल उत्तर में 66.65%, भोपाल दक्षिण-पश्चिम में 59.35%, सीहोर में 76.83% और हुजूर में 67.5% मतदान हुआ है। बैरसिया, सीहोर और हुजूर एक तरह से ग्रामीण सीट मानी जाती है। मतदान को लेकर दोनों दलों के अपने-अपने दावे हैं।

भाजपा को इस मतदान में अपनी जीत नजर आ रही है। भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि केवल और केवल भाजपा के प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोबारा बनाने के लिए जनता की बेताबी है। जनता का मतदान करने के प्रति उत्साह है, वह केवल भोपाल सीट पर नहीं, सब तरफ दिखाई पड़ता है। इसलिए भारी संख्या में भाजपा के प्रत्याशी जीत रहे हैं और नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं।


Conclusion:वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता जेपी धनोपिया का कहना है कि भाजपा के मानने से कुछ नहीं होता है। वास्तविकता यह है कि पिछले 35 साल से भोपाल के अंदर भाजपा के सांसद स्थापित रहे हैं। ऐसा कोई काम नहीं हुआ है, जिसे उनकी उपलब्धि माना जाए। दिग्विजय सिंह प्रदेश के 10 साल तक मुख्यमंत्री रहे हैं।उन्होंने जो विजन डॉक्यूमेंट भोपाल के लिए जारी किया है। उन्होंने हर तबके, हर क्षेत्र और हर वर्ग को इसमें शामिल किया है। चाहे ग्रामीण क्षेत्र हो या चाहे शहरी क्षेत्र हो। तरक्की की बात की है, विकास की बात की है, इससे लोग काफी प्रभावित हैं।निश्चित रूप से जो वोट पड़ा है, वह सत्ता के खिलाफ जाता है। केंद्र का चुनाव है, सत्ता भाजपा की है। मतदान में सत्ता विरोधी लहर का बहुत बड़ा फैक्टर रहा है और मैं मानता हूं कि इसका फायदा हमारे प्रत्याशी दिग्विजय सिंह को मिलेगा।
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